आइसलैंडिक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

आइसलैंडिक (भाषा) आइसलैंड में बोली जाने के कारण इस भाषा को आइसलैंडिक कहा जाता है। इस भाषा का संबंध जर्मन भाषा का प्राचीन मार्स अथवा प्राचीन स्कैंडेनेवियन भाषा से है।

ईसा की 8वीं शताब्दी के आस-पास प्राचीन स्कैंडेनेवियन भाषा की उत्तरी शाखा दो उपशाखाओं-पूर्वी उपशाखा एवं पश्चिमी उपशाखा-में विभाजित हो गई। इस पूर्वी उपशाखा से आइसलैंडिक एवं नार्वियन भाषाएँ विकसित हुई। आँरभ में आइसलैंडिक एवं नार्वियन भाषाओं में कोई भिन्नता नहीं थी। नवीं शताब्दी के आसपास नार्वे के निवासियों ने जाकर आइसलैंड को बसाया। प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण आइसलैंड के निवासियों का नार्वे निवासियों से इतना दृढ़ संबंध नहीं रहा। फलस्वरूप आइसलैंड की भाषा स्वतंत्र रूप से विकसित हो गई।

साहित्यिक समृद्धि की दृष्टि से आइसलैंडिक भाषा का विशेष महत्व है। विशेषकर 12वीं से 14वीं शताब्दी तक का समय इस भाषा के साहित्य की उन्नति का काल है। उनके वीरकाव्यों (जिन्हें ऍद्द Edda कहा जाता है) का विश्वसाहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है।

इस भाषा पर लैटिन एवं अन्य जर्मन भाषाओं का पर्याप्त प्रभाव है।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 336 |

संबंधित लेख