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− | +जर्मन | + | +दि जर्मन आइडियओलॉजी के |
-क्रिटिक ऑफ़ दि गोथा प्रोग्राम के | -क्रिटिक ऑफ़ दि गोथा प्रोग्राम के | ||
− | ||'दि जर्मन | + | ||'दि जर्मन आइडिओलॉजी' [[कार्ल मार्क्स]] और फ्रेडरिक एंगल्स द्वारा वर्ष 1846 में लिखी गई। इसका प्रथम प्रकाशन वर्ष 1932 में किया गया। |
{[[राज्य]] के स्वरूप के बारे में निम्नलिखित में कौन सही हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-9,प्रश्न-27 | {[[राज्य]] के स्वरूप के बारे में निम्नलिखित में कौन सही हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-9,प्रश्न-27 | ||
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-राज्य साधन और साध्य दोनों है। | -राज्य साधन और साध्य दोनों है। | ||
-राज्य न साधन है, न साध्य है। | -राज्य न साधन है, न साध्य है। | ||
− | ||आदर्शवादी विचारक (जैसे हीगल प्लेटो तथा सर्वाधिकार वादी विचारक जैसे मुसोलिनी या हिटलर) राज्य को स्वयं में साध्य मानते हैं जबकि उदारवादी विचारक एवं | + | ||आदर्शवादी विचारक (जैसे हीगल प्लेटो तथा सर्वाधिकार वादी विचारक जैसे मुसोलिनी या हिटलर) राज्य को स्वयं में साध्य मानते हैं जबकि उदारवादी विचारक एवं समाजवादी विचारक राज्य को साधन मानते हैं। चूंकि प्रश्न में राज्य का स्वरूप किसी विचारधारा से संबंधित नहीं पूछा गया है। अत: प्रश्न में राज्य के वर्तमान स्वरूप के बारे में विचार किया जाएगा। वर्तमान समय में राज्य को एक साधन माना जाता है। आज विश्व के किसी भी हिस्से में राज्य की प्रकृति चाहे जो हो, भले ही वह सैन्य तंत्र हो, [[राज्य]] को साध्य न मानकर साधन माना जाता है। |
− | {राज्य की | + | {राज्य की उत्पत्ति का “दैवीय सिद्धांत” नहीं मानता है कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-21,प्रश्न-25 |
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-राजा लोग पृथ्वी पर जीवित प्रतिमाएं है। | -राजा लोग पृथ्वी पर जीवित प्रतिमाएं है। | ||
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-राजनीतिक दल, [[न्यायालय]], संविधान | -राजनीतिक दल, [[न्यायालय]], संविधान | ||
-विधानपालिका, राजनीतिक दल, न्यायालय | -विधानपालिका, राजनीतिक दल, न्यायालय | ||
− | +राजनीतिक दल, विधानपालिका, संविधान | + | +राजनीतिक दल, विधानपालिका, [[संविधान]] |
-विधानपालिका, न्यायालय, कार्यपालिका | -विधानपालिका, न्यायालय, कार्यपालिका | ||
− | ||लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है। लोकतत्र में देश का प्रशासन सीधे जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से किया जाता है। ये राजनीतिक प्रतिनिधि देश की जनता के लिए नियम एवं कानून का निर्माण करते हैं। लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने तथा सार्वजनिक पद प्राप्त करने हेतु चुनाव लड़ने का अधिकार | + | ||लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है। लोकतत्र में देश का प्रशासन सीधे जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से किया जाता है। ये राजनीतिक प्रतिनिधि देश की जनता के लिए नियम एवं कानून का निर्माण करते हैं। लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने तथा सार्वजनिक पद प्राप्त करने हेतु चुनाव लड़ने का अधिकार होता है। |
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{"स्वयं पर, स्वयं के शरीर और [[मस्तिष्क]] पर व्यक्ति संप्रभु है।" यह वक्तव्य किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-23,प्रश्न-5 | {"स्वयं पर, स्वयं के शरीर और [[मस्तिष्क]] पर व्यक्ति संप्रभु है।" यह वक्तव्य किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-23,प्रश्न-5 | ||
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-जेरेमी बेंथम का | -जेरेमी बेंथम का | ||
-रूसो का | -रूसो का | ||
− | + | -जॉन ऑस्टिन का | |
− | + | +जॉन स्टुअर्ट मिल का | |
||उपर्युक्त कथन जॉन स्टुअर्ट मिल का है। जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने निबंध 'ऑन लिवर्टी' में इसकी भूमिका में स्पष्ट रूप से यह व्यक्त किया है कि लोगों की स्वतंत्रता पर राज्य की शक्ति की एक सीमा होती है। | ||उपर्युक्त कथन जॉन स्टुअर्ट मिल का है। जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने निबंध 'ऑन लिवर्टी' में इसकी भूमिका में स्पष्ट रूप से यह व्यक्त किया है कि लोगों की स्वतंत्रता पर राज्य की शक्ति की एक सीमा होती है। | ||
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-वार एंड पीस | -वार एंड पीस | ||
+मीन कैम्फ | +मीन कैम्फ | ||
− | -कम्युनिस्ट | + | -कम्युनिस्ट मेनिफ़ेस्टो |
− | ||[[जर्मनी]] में नाजियों द्वारा, हिटलर की पुस्तक मीनकैक (अर्थ-मेरा संघर्ष) को बाइबिल माना गया था। यह पुस्तक हिटलर की आत्मकथा के साथ-साथ उसकी राजनीतिक | + | ||[[जर्मनी]] में नाजियों द्वारा, हिटलर की पुस्तक मीनकैक (अर्थ-मेरा संघर्ष) को बाइबिल माना गया था। यह पुस्तक हिटलर की आत्मकथा के साथ-साथ उसकी राजनीतिक विचारधारा और [[जर्मनी]] के बारे में उसकी योजनाओं का वर्णन है। जर्मनी लैंड्सवर्ग जेल में बंद हिटलर ने 1923 में बोलना शुरू किया जिसे हिटलर के सहायक रूडोल्फ हेस ने लिखा। इस पुस्तक का सम्पादन रूडोल्फ हेस ने ही किया था। |
{"कानून संप्रभु का आदेश है।" यह निम्न में से किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-26 | {"कानून संप्रभु का आदेश है।" यह निम्न में से किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-26 | ||
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-लास्की का | -लास्की का | ||
-ऑस्टिन का | -ऑस्टिन का | ||
− | ||जॉन ऑस्टिन के अनुसार "कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" या "कानून संप्रभु की आज्ञा (आदेश) है।" ऑस्टिन के कानून को इस परिभाषा में तीन तत्व निहित है- (i) संप्रभुता (ii)आदेश (समादेश) (iii) शास्ति-अर्थात संप्रभु के आदेश की अवहेलना करने वाले को दण्ड देने की शक्ति। इस प्रकार ऑस्टिन ने कानून को संप्रभु आदेश (समादेश) माना है। ऑस्टिन ने अपनी पुस्तक में संप्रभुता की | + | ||जॉन ऑस्टिन के अनुसार "कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" या "कानून संप्रभु की आज्ञा (आदेश) है।" ऑस्टिन के कानून को इस परिभाषा में तीन तत्व निहित है- (i) संप्रभुता (ii)आदेश (समादेश) (iii) शास्ति-अर्थात संप्रभु के आदेश की अवहेलना करने वाले को दण्ड देने की शक्ति। इस प्रकार ऑस्टिन ने कानून को संप्रभु आदेश (समादेश) माना है। ऑस्टिन ने अपनी पुस्तक में संप्रभुता की एकलवादी अवधारणा का प्रतिपादन किया है। |
{ओम्बुड्समैन की अवधारणा निम्नलिखित में से किसके संबंधित है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-191,प्रश्न-7 | {ओम्बुड्समैन की अवधारणा निम्नलिखित में से किसके संबंधित है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-191,प्रश्न-7 | ||
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-[[लोक सेवा आयोग]] | -[[लोक सेवा आयोग]] | ||
-सी.बी.आई. | -सी.बी.आई. | ||
− | ||ओम्बुड्समैन की अवधारणा 'लोकपाल' व 'लोक आयुक्त' से संबंधित है। ये उच्च सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों | + | ||ओम्बुड्समैन की अवधारणा 'लोकपाल' व 'लोक आयुक्त' से संबंधित है। ये उच्च सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें सुनने एवं उस पर कार्यवाही करने के निमित पद हैं। |
{यह किसका मत है कि ब्रिटिश का अस्तित्व नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-200,प्रश्न-45 | {यह किसका मत है कि ब्रिटिश का अस्तित्व नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-200,प्रश्न-45 | ||
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{अमेरिकी प्रणाली में निहित शक्तियों का अर्थ है कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-193,प्रश्न-9 | {अमेरिकी प्रणाली में निहित शक्तियों का अर्थ है कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-193,प्रश्न-9 | ||
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− | -संघीय सरकार | + | -संघीय सरकार [[आपातकाल]] लागू कर सकती है |
-संघीय शक्तियां [[संसद]] में निहित हैं | -संघीय शक्तियां [[संसद]] में निहित हैं | ||
-संघीय शक्तियां [[राष्ट्रपति]] में निहित हैं | -संघीय शक्तियां [[राष्ट्रपति]] में निहित हैं |
12:14, 16 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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