बल्वल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

बल्वल दैत्य इल्वल का पुत्र था। वह यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों में प्राय: विघ्न उत्पन्न किया करता था, जिस कारण ब्राह्मणों के आदेश पर बलराम ने उसका वध किया था।

  • एक बार बलराम तीर्थों का पर्यटन करते हुए नैमिषारण्य क्षेत्र में पहुँचे।
  • वहाँ अनेक ब्राह्मण नीचे बैठे थे और ऊँचे आसन पर सूत जाति का रोमहर्षण विराजमान था।
  • उस प्रतिलोम के जाति के व्यक्ति को ब्राह्मणों से ऊपर का आसन ग्रहण किये हुए देखकर बलराम ने कुश की नोक से उस अशिष्ट पर प्रहार किया।
  • बलराम के इस बलशाली प्रहार से वह तुरन्त ही मर गया, जिस कारण वहाँ एकत्र ब्राह्मण बहुत ही दुखी हुए।
  • ब्राह्मणों ने स्वेच्छा से ही रोमहर्षण को वह उच्च स्थान प्रदान किया था तथा सत्र की समाप्ति तक के लिए उसे शारीरिक कष्ट रहित आयु भी प्रदान कर रखी थी।
  • बलराम से ब्राह्मणों ने कहा कि वे दैत्य इल्वल के पुत्र बल्वल का हनन कर दें, क्योंकि वह प्रत्येक सत्र में विघ्न उत्पन्न करता है।
  • तदनंतर एक वर्ष तक भारत की परिक्रमा करते हुए विभिन्न तीर्थों का सेवन करके वे शुद्ध हो जायेंगे।
  • पर्व के दिन बल्वल ने यज्ञ में व्याघात उत्पन्न करने का प्रयास किया, किंतु बलराम ने आकाशचारी बल्वल को अपने मूसल तथा हल के प्रहारों से मार डाला।
  • बल्वल के वध के उपरान्त बलराम शुद्धता के लिए तीर्थाटन को चल पड़े।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय मिथक कोश |लेखक: डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति |प्रकाशक: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 198 |


संबंधित लेख