मेहदी हसन

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मेहदी हसन
मेहदी हसन
पूरा नाम मेहदी हसन ख़ान
अन्य नाम ख़ाँ साहब
जन्म 18 जुलाई, 1927
जन्म भूमि झुंझुनू, राजस्थान
मृत्यु 13 जून, 2012
मृत्यु स्थान कराची, पाकिस्तान
अभिभावक पिता- उस्ताद अज़ीम ख़ाँ
संतान नौ बेटे और पाँच बेटियाँ
कर्म भूमि ब्रिटिश भारत और पाकिस्तान
कर्म-क्षेत्र संगीत
मुख्य रचनाएँ 'रंजिश ही सही..', 'ज़िंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं...', 'गुलों में रंग भरे' आदि।
पुरस्कार-उपाधि 'तमगा-ए-इम्तियाज़', 'हिलाल-ए-इम्तियाज़ पुरस्कार', 'सहगल अवॉर्ड'।
नागरिकता पाकिस्तान
अद्यतन‎

मेहदी हसन (अंग्रेज़ी: Mehdi Hassan, जन्म: 18 जुलाई, 1927, राजस्थान; मृत्यु: 13 जून, 2012, कराची) प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक थे। उन्हें 'ग़ज़ल का राजा' माना जाता है। उन्हें 'ख़ाँ साहब' के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो ग़ज़ल के इस सरताज पर पाकिस्तान फ़ख़्र करता था, मगर भारत में भी उनके मुरीद कुछ कम न थे। मेहदी हसन मूलत: राजस्थान के थे।

जीवन परिचय

ग़ज़ल सम्राट मेहदी हसन का जन्म 18 जुलाई, 1927 को राजस्थान के झुंझुनू के लूणा गाँव में हुआ था। मेहदी हसन को संगीत विरासत में मिला। हसन मशहूर कलावंत संगीत घराने के थे। उन्हें संगीत की तालीम अपने वालिद उस्ताद अज़ीम ख़ाँ और चाचा उस्ताद इस्माइल ख़ाँ से मिली। इन दोनों की छत्रछाया में हसन ने संगीत की शिक्षा दीक्षा ली। मेहदी हसन ने बहुत छोटी उम्र में ही ध्रुपद गाना शुर कर दिया था। ग़ज़ल की दुनिया में योगदान के लिए उन्हें 'शहंशाह-ए-ग़ज़ल' की उपाधि से नवाजा गया था। भारत-पाक के बँटवारे के बाद मेहदी हसन का परिवार पाकिस्तान चला गया था। मेहदी हसन के दो विवाह हुए थे। इनके नौ बेटे और पाँच बेटियाँ हैं। उनके छह बेटे ग़ज़ल गायकी और संगीत क्षेत्र से जुड़े हैं।

गायकी की शुरुआत

ख़ाँ साहब को सन 1935 में जब उनकी उम्र मात्र 8 वर्ष थी, फ़ज़िल्का के एक समारोह में पहली बार गाने का अवसर मिला था। इस समारोह में इन्होंने ध्रुपद और ख़याल की गायकी की।

कार्यक्षेत्र

जीवन चलाने के लिए उन्होंने पहले एक साइकिल की दुकान में काम किया और बाद में बतौर कार मैकेनिक का काम किया। परंतु इन दिक्कतों के बावजूद ख़ाँ साहब का ग़ज़ल गायकी के प्रति लगाव कम नहीं हुआ। ख़ाँ साहब दिनभर की मेहनत के बाद रोजाना ग़ज़ल का अभ्यास करते थे। मेहदी हसन को 1957 में एक गायक के रूप में पहली बार रेडियो पाकिस्तान में बतौर ठुमरी गायक की पहचान मिली। यहीं से उनकी कामयाबी का सफ़र शुरू हुआ। इस ग़ज़ल को मेहदी हसन ने शास्त्रीय पुट देकर गाया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके ग़ज़ल कार्यक्रम दुनियाभर में आयोजित होने लगे। 1980 के दशक में तबीयत की ख़राबी के चलते ख़ान साहब ने पार्श्वगायकी छोड़ दी और काफ़ी समय तक संगीत से दूरी बनाए रखी। अक्टूबर, 2012 में एचएमवी कंपनी ने उनका एल्बम 'सरहदें' रिलीज किया, जिसमें उन्होंने पहली और आखिरी बार लता मंगेशकर के साथ डूएट गीत भी गाया।[1] 1957 से 1999 तक सक्रिय रहे मेहदी हसन ने गले के कैंसर के बाद पिछले 12 सालों से गाना लगभग छोड़ दिया था। उनकी अंतिम रिकार्डिंग 2010 में 'सरहदें' नाम से आयी, जिसमें फ़रहत शहज़ाद की लिखी 'तेरा मिलना बहुत अच्छा लगे है' की रिकार्डिंग उन्होंने 2009 में पाकिस्तान में की और उस ट्रेक को सुनकर 2010 में लता मंगेशकर ने अपनी रिकार्डिंग मुंबई में की। इस तरह यह युगल अलबम तैयार हुआ। यह उनकी गायकी का जादू ही है कि सुकंठी लता मंगेशकर तनहाई में सिर्फ़ मेहदी हसन को सुनना पसंद करती हैं। इसे भी तो एक महान् कलाकार का दूसरे के लिये आदरभाव ही माना जाना चाहिये। [2] सन 1980 के बाद उनके बीमार होने से उनका गायन कम हो गया। मेहदी हसन ने क़रीब 54,000 ग़ज़लें, गीत और ठुमरी गाईं। इन्होंने ग़ालिब, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, अहमद फ़राज़, मीर तक़ी मीर और बहादुर शाह ज़फ़र जैसे शायरों की ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी।

प्रशंसा और श्रद्धांजलि

  • भारतीय संगीत की दुनिया के एक अन्य महान् कलाकार मन्ना डे ने मेहदी हसन की 'अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिले' सुनने के बाद अपने अनुभव साझा करने के लिए मेहदी हसन को सात पन्नों की एक लंबी चिट्ठी लिखी थी।[3]
  • संगीत उन्‍हें विरासत में मिला और ‘अब के बिछड़े..., और ‘पत्‍ता पत्‍ता बूटा बूटा...’ जैसे सदाबहार गज़ल आज भी दुनिया भर के प्रशंसकों के दिलों दिगाम पर छाए हैं। उन्‍होंने मिर्जा ग़ालिब के ‘रंजिश ही सही..दिल को दुखाने के लिए आ..’ को भी अलग अंदाज़ में गाया।
  • मेहदी हसन के दोस्त नारायण सिंह ने कुछ शायराना अंदाज़ में याद किया, 'वो आता मिल के जाता, चला गया मिलने वाला। कयामत तक उसकी ग़ज़ल रहेगी, चला गया गाने वाला।'[4]
  • लूणा गांव के लोगों का कहना है कि मेहदी हसन बचपन में पाकिस्तान गए थे और उसके बाद से तीन बार यहां आ चुके हैं। मेहदी हसन ने लूणा गांव में एक सरकारी स्कूल में दो कमरों के निर्माण में भी मदद दी थी। संगीत के बड़े दिग्गज़ों ने उन्हें ग़ज़ल सम्राट के ख़िताब से भी नवाज़ा।[5]
  • आबिदा परवीन कहती हैं, 'हर पंक्ति, हर ग़ज़ल मेहदी हसन साहब की ही है। हमारे ज़हन से, दिल से यहां तक कि हमारी रूह से मेहदी हसन कभी निकल ही नहीं सकते। मैं तो कहूंगी कि जाते-जाते वो सब जगह बस धुंआ ही कर गए हैं। एक अजब क़यामत ढा गए हैं। आबिदा ये भी कहती हैं कि इतनी ऊँची शख़्सियत होने के बावजूद भी उनमें सीखने की भूख थी।' वो कहती हैं, 'मेहदी हसन हर वक़्त सीखते रहते थे। इनका सीखना कभी भी कम नहीं हुआ। जितनी मेहनत वो करते थे उतनी मेहनत कौन कर सकता है। वो अपनी ही मौसीक़ी में गुम रहते थे। मैंने तो इतनी लगन किसी और गायक में नहीं देखी। ऐसा जज़्बा ही नहीं देखा। मेहदी हसन ने जो रिश्ता मौसीक़ी से जोड़ा वो रिश्ता उनका किसी और से था ही नहीं। वो मौसीक़ी की दुनिया में ही रहते थे।' आबिदा कहती हैं, 'मैं समझती हूं कि ग़ज़ल को जिस संजीदगी के साथ मेहदी हसन ने पेश किया, वैसा न पहले किसी ने किया था और आगे भी कोई वैसा नहीं कर सकता। ग़ज़ल गायकी को शहंशाहत बख्शने वाले मेहदी हसन ही थे।'[6]
  • अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया है, 'मेहदी हसन के निधन के बारे में जानकर बहुत दु:ख हुआ। हसन बिल्कुल अलग और मार्मिक आवाज के मालिक थे। इस काबिलियत ने दुनिया भर में उन्हें शोहरत दिलाई।' 'मेहदी हसन के रुख़सत होने के साथ ही गजल गायिकी का एक युग समाप्त हो गया है। मेरे जेहन में अब उनकी सुंदर यादें और उनसे हुई मुलाकातें शेष रह गई हैं।'[7]
  • भारत की सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने पाकिस्तान के गज़ल सम्राट मेहदी हसन को 'शानदार गायक' बताते हुए कहा कि उनकी मौत की खबर से उन्हें सदमा लगा है। लता एवं मेहदी हसन ने एक अल्बम में एक गाने लिए एक साथ गाना गया था।[8]
  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मशहूर गजल गायक मेहदी हसन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी गायकी से पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सूफी संवेदना को जीवंत बना दिया। डॉ. सिंह ने यहां जारी एक शोक संदेश में कहा कि उर्दू शायरी के प्रति उनके अगाध प्रेम और ध्रुपद परम्परा में शुरुआती दीक्षा ने उन्हें गायकी की दुनिया में एक ख़ास जगह दिला दी।[9]
  • प्रसिद्ध गज़ल गायक अनूप जलोटा ने कहा, 'मेहदी हसन साहब का जाना बड़ा दुखदाई है। हर फनकार का अपना स्कूल होता है, लेकिन वह तो अपने फन की यूनिवर्सिटी थे। गजल गायिकी में हर किसी ने उनको सुनकर सीखा और अपना करियर बनाया है।'[10]

मशहूर ग़ज़लें

  • ज़िंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं...
  • अब के हम बिछड़े तो शायद
  • बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी...
  • रंजिश ही सही...
  • यूं ज़िंदगी की राह में...
  • मोहब्बत करने वाले कम ना होंगे...
  • हमें कोई ग़म नहीं था...
  • रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये...
  • न किसी की आंख का नूर...
  • शिकवा ना कर, गिला ना कर...
  • गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले...

सम्मान और पुरस्कार

मेहदी हसन को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जनरल अयूब ख़ाँ ने उन्हें 'तमगा-ए-इम्तियाज़', जनरल ज़िया उल हक़ ने 'प्राइड ऑफ़ परफ़ॉर्मेंस' और जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने 'हिलाल-ए-इम्तियाज़' पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके अलावा भारत ने 1979 में 'सहगल अवॉर्ड' से सम्मानित किया।

अंतिम समय

मेहदी हसन का आख़िरी समय काफ़ी तकलीफ़ में गुजरा। 12 सालों से लगातार बीमारी से जूझ रहे थे और उनका काफ़ी वक्त अस्पताल में गुज़रता था। मेहदी हसन का निधन कराची में 13 जून सन 2012 को फेंफड़ों में संक्रमण के कारण हो गया। वे भले आज हमारे बीच न हों मगर उनकी आवाज़ हमेशा लोगों के दिलों पर राज़ करती रहेगी।

मशहूर लेखक जावेद अख़्तर ने मेहदी हसन के निधन पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जाने के साथ ही ग़ज़ल गायकी का एक दौर खत्म हो गया। ग़ज़ल तो पहले भी गाई जाती थी, लेकिन मेहदी हसन ने ग़ज़ल गायकी को एक नया अंदाज़दिया था। मेहदी हसन ने गायकी का अपना ही एक रंग पैदा किया था। जावेद अख्तर ने कहा कि उनकी गजलें, ख़ास तौर से ‘रंजिश ही सही…’ 70 के दशक में भारत में ख़ासी लोकप्रिय हुईं। उर्दू को न जानने वाले भी ये ग़ज़लें सुनकर खो जाया करते थे।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गजल गायकी के बेताज बादशाह मेहदी हसन नहीं रहे (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) अमर उजाला। अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  2. यादों में मेहदी हसन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) रविवार। अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  3. मेरे उस्ताद मेहदी हसन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) रविवार। अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  4. उदास है मेहदी हसन का भारतीय गाँव (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) बी.बी.सी.। अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  5. मेहदी हसन के इलाज के लिए मदद की पेशकश (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) बी.बी.सी.। अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  6. पूरी सदी में मेहदी हसन जैसा कोई नहीं: आबिदा परवीन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) बी.बी.सी.। अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  7. अमिताभ ने मेहदी हसन के निधन पर जताया शोक (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  8. मेहदी हसन उत्कृष्ट गायक थे : लता मंगेशकर (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  9. मेहदी हसन ने गजल गायकी को ख़ास बनाया: मनमोहन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।
  10. अपने फन की यूनिवर्सिटी थे मेहदी साहब: जलोटा (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 14 जून, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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