राजनेता

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राजनेता (अंग्रेज़ी: Politician) उस व्यक्ति को कहते हैं जो मूलत: राजनीतिक दर्शन के आधार पर राजनीति के क्षेत्र में कभी भी नीतिगत सिद्धान्तों से समझौता नहीं करता। एक अच्छा नेता सच्चा, समसामयिक, पारदर्शी, दूरदर्शी और एक सुखद व्यक्तित्व वाला होता है। उसके पास एक मिशन, एक दर्शन, बलिदान, करुणा और प्रतिबद्धता की भावना होती है।

विशेषताएँ

लोगों के लिए अत्यंत प्रेम और करुणा का भाव नेतृत्व का प्रतिबिम्ब है। इसका अर्थ यह हुआ कि नेता बनने के गुण कुछ अंश तक हर व्यक्ति में छुपे होते हैं। इन गुणों को पोषित करना चुनौती है। प्रभावी नेता बनने के लिए 10 गुण जरूरी हैं। प्रभावी नेतृत्व के लिए आवश्यक 10 कौशल हैं[1]-

  1. नेता चाहे राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक कोई भी हो, उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपनी प्रतिबद्धताएं बताने की क्षमता हर व्यक्ति में अलग होती है। अधिकतर यह किसी के रुचियों अथवा अरुचियों पर निर्भर करती है। तो भी नेता को एक ही मापक यंत्र से सबको मापना होता है। उसे सही समय पर उचित निर्णय लेने के लिए वांछित बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है।
  2. समाज में सभी लोग एक जैसे नहीं होते। हर व्यक्ति को संतुष्ट नहीं कर सकते। पर नेता को सबको साथ लेकर चलना एवं समान न्याय करना होता है।
  3. नेता की आलोचना भी होती है। उसे हालात का सामना भावुकता से नहीं करना चाहिए। प्रायः नेता दुराचारियों से घिरे होते हैं, जो निजी उद्देश्यों के लिए उनके अहम को बढ़ावा देते हैं। नेता को कोई भी काम करने के लिए आस पास के लोगों की मदद चाहिए होती है। उन पर निर्भर भी होना पड़ता है। पर ऐसा नहीं लगना चहिए कि सहायकों से घिर कर वह एक किले में बंद होकर रह गया है।[1]
  4. सच्चे नेता में जिस सबसे बड़े गुण की अपेक्षा की जाती है, वह है आलोच कों की तरफ हाथ बढ़ाने का साहस और उन्हें सुनने का धैर्य। सच्चा नेता अपने द्वार पर आई असफलता और सफलता को एक भाव से लेता है। आजकल नेता अपनी कमजोरियों के कारण अथवा अपने गलत कार्यों पर सफाई देते हुए हर समय स्वयं को आलोचना से बचाने के प्रयत्न में रहते हैं। एक सच्चानेता ना तो शिकायत करता है, ना ही सफाई देता है। बल्कि हर समय कुछ सीखने को तैयार रहता है। एक अच्छा नेता दूसरों पर दोषा रोपण नहीं करता।
  5. एक सच्चानेता आदर्शवादिता, व्यावहारिकता और दूरगामी लक्ष्यों व छोटी अवधि वाली जरूरतों के बीच सामंजस्य बनाता है। जो नेता केवल आदर्शवादिता पर ही निर्भर करते हैं या जो केवल व्यावहारिक ही रहना चाहते हैं, वो बिना किसी सिद्धांत के असफल रहते हैं।
  6. नेता केवल सामान्य या विशेष नहीं हो सकता। उसे समाज के लोगों के व्यक्तिगत ध्यान एवं समूह समाज एवं राष्ट्र के प्रति सामान्य दृष्टिकोण के मध्य एक संतुलन स्थापित करना आवश्यक है।
  7. नेता में अपने दुर्बल लक्षण स्वीकारने का साहस होना चाहिए। उसे समझना चाहिए कि लोग उदार हृदय होते हैं। वह उसकी स्पष्टवादिता की सराहना करेंगे। इन्हें छिपाने के बजाय वह उसकी दुर्बलता को स्वीकार करेंगे।
  8. कुछ नेताओं का दृष्टिकोण अत्यंत राजनयिक एवं कुछ का अत्यंत स्पष्टतापूर्ण होता है। लोग अत्यंत राजनयिक नेता पर विश्वास नहीं करते। स्पष्टवादिता की आड़ में अपने अशिष्ट व्यवहार की सफाई देने वाले नेता को भी लोग पसंद नहीं करते। अत्यंत स्पष्टवादी एवं तीव्र प्रहारक दृष्टिकोण वाले नेताओं का कोई अनुयायी नहीं बनता। यह तो गिटार को साधने जैसा है। अगर गिटार के तार बहुत कसे जाएं या उन्हें ढीला छोड़ दिया जाए तो गिटार को बजाया नहीं जा सकता है। नेता को भी राजनयिकता एवं स्पष्टवादिता के बीच संतुलन बैठाना चाहिए।
  9. खुद को हमेशा ठीक समझने वाले या फिर प्रत्येक अच्छे कार्य का श्रेय खुद लेने वाले नेताओं से लोग दूरी बना लेते हैं। नेता को दूसरे के योगदान को स्वीकार करना चाहिए। परंतु यह योगदान उन्हें घमंडी न बना दे, ध्यान रखें।[1]
  10. एक नेता भीड़ तो इकट्ठी कर सकता है। पर उसे समझना चाहिए कि भीड़ थोड़े समय के लिए होती है। अदूरदर्शी नेता भीड़ जुटाता है, जबकि बुद्धिमान नेता आंदोलन चलाता है। महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर प्रेरक नेताओं के उदाहरण हैं। उन्होंने आंदोलन चलाया।

यह सब भले ही काल्पनिक लगता हो, परंतु हम अत्यधिक सफल नेताओं के जीवन को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि यह गुण उनमें किसी न किसी समय अवश्य प्राकृतिक रूप से दिखे हैं। नेतृत्व कौशल विस्तृत करने के लिए तुम्हें अधिक कुछ नहीं करना। सिर्फ इनके प्रति जागरूकता ही अच्छा नेता बनने के लिए पर्याप्त हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 प्रभावशाली नेता की 10 विशेष योग्यताएं (हिंदी) dsyindia.org। अभिगमन तिथि: 16 नवंबर, 2021।

बाहरी कड़ियाँ

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