रात
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
रात अथवा रात्रि सूर्यास्त के बाद सूर्योदय तक के समय को कहा जाता है।
- रात्रि एवं उषा को ऋग्वेद[1] में अग्नि का रूप कहा गया है। वे एक युग्म देवत्व की रचना करती हैं। दोनों आकाश (स्वर्ग) की बहन तथा ऋतु की माता हैं। रात्रि के लिए केवल एक ऋचा है।[2]
- मैकडॉनेल के अनुसार रात्रि को अंधकार का प्रतियोगी रूप मानकर 'चमकीली रात' कहा गया है। इस प्रकार प्रकाशपूर्ण रात्रि घने अंधकार के विरोध में खड़ी होती है।[3]
- प्राचीन समय से ही हिन्दू धर्म में रात का समय काफ़ी महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों तथा तांत्रिक क्रियाओं आदि के लिए रात का समय उपयुक्त माना जाता है।
- हिन्दू धर्म में अमावस्या तथा पूर्णिमा की रात का भी अपना महत्त्व है। कई धार्मिक त्योहार भी रात्रि से ही जुड़े हैं, जैसे- जन्माष्टमी, शिवरात्रि तथा दीपावली आदि।
हिन्दी | सूर्यास्त के बाद सूर्योदय तक का समय। रजनी, निशा। |
-व्याकरण | स्त्रीलिंग |
-उदाहरण | अश्वत्थामा रात में अंधकार का लाभ उठाकर पांडव शिविर में घुस गया और वहाँ सोते हुए धृष्टद्युम्न, शिखंडी तथा द्रौपदी के पाँचों पुत्रों आदि का वध कर दिया। |
-विशेष | ध्रुव प्रदेशों में 6 महीने की रात और 6 महीने का दिन होता है। |
-विलोम | दिन |
-पर्यायवाची | निशा, क्षया, रैन, रात, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी। |
संस्कृत | [< संस्कृत रात्र/रात्रि] |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
संबंधित लेख