शाह फख़रुद्दीन देहलवी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

शाह फख़रुद्दीन देहलवी (जन्म‌- 1714, औरंगाबाद, मृत्यु- 1785, दिल्ली) धार्मिक व्यक्ति थे। इन्होंने अपना पूरा समय ईश्वर के ध्यान में और लोगों को शिक्षा देने में लगाया।

परिचय

धार्मिक व्यक्ति शाह फखरुद्दीन का जन्म 1714 ई. में औरंगाबाद में हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद ये कुछ समय तक शाही सेना में रहे। परंतु ईश्वर भक्ति की ओर चित्त लगे रहने के कारण वहां अधिक समय तक नहीं रह सके। दिल्ली आकर इन्होंने अपना पूरा समय ईश्वर के ध्यान में और लोगों को शिक्षा देने में लगाया।[1]

नम्र स्वभाव

शाह फख़रुद्दीन देहलवी बहुत विनीत और नम्र स्वभाव के थे और लोगों की सेवा करना ही इनके जीवन का लक्ष्य था। वे सभी धर्मों के लोगों से बड़े प्रेम से मिलते थे। उन्होंने जुम्मे की नमाज के खुतबे को हिंदी में पढ़ने की सलाह दी थी।

रचनाएँ

इनके रचे हुए 'निजामुल अक्रायद मजीदिया' और 'फ़खुलहसुन' नामक ग्रंथ प्रसिद्ध हैं।

मृत्यु

शाह फख़रुद्दीन देहलवी का 1785 में दिल्ली में निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 839 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख