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12:17, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

  • सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 73° से 84° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की सप्तमी तथा 253° से 264° तक कृष्ण सप्तमी रहती है।
  • सप्तमी के स्वामी सूर्य हैं।
  • सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है।
  • शुक्रवार के दिन सप्तमी पड़ने पर ‘क्रकच’ नामक अशुभ योग होता है, जो शुभ कार्यों में निषिद्ध होता है।
  • सोमवार तथा शुक्रवार के दिन पड़ने वाली सप्तमी तिथि मृत्युदा और बुधवार के दिन सिद्धिदा होती है।
  • आषाढ़ कृष्ण सप्तमी को यह मास शून्य होती है। इस दिन किये गये शुभ कार्य सफल नहीं होते हैं।
  • सप्तमी की दिशा वायव्य है।
  • शुक्ल पक्ष की सप्तमी में शिववास शुभ और कृष्ण पक्ष सप्तमी में अशुभ होती है।
  • विशेष – सप्तमी तिथि सूर्य ग्रह की जन्म तिथि है, इसलिये शुभ कृत्यों में वर्जित रहती है।

गजकृत्यं विवाहादि संगीतं वस्त्रभूषणम्।
यात्राप्रवेशसंग्रामसिद्धेयुः सप्तमीतिथौ।।

सप्तम्यां न स्पृशेत्तैलं नीलवस्त्रं न धारयेत्।
न चाप्यामलकैः स्नानं न कुया्रत्कलहं नरः।
सप्तम्यां नैव कुर्वीत ताम्रपात्रेण भोजनम्।।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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