किरीट सवैया

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:58, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

किरीट सवैया नामक छंद आठ भगणों से बनता है। तुलसी, केशव, देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है। इसमें 12, 12 वर्णों पर यती होती है।

  • "जानकी जीवन को जन है जरि जाउ सो आँचल औरहि।" [1]
  • "तोरथो सरासन संकर को जेहि सोऽब कहा तुव लंक न तोरहि।"[2]
  • "अंसबली जनम्यौ जदुबंस, सुजान्यौ जसोमति कंस-कथा सुनि।" [3]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कवितावली, 7 : 26
  2. रामचन्द्रिका, 15 : 7
  3. (देव : शब्द रसायन, 5 : वीर-अद्भुत

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख