वराटिका सप्तमी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:39, 21 मार्च 2011 का अवतरण (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत किसी सप्तमी तिथि पर करना चाहिए।
  • कर्ता को केवल तीन वराटिकाओं (कौड़ियों) से क्रय किये हुए भोजन पर ही निर्वाह करना होता है, चाहे वह भोजन उसके लिए अनुचित ही क्यों न हो।
  • सूर्य देवता की पूजा करनी चाहिए।
  • इस व्रत का फल घोषित नहीं है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 184); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 726, भविष्यपुराण से उद्धरण)।

संबंधित लेख