अनवर हुसेन आरजू

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आरजू, अनवर हुसेन आरजू का खानदान हिरात से हिंदुस्तान आया और अजमेर में रहा। अजमेर से ये लोग लखनऊ गए और वहाँ 1875 में आरजू का जन्म हुआ। यहीं शिक्षा प्राप्त की और 12 साल की अवस्था में काव्यरचना करने लगे। ये प्राय: गजलें लिखते थे लेकिन नज्में, रुबाइयां, मसनवियां इत्यादि भी लिखीं। आरजू साहब सिर्फ शेर ही नहीं कहते थे बल्कि वे सफल नाट्यकार भी थे। आपने 'मतवाली जोगन', 'दिलजली बेरागन', 'शरारए हुस्न' नाटक लिखे। आप पहले उर्दू शायर हैं जिन्होंने फिल्म के वास्ते 'निरेरियो' और गाने इत्यादि लिखे। न्यू थिएटर्स (कलकत्ता) के साथ आपने काम किया। फिर बंबई चले गए और वहाँ बहुत सी फिल्मों में गाने और संवाद लिखे।

आपकी सर्वप्रियता का सबसे बड़ा कारण यह है कि गज़लों में भी आप बहुत कम फारसी और अरबी शब्दों का प्रयोग करते थे। आपके दो संग्रह हैं, 'जहाने आरजू' और 'फुगाने आरजु'; और एक संग्रह है 'सुरीली बांसुरी' जिसमें आपके खालिस बोलचाल की भाषा में लिखे हुए शेर हैं। मरने के कुछ समय पूर्व आप कराची चले गए थे जहाँ 1951 में आपका देहाँत हुआ।[1]




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 420 |

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