अनुर्विद

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अनुर्विद अवन्ति के एक राजकुमार का नाम था, जो विन्द और मित्रविन्दा का भाई था। वह श्रीकृष्ण के साथ अपनी बहिन मित्रविन्दा के विवाह के पक्ष में नहीं था।[1]

  • मित्रविन्दा का विवाह कृष्ण के साथ न करने के निर्णय से अनुर्विद का भाई विन्द भी सहमत था।
  • अनुर्विद को धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन मित्रविन्दा के विवाह हेतु अधिक उपयुक्त लगता था।[2]
  • मगध के राजा जरासन्ध ने अनुर्विद को मथुरा के दक्षिण प्रवेश द्वार पर नियुक्त किया था।[3]
  • गोमन्त के घेरे के समय भी अनुर्विद ने ही दक्षिण का भार मिला था।
  • भागवत के अनुसार अनुर्विद राजाधिदेवी का पुत्र था।[4]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 22 |
  2. भागवतपुराण 10.58.30; ब्रह्मांडपुराण 3.71.158
  3. भागवतपुराण 10.50.11 (3)
  4. भागवतपुराण 10.58.31; वायुपुराण 96.157; विष्णुपुराण 4.14.43

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