अन्यथानुपपत्ति
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अन्यथानुपपत्ति किसी अत्यायश्यक कारण के बिना किसी तथ्य के कारण होते हैं किंतु उनमें से कोई एक कारण सर्वप्रधान होता है। अन्य कारणों के रहते हुए भी इस प्रधान कारण के बिना कार्य की उत्पति संभव नहीं होती। इस प्रधान कारण के अभाव में जब कार्य की उत्पति असंभव होती है तब उस कार्य को असाधारण कारण के बिना 'अन्यथानुपपत्ति' कहा जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 130 |
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