अपान्तरतमा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

अपान्तरतमा हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत और मान्यताओं के अनुसार नारायण के भो: शब्द से उत्पन्न एक महर्षि थे। एक महात्मा (सिद्ध) का नाम जो माया से आवृत होने के कारण भगवान विष्णु की माया का रहस्य समझने में असमर्थ रहे।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 13 |

  1. भाग. 6.15.12, 9.4.57

संबंधित लेख