कवीन्द्राचार्य सरस्वती काशी के उन प्रमुख रचनाकारों में से थे, जिनका रीतिकाल में किसी राज दरबार से कोई सम्बन्ध नहीं था। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ इनके पाण्डित्य से बहुत प्रभावित था।[1]
- इनके द्वारा रचे ग्रंथों में प्रमुख हैं- 'कवीन्द्र कल्पद्रुम', 'पद चन्द्रिका', 'दशकुमार टीका', 'योगभाष्कर योग', 'शतपथ ब्राह्मण भाष्य' आदि।
- कवीन्द्राचार्य सरस्वती के 'कवीन्द्र कल्पलता', 'योग वशिष्ठ' और 'समरसार' हिन्दी ग्रंथ हैं।
- 'कवीन्द्र कल्पलता' में 150 छंदों से युक्त दारा शिकोह व उसकी बेगम पर प्रशस्ति गीत हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ काशी कथा, साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जनवरी, 2014।