जम्मू और कश्मीर का यातायात

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ऊंटों का झुंड, जम्मू और कश्मीर

भारतीय संघ सरकार ने जम्मू-कश्मीर में राजमार्गों और संचार सुविधाओं के विकास पर भारी विनियोग किया है। देश के विभाजन और कश्मीर पर भारत - पाकिस्तान विवाद के कारण श्रीनगर से झेलम की घाटी होते हुए रावलपिंडी का मार्ग अवरुद्ध हो गया। इसके कारण एक लम्बे और अधिक कठिन गाड़ी मार्ग को, जो बनिहाल दर्रे से होकर जाता था, सभी मौसमों में उपयोग योग्य राजमार्ग में बदलना ज़रूरी हो गया। इसी में शामिल है 'जवाहर सुरंग' (1959) का निर्माण, जो एशिया की सबसे लम्बी सुरंग है। मगर यह सड़क कई बार तीखे मौसम के कारण दुर्गम हो जाती है। जिसके कारण घाटी में आवश्यक वस्तुओं की कमी हो जाती है। एक सड़क श्रीनगर को कारगिल और लेह से मिलाती है। जम्मू उत्तर रेलवे का अन्तिम स्टेशन है। श्रीनगर और जम्मू वायमार्ग से दिल्ली और दूसरे भारतीय शहरो से जुड़े हुए हैं। श्रीनगर से लेह, लेह—जम्मू और लेह—दिल्ली के बीच भी वायुसेवाएँ उपलब्ध हैं।

सड़कें

राज्‍य में लोक निर्माण विभाग द्वारा रखरखाव की जाने वाली सड़कों की लंबाई 15,012 कि.मी. तक पहुंच गई है।

रेलवे

रेल सेवाएं केवल जम्मू तक उपलब्‍ध हैं। जम्मू-उधमपुर रेल लाइन के निर्माण का काम पूरा हो गया है। श्रीनगर तथा बारामुला तक रेलमार्ग विस्‍तार का काम शुरू हो गया है। उधमपुर-कटरा और काजीगुंज-बारामुला रेल लिंक परियोजना एक राष्‍ट्रीय परियोजना है।

उड्डयन

श्रीनगर, जम्मू और लेह राज्‍य के मुख्‍य हवाई अड्डे हैं जो जम्मू और कश्‍मीर को हवाई मार्ग से देश के अन्‍य भागों से जोड़ते हैं। श्रीनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर का बनाया गया है।


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