त्र्यंबक पर्वत

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त्र्यंबक पर्वत पश्चिमी घाट की गिरिमाला का एक पर्वत है। इसके एक भाग ब्रह्मगिरि से गोदावरी नदी निकलती है। ब्रह्मगिरि में एक प्राचीन दुर्ग भी है। त्र्यंबकेश्वर नाम की बस्ती नासिक से 18 मील दूर है। यह माना जाता है कि त्र्यंबक पर्वत गौतम ऋषि की तपोभूमि था।

  • पश्चिमी घाट में अनेक ऊंचे-नीचे पहाड़ी शिखर हैं।
  • इन्हीं दुर्गम शिखरों में एक ब्रह्मगिरी का शिखर हैं, जहाँ त्र्यंबक पर्वत का एक बिंदु है।
  • इस पर्वत के सिरे पर एक गोमुख है, जहाँ से एक पतली-सी जलधारा के रूप में गोदावरी का उद्गम होता है।
  • गोदावरी नदी को इस स्थान पर गंगा द्वार कहा जाता है।
  • प्राचीन काल में त्र्यंबक गौतम ऋषि‍ की तपोभूमि था।
  • अपने ऊपर लगे गोहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने कठोर तप कर शिव से गंगा को यहाँ अवतरित करने का वरदान माँगा था।
  • इस वरदान के फलस्वरूप ही दक्षिण की गंगा अर्थात् 'गोदावरी नदी' का उद्गम हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 419 |


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