नासिरा शर्मा

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नासिरा शर्मा
नासिरा शर्मा
पूरा नाम नासिरा शर्मा
जन्म 22 अगस्त, 1948
जन्म भूमि इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र साहित्यकार
मुख्य रचनाएँ नाटक- 'दहलीज', 'पत्थर गली'; कहानी- 'शामी कागज', 'इब्ने मरियम', 'संगसार'; उपन्यास- 'पारिजात', 'सात नदियां एक समंदर', 'कुईयांजान'।
भाषा हिंदी, फारसी भाषा, उर्दू, अंग्रेज़ी और पश्तो भाषा।
पुरस्कार-उपाधि व्यास सम्मान (2019), यूके कथा सम्मान ('कुईयांजान' के लिए), साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी 2016 ('परिजात' के लिए)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी स्त्री विमर्श की दृष्टि से नासिरा की कहानियाँ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इन पर प्रेमचंद, मंटो, तबस्सुम आदि का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
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इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

नासिरा शर्मा (अंग्रेज़ी: Nasira Sharma, जन्म: 22 अगस्त, 1948[1]) हिंदी की प्रसिद्ध कहानीकार और लेखिका हैं। इलाहाबाद में जन्मी नासिरा शर्मा को साहित्य विरासत में मिला। नासिरा शर्मा ने फारसी भाषा व साहित्य में एमए किया, उर्दू, अंग्रेज़ी और पश्तो भाषाओं पर उनकी गहरी पकड़ है, लेकिन उनके समृद्ध रचना संसार में दबदबा हिंदी का ही है। ईरानी समाज और राजनीति के साथ-साथ उन्हें साहित्य, कला व सांस्कृतिक विषयों का भी विशेषज्ञ माना जाता है। वर्ष 2006 में उपन्यास 'परिजात' के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा हुई। साल 2019 में नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास 'कागज़ की नाव' के लिये 'व्यास सम्मान' से सम्मानित किया गया।

साहित्यिक परिचय

स्त्री विमर्श की दृष्टि से नासिरा की कहानियाँ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इन पर प्रेमचंद, मंटो, तबस्सुम आदि का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। लेखिका ने विभाजन, ईरानी क्रांति, दंगो तथा विदेशी पृष्ठभूमि पर आधारित अनेक कहानियों लिखी हैं। इनकी अधिकांश कहानियों के केंद्र में औरत है खासतौर से ईरानी क्रांति के संदर्भ में लिखी गयी। नासिरा शर्मा की कहानियों में जिन औरतों की संवेदना को व्यक्त करने की कोशिश की गयी है वह भारतीय संदर्भ में उतनी ही प्रामाणिक दिखाई देती हैं। इनका कहानी संग्रह संगसार कई मायनों में महत्वपूर्ण कृति है। इसके अंतर्गत जितनी भी कहानियों लिखी उसेकी पृष्ठभूमि ईरान है। जिसमें धर्म, सत्ता और राजनीति के बीच किस तरह औरत सतायी जाती है यह दिखाने की कोशिश की गयी है। अयातुल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में होने वाली ईरानी क्रांति की वास्तविकता को इन कहानियों में उजागिर किया गया है। नासिरा शर्मा का उपन्यास 'सात नदियाँ एक समंदर' भी इसी विषय को आगे बढ़ाता है। नासिरा ने बेहद संजीदगी के साथ क्रांति के दौर में होने वाले मानव संहार की गाथा कही है। क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली औरतें क्रांति के बाद पर्दे में आ गयी। उनकी सामाजिक और राजनैतिक आजादी पर रोक लगा दी गयी। ईरान की क्रांति से जुड़े इस तरह के कड़वे यथार्थ को लेखिका ने बारिकी से उभारने की कोशिश की है। नासिरा शर्मा की कहानियाँ तथा उपन्यासों की पृष्ठभूमि मूलतः ईरान की है। इन कहानियों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो काफ़ी हद तक सही साबित होती है। औरत वहाँ भी धर्म और सत्ता के बीच फंसी रहती है और यहाँ भी। इस तरह लेखिका का लेखन क्षेत्र अत्यधिक विस्तार लिए हुए है। नासिरा शर्मा की कहानियों को भोगे हुए यथार्थ के विशेष संदर्भ में देखा जाए तो इन्होंने मुस्लिम समाज के भीतर स्त्रियों की दशा पर बेहतर ढंग से लिखा है। नासिरा स्वयं को स्त्रीवाद नहीं मानती हैं। इन्होंने औरत के लिए 'औरत' नामक पुस्तक लिखी जिसमें कामगार स्त्रियों के संदर्भ में लिखा गया है। लेखिका लगातार अपनी वर्गीय पक्षधरता बनाएं रखती हैं, जहाँ एकतरफ इस दौर की अनेक लेखिकाएं मध्यवर्गीय स्त्रियों को अपने लेखन का हिस्सा बनाती हैं। वहीं नासिरा निम्नवर्गीय तथा कामकाजी औरतों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं।[2]

प्रमुख कृतियाँ

नाटक
  • 'दहलीज'
  • 'पत्थर गली'
कहानी संग्रह
  • 'शामी कागज'
  • 'इब्ने मरियम'
  • 'संगसार'
  • 'ख़ुदा की वापसी'
  • 'इंसानी नस्ल'
  • 'बुतखाना'
  • 'दूसरा ताजमहल'
उपन्यास
  • 'परिजात'
  • 'सात नदियां एक समंदर'
  • 'ठीकरे की मंगनी'
  • 'जिंदा मुहावरे'
  • 'अक्षयवट'
  • 'कुईयांजान'
  • 'जीरो रोड'

सम्मान और पुरस्कार

उपन्यास 'कुइयांजान' के लिए उन्हें यूके कथा सम्मान से नवाजा गया। हिंदी में वर्ष 2016 साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास 'परिजात' के लिए दिये जाने की घोषणा हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी समय डॉट कॉम
  2. नासिरा शर्मा (हिन्दी) vle.du.ac.in। अभिगमन तिथि: 25 दिसंबर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

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