पूर्व रेलवे

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पूर्व रेलवे
पूर्व रेलवे का प्रतीक
विवरण 'पूर्व रेलवे' जिसे संक्षिप्त रूप में 'पूरे ' कहा जाता है, भारतीय रेलवे की महत्त्वपूर्ण इकाई है। इस रेलवे में चार मंडलों तक फैले 2493 रूट किलोमीटर हैं, जिनमें से 1405 मार्ग किलोमीटर में 25 के वी बिजली वाला ए सी कर्षण उपलब्ध है।
स्थापना 14 अप्रॅल, 1952
मुख्यालय कोलकाता
मण्डल 'हावड़ा', 'सियालदह', 'आसनसोल' और 'मालदा'।
विशेष पूर्व रेलवे को दो में से एक अंतर्राष्‍ट्रीय मेल/ एक्‍सप्रेस ट्रेन चालू करने का गौरव प्राप्‍त है। भारत और बांग्लादेश के बीच चल रही 'मैत्री एक्‍सप्रेस' को प्रथम बार 14 अप्रॅल, 2008 को गेदे होकर कोलकाता से ढाका तक चलाया गया था।
संबंधित लेख भारतीय रेल, उत्तर रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, रेल परिवहन, रेल इंजन, रेलवे उपकरण, मेट्रो रेल
अन्य जानकारी हावड़ा में चार एकड़ क्षेत्र में फैला रेल संग्रहालय पूर्व रेलवे के लिए गौरव का विषय है। इसका शुभारम्भ 7 अप्रैल, 2006 को किया गया।

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पूर्व रेलवे (अंग्रेज़ी: Eastern Railway) भारतीय रेल की एक इकाई है। इसे लघु रूप में 'पूरे' कहा जाता है। इसकी स्थापना 14 अप्रॅल, 1952 में हुई थी। इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है। इसके अंतर्गत 'हावड़ा', 'सियालदह', 'आसनसोल' तथा 'मालदा', ये चार मण्डल आते हैं।

सामान्य परिचय

पूर्व रेलवे का गठन 14 अप्रैल, 1952 को सियालदह, हावड़ा, आसनसोल और दानापुर मंडलों तथा समूचे बंगाल-नागपुर रेलवे को मिलाकर बने ईस्‍ट इंडियन रेलवे के एकीकरण द्वारा किया गया था। बाद में, दक्षिण में हावड़ा से विशाखापट्टनम तक, मध्‍य क्षेत्र में हावड़ा से नागपुर तक एवं उत्‍तर मध्‍य क्षेत्र में कटनी तक फैले बी.एन.आर. के भाग को पूर्व रेलवे से अलग करके 1 अगस्त, 1955 से दक्षिण पूर्व रेलवे का गठन किया गया। समय गुजरने के साथ नई लाइनों के पुनर्वितरण एवं निर्माण के पश्‍चात 30 सितंबर, 2002 तक पूर्व रेलवे 4245.61 किलोमीटर तक विस्‍तृत हो गया। 1 अक्टूबर, 2002 को तीन मंडलों, अर्थात् धनबाद, मुग़लसराय एवं दानापुर को पूर्व रेलवे से पृथक् कर नया क्षेत्र पूर्व मध्य रेलवे बनाया गया, जिसका मुख्‍यालय हाजीपुर में स्थित है। अभी, पूर्व रेलवे में चार मंडलों, अर्थात् सियालदह, हावड़ा, आसनसोल एवं मालदा, तक फैले 2493 रूट किलोमीटर हैं, जिनमें से 1405 मार्ग किलोमीटर में 25 के वी बिजली वाला ए सी कर्षण उपलब्ध है।

क्षेत्राधिकार

चार मंडलों द्वारा सेवित मंडल मुख्‍यालय एवं राज्‍य निम्न प्रकार हैं-

क्रम सं. मंडल एवं मुख्‍यालय मार्ग किलोमीटर सेवित राज्‍य
1. सियालदह 717 + 27(एनजी) पश्चिम बंगाल
2. हावड़ा 697 + 106(एनजी) पश्चिम बंगाल एवं झारखंड
3. आसनसोल 493 पश्चिम बंगाल, बिहार एवं झारखंड
4. मालदा 453 पश्चिम बंगाल, बिहार एवं झारखंड

पूर्व रेलवे का विस्‍तार पूर्व की ओर बांग्लादेश सीमा पर लालगोला, बेनापोल एवं गेदे तक, उत्‍तर में मालदा एवं किऊल तक, दक्षिण में ‍गंगासागर के निकट नामखाना तक और पश्चिम में आसनसोल एवं झाझा तक है। पूर्व रेलवे का प्रमुख रेलमार्ग हावड़ा से प्रारंभ होकर सीतारामपुर तक 221 कि.मी. तक जाता है, जहां से यह दिल्ली की ओर दो दिशाओं में बंट जाता है, एक मार्ग पटना होकर तथा दूसरा धनबाद-गया होकर। ये दोनों मार्ग पूर्व मध्य रेलवे के मुग़लसराय स्‍टेशन पर पुन: मिल जाते हैं। समीपवर्ती रेलों में से, उत्तर में उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे, पश्चिम में पूर्व मध्य रेलवे तथा दक्षिण में दक्षिण पूर्व रेलवे है। पूर्व रेलवे द्वारा सेवित क्षेत्र, देश की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि देश के सर्वाधिक घनी आबादी वाले क्षेत्र में सेवा प्रदान करने के अतिरिक्‍त यह रेलवे उद्योग, कृषि एवं खनिजों से भरे–पूरे क्षेत्र में भी अपनी सेवा प्रदान करती है।

कोचिंग सेवाएं

लंबी दूरी के यात्रियों की यातायात सेवा के लिए रेलवे लंबी दूरी की तीव्रगामी मेल/एक्‍सप्रेस गाडि़यां चलाती है। भारतीय रेलवे में पहली बार वर्ष 1969 में पूर्व एवं उत्‍तर रेलवे के क्रमश: हावड़ा और दिल्ली के बीच चलायी गई 'राजधानी एक्‍सप्रेस' का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। भारतीय रेल में सर्वाधिक तीव्र गति से चलने वाली गा‍ड़ी चलाने का श्रेय पुन: पूर्व रेलवे को जाता है, जिसने दुरन्‍त एक्‍सप्रेस गाडि़यों की शुरुआत की है। भारतीय रेलों में प्रथम 'दुरंतो एक्‍सप्रेस' सियालदह और नई दिल्ली के बीच 18 सितम्बर, 2009 को चलायी गयी।

उपनगरीय क्षेत्र में, पूर्व रेलवे के हावड़ा एवं सियालदह मंडल वृहत कोलकाता के बड़े हिस्से में रहने वाले उपनगरीय यात्रियों की आवश्‍यकताओं को पूरा कर रहे हैं। अधिकांश उपनगरीय मार्ग विद्युतीकृत हैं एवं प्रतिदिन लगभग 1250 ई एम यू /एम ई एम यू गाड़ियां चलती हैं, जिसके फलस्वरूपभारतीय रेलों में विद्यमान विशालतम उपनगरीय नेटवर्कों में इसका द्वितीय स्‍थान है। उन सेक्‍शनों में, जो विद्युतीकृत नहीं हैं, यात्रियों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए देश में पहली बार डीजल मल्‍टीपल यूनिट सेवा प्रारम्भ करने में भी पूर्व रेलवे अग्रणी रहा है। अन्य विद्युतीकृत मार्गों पर, गैर-उपनगरीय क्षेत्रों में यात्री सेवा उपलब्ध कराने के लिए मेमू[1] सेवा प्रारम्भ की गई है। दैनिक यात्रियों द्वारा इसे काफ़ी सराहा गया है। पूर्व रेलवे को दो में से एक अंतर्राष्‍ट्रीय मेल/ एक्‍सप्रेस ट्रेन चालू करने का गौरव प्राप्‍त है। भारत और बांग्लादेश के बीच चल रही 'मैत्री एक्‍सप्रेस' को प्रथम बार 14 अप्रॅल, 2008 को गेदे होकर कोलकाता से ढाका तक चलाया गया था।

मालभाड़ा सेवा

पूर्व रेलवे ने 2010-2011 के दौरान 54.89 मिलियन टन से अधिक माल का लदान करने के साथ-साथ भारी संख्या में यात्रियों एवं स्‍थानीय यातायात का वहन किया। पूर्व रेलवे के कुल प्रारंभिक यातायात में से कोयले का लदान 65-70% रहा। प्रमुख पावर हाउस[2] एवं पूर्वी भारत के उद्योग पूर्व रेलवे द्वारा लदान किए जाने वाले कोयले पर निर्भर हैं। यह रेलवे, कोयला के अतिरिक्‍त दुर्गापुर एवं बर्नपुर से लौह एवं इस्‍पात के उत्‍पादों, पाकुड़ एवं जमालपुर से पत्‍थर, दुर्गापुर से सीमेन्‍ट एवं अधिकांश वाणिज्यिक माल के साथ-साथ विभिन्‍न स्‍टेशनों से जूट, चाय, कपड़ा, ऑटोमोबाइल्‍स, कृषि उत्‍पाद आदि का भी परिवहन करती है। राजबांध एवं बज-बज का पी ओ एल संयंत्र, दुर्गापुर का सीमेंट कारखाना एवं आसनसोल, दुर्गापुर, चित्‍तरंजन, बर्नपुर के औद्योगिक संयंत्र तथा कोलकाता एवं हावड़ा के औद्योगिक उपनगरीय क्षेत्र इस रेलवे द्वारा सेवित हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच गेदे-दर्शना और पेट्रापोल-बेनापोल मार्ग होकर मालगाड़ी सेवाएं भी उपलब्‍ध हैं।

रेल संग्रहालय

हावड़ा में चार एकड़ क्षेत्र में फैला रेल संग्रहालय पूर्व रेलवे के लिए गौरव का विषय है। इसका शुभारम्भ 7 अप्रैल, 2006 को किया गया। वर्तमान में, इस अनूठा संस्था में अवस्थित रेलवे की समृद्ध विरासत का आनन्‍द लेने के लिए प्रतिमाह लगभग 25,000 दर्शक आते हैं। पर्यटकों एवं रेलवे के उत्‍साही लोगों के लिए यह एक अनिवार्य दर्शनीय स्‍थल बन गया है। हावड़ा में एक सांस्कृतिक परिसर तैयार करने सहित हावड़ा तथा बोलपुर में नये संग्रहालय स्‍थापित किये जाने की भी योजना है।

रेल मुख्यालय तथा मण्डल

रेल मुख्यालय तथा मण्डल
क्रमांक नाम संक्षेप स्थापना मुख्यालय मण्डल
1. उत्तर रेलवे उरे 14 अप्रैल, 1952 दिल्ली अम्बाला, दिल्ली, फिरोजपुर, लखनऊ और मुरादाबाद
2. पूर्वोत्तर रेलवे उपूरे 1952 गोरखपुर इज्जत नगर, लखनऊ, वाराणसी
3. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे पूसीरे 15 जनवरी, 1958 गुवाहाटी अलीपुर द्वार, कटिहार, लामडिंग, रंगिया, तिनसुकिया
4. पूर्व रेलवे पूरे 14 अप्रैल, 1952 कोलकाता हावड़ा, सियालदह, आसनसोल, मालदा
5. दक्षिणपूर्व रेलवे दपूरे 1955 कोलकाता आद्रा, चक्रधरपुर, खड़गपुर, राँची
6. दक्षिण मध्य रेलवे दमरे 2 अक्टूबर, 1966 सिकंदराबाद सिकंदराबाद, हैदराबाद, गुंटकल, गुंटूर, नांदेड़, विजयवाड़ा
7. दक्षिण रेलवे दरे 14 अप्रैल, 1951 चेन्नई चेन्नई, मदुरै, पालघाट, तिरुचिराप्पल्ली, त्रिवेंद्रम, सलेम (कोयंबतुर)
8. मध्य रेलवे मरे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई, भुसावल, पुणे, शोलापुर, नागपुर
9. पश्चिम रेलवे परे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई सेंट्रल, वड़ौदरा, रतलाम, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर
10. दक्षिण पश्चिम रेलवे दपरे 1 अप्रैल, 2003 हुबली हुबली, बैंगलोर, मैसूर
11. उत्तर पश्चिम रेलवे उपरे 1 अक्टूबर, 2002 जयपुर जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर
12. पश्चिम मध्य रेलवे पमरे 1 अप्रैल, 2003 जबलपुर जबलपुर, भोपाल, कोटा
13. उत्तर मध्य रेलवे उमरे 1 अप्रैल, 2003 इलाहाबाद इलाहाबाद, आगरा, झांसी
14. दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे दपूमरे 1 अप्रैल, 2003 बिलासपुर बिलासपुर, रायपुर, नागपुर
15. पूर्व तटीय रेलेवे पूतरे 1 अप्रैल, 2003 भुवनेश्वर खुर्दा रोड, संबलपुर, विशाखापत्तनम
16. पूर्वमध्य रेलवे पूमरे 1 अक्टूबर, 2002 हाजीपुर दानापुर, धनबाद, मुग़लसराय, समस्तीपुर, सोनपुर
17. कोंकण रेलवे केआर 26 जनवरी, 1998 नवी मुंबई कोई नहीं


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मेन लाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट
  2. एनटीपीसी-2440 मेगावाट, सीईएससी-975 मेगावाट, डब्‍ल्‍यू बी एस ई बी -1590 मेगावाट, डी वी सी-840 मेगावाट

बाहरी कड़ियाँ

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