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ज्यां द्रेज (अंग्रेजी: Jean Dreze) बेल्जियम में जनमें 1979 से भारत में हैं। 2002 में इन्हें भारत की नागरिकता मिली। अर्थशास्‍त्र पर डा ज्यां द्रेज की 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के साथ मिलकर कई पुस्तकें लिखीं। ज्यां द्वारा तैयार डेढ सौ से अधिक एकैडमिक पेपर्स, रिव्यू और अर्थशास्त्र पर लेख इकोनॉमिक्स के छात्रों, शोधकर्ताओं और सरकारी नीति निर्धारकों की पसंदीदा माने जाते हैं।


संक्षिप्त परिचय

ज्यां द्रेज ने इकोनॉमिक्स के विद्यार्थी ज्यां ने इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिच्यूट (नई दिल्ली) से पीएचडी किया। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स सहित दुनिया के कई ख्यात विश्वविद्यालयों में वह पिछले कई दशक से विजिटिंग लेक्चरर के तौर पर काम करते रहे हैं।

आदिम जनजातियों की विनाशलीला का मूक गवाह बनते झारखंड में ज्यां द्रेज की बातें अब तो यहाँ के शासकों को नागवार नहीं लगनी चाहिए। सरल-शालीन लहजे में द्रेज ने उस जमीनी हकीकत की बानगी भर दी है, जिसे कल तक आम लोगों का शिगुफा बताकर अफसर-नेता कन्नी काटते रहे। राज्य में नरेगा की बदहाली के पीछे अफसर-नेता-बिचौलियों की भ्रष्ट तिकडी की फजीहत करने की बजाय, महज उनका हवाला देकर इस अर्थशास्त्री ने विकास के धंसे पहियों को गति देने वाली चुनौतियां बताने की कोशिश की। वैसे भी पुते चेहरों पर और कालिख कोई क्यों खर्चे! लेकिन आम और खास में शायद यही अंतर होता है.. झारखंड की बदहाली ही नहीं, डा ज्यां द्रेज ने समाधान भी सुझाये हैं। नोबेल विजेता अमर्त्य सेन के साथ दर्जन भर पुस्तकों की रचना करने वाले, लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स सहित विश्व के कई ख्यात विश्वविद्यालयों में आख्यान देते रहे आर्थिक विकास विशेषज्ञ डा ज्यां द्रेज ने प्रशासनिक सुधार से लेकर कठोर राजनीतिक निर्णय तक की अनिवार्यता बतायी। सवालों का जवाब देते हुए ज्यां कहते हैं: एक राज्य जो भ्रष्टाचार और हिंसा पर सवारी कर रहा हो, जैसा झारखंड, उसके लिये ये कठिन राजनीतिक चुनौतियां हैं।

हिंदी राज्यों में नरेगा फेल हो जाने के सवाल पर डा ज्यां अफसरशाही के आचरण को चिह्नित करते हैं। वह नक्सलियों को बाधा नहीं मानते। वह कहते हैं कि नक्सली-उपद्रव के बहाने सरकारी अफसर सुदूर आबादी की उपेक्षा करते हैं। और इधर, कानून के वही रखवाले भ्रष्टाचार और हिंसा में लिप्त पाये जा रहे हैं। शायद यही कारण है कि गांवों में अबतक शासन का ‘दमनकारी’ चेहरा ही काबिज है। ज्यां कहते हैं कि भ्रष्टाचार को परास्त करना है तो राजस्थान से सीखो! नरेगा के आर्किटेक्‍ट कहे जाने वाले ज्यां द्रेज ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की मनमानी और राज्य में नरेगा काउंसिल की अकर्मण्यता पर बेबाक टिप्पणी की है। ज्यां स्वयं केंद्रीय नरेगा काउंसिल के सदस्य भी हैं। उन्होंने मीडिया के एक खास वर्ग को भी चिह्नित किया और यह सलाह देने से नहीं चूके कि उन्हें गहराई में जाकर खोजपरक रिपोर्टिंग करके ही निष्कर्ष प्रकाशित करना चाहिए, वही होगा समाज हित।