भारत का संविधान- परिशिष्ट 1

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भारत का संविधान- परिशिष्ट 1

संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954[1]

सं. आ. 48
राष्ट्रपति, संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति से, निम्नलिखित आदेश करते हैं :--
1. (1) इस आदेश का संक्षिप्त नाम संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 है ।
(2) यह 14 मई, 1954 को प्रवृत्त होगा, और ऐसा होने पर संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 को अधिक्रांत कर देगा ।
2. [2]संविधान के अनुच्छेद 1 तथा अनुच्छेद 370 के अतिरिक्त उसके 20 जून, 1964 को यथा प्रवृत्त और संविधान (उन्नीसवां संशोधन) अधिनियम, 1966, संविधान (इक्कीसवां संशोधन) अधिनियम, 1967, संविधान (तेईसवां संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 5, संविधान (चौबीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (पच्चीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2, संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972, संविधान (इकतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1973 की धारा 2, संविधान (तैंतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा 2, संविधान (अड़तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 2, 5, 6 और 7, संविधान (उनतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975, संविधान (चालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976, संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम, 1985 की धारा 2, 3 और 6 और संविधान (इकसठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 द्वारा यथासंशोधित, जो उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होने और वे अपवाद और उपांतरण जिनके अधीन वे इस प्रकार लागू होंगे, निम्नलिखित होंगे :-
(1) उद्देशिका
(2) भाग 1
अनुच्छेद 3 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :--
 “परंतु यह और कि जम्मू-कश्मीर राज्य के क्षेत्र को बढ़ाने या घटाने या उस राज्य के नाम या उसकी सीमा में परिवर्तन करने का उपबंध करने वाला कोई विधेयक उस राज्य के विधान-मंडल की सहमति के बिना संसद में पुर:स्थापित नहीं किया जाएगा ।“ ।
(3) भाग 2
(क) यह भाग जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में 26 जनवरी, 1950 से लागू समझा जाएगा ।
(ख) अनुच्छेद 7 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :-
 ‘’परंतु यह और कि इस अनुच्छेद की कोई बात जम्मू-कश्मीर राज्य के ऐसे स्थायी निवासी को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन करने के पश्चात् उस राज्य के क्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के अधीन लौट आया है जो उस राज्य में पुनर्वास के लिए या स्थायी रूप से लौटने के लिए उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन दी गई है, तथा ऐसा प्रत्येक व्यिक्त भारत का नागरिक समझा जाएगा ।‘’ ।
(4) भाग 3
(क) अनुच्छेद 13 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ।
[3]* * * * *
(ग) अनुच्छेद 16 के खंड (3) में, राज्य के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है ।
(घ) अनुच्छेद 19 में, इस आदेश के प्रारंभ से [4][[5][पच्चीस] वर्ष] की अवधि के लिए,--
(i) खंड (3) और (4) में, “अधिकार के प्रयोग पर” शब्दों के पश्चात् “राज्य की सुरक्षा या” शब्द अंत:स्थापित किए जाएंगे;
(ii) खंड (5) में, “या किसी अनुसूचित जनजाति के हितों के संरक्षण के लिए” शब्दों के स्थान पर “अथवा राज्य की सुरक्षा के हितों के लिए” शब्द रखे जाएंगे; और
(iii) निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:--
‘(7) खंड (2), (3), (4) और (5) में आने वाले “युक्तियुक्त निर्बंधन” शब्दों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे निर्बंधन ऐसे हैं जिन्हें समुचित विधान-मंडल युक्तियुक्त समझता है ।‘।
(ङ) अनुच्छेद 22 के खंड (4) में “संसद शब्द के स्थान पर “राज्य विधान-मंडल”शब्द रखे जाएंगे और खंड (7) में “संसद विधि द्वारा विहित कर सकेगी” शब्दों के स्थान पर “राज्य विधान-मंडल विधि द्वारा विहित कर सकेगा” शब्द रखे जाएंगे ।
(च) अनुच्छेद 31 में, खंड (3), (4) और (6) का लोप किया जाएगा, और खंड (5) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात्:--
 “(5) खंड (2) की कोई बात--
(क) किसी वर्तमान विधि के उपबंधों पर, अथवा
(ख) किसी ऐसी विधि के उपबंधों पर, जिसे राज्य इसके पश्चात्--
(i) किसी कर या शास्ति के अधिरोपण या अद्ग्रहण के प्रयोजन के लिए; अथवा
(ii) सार्वजनिक स्वास्थ्य की अभिवृद्धि या प्राण या संपत्ति के संकट-निवारण के लिए; अथवा
(iii) ऐसी संपत्ति की बाबत, जो विधि द्वारा निष्क्रांत संपत्ति घोषित की गई है,
बनाए,
कोई प्रभाव नहीं डालेगी ।‘’।
(छ) अनुच्छेद 31क में खंड (1) के परन्तुक का लोप किया जाएगा; और खंड (2) के उपखंड (क) के स्थान पर निम्नलिखित उपखंड रखा जाएगा, अर्थात्:--
(क) “संपदा” से ऐसी भूमि अभिप्रेत होगी जो कृषि के प्रयोजनों के लिए या कृषि के सहायक प्रयोजनों के लिए या चरागाह के लिए अधिभोग में है या पट्टे पर दी गई है और इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं, अर्थात्:---
(i) ऐसी भूमि पर भवनों के स्थल और अन्य संरचनाएं;
(ii) ऐसी भूमि पर खड़े वृक्ष ;
(iii) वन भूमि और वन्य बंजर भूमि;
(iv) जल से ढके क्षेत्र और जल पर तैरते हुए खेत ;
(v) जंदर और घराट स्थल;
(vi) कोई जागीर, इनाम, मुआफी या मुकर्ररी या इसी प्रकार का अन्य अनुदान,
किन्तु इसके अंतर्गत निम्नलिखित नहीं हैं:-
(i) किसी नगर, या नगरक्षेत्र या ग्राम आबादी में कोई भवन-स्थल या किसी ऐसे भवन या स्थल से अनुलग्न कोई भूमि;
(ii) कोई भूमि जो किसी नगर या ग्राम के स्थल के रूप में अधिभोग में है; या
(iii) किसी नगरपालिका या अधिसूचित क्षेत्र या छावनी या नगरक्षेत्र में या किसी क्षेत्र में, जिसके लिए कोई नगर योजना स्कीम मंजूर की गई है, भवन निर्माण के प्रयोजनों के लिए आरक्षित कोई भूमि ।‘।
[(ज) अनुच्छेद 32 में, खंड (3) का लोप किया जाएगा ।][6]
(झ) अनुच्छेद 35 में,---
(i) संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं;
(ii) खंड (क) (i) में, “अनुच्छेद 16 के खंड (3), अनुच्छेद 32 के खंड (3)” शब्दों, केष्ठकों और अंकों का लोप किया जाएगा; और
(iii) खंड (ख) के पश्चात् निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“(ग) संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पूर्व या पश्चात्, निवारक निरोध की बाबत जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई कोई विधि इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के उपबंधों में से किसी से असंगत है, किन्तु ऐसी कोई विधि उक्त आदेश के प्रारंभ से [7][[8][पच्चीस वर्ष के अवसान पर, ऐसी असंगति की मात्रा तक, उन बातों के सिवाय प्रभावहीन हो जाएगी जिन्हें उनके अवसान के पूर्व किया गया है या करने का लोप किया गया है ।“।
(ञ) अनुच्छेद 35 के पश्चात् निम्नलिखित नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
 “35क. स्थायी निवासियों और उनके अधिकारों की बाबत विधियों की व्यावृत्ति---इस संविधान में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवृत्त ऐसी कोई विद्यमान विधि और इसके पश्चात् राज्य के विधाम-मंडल द्वारा अधिनियमित ऐसी कोई विधि--
(क) जो उन व्यिक्तयों के वर्गों को परिभाषित करती है जो जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासी हैं या होंगे, या
(ख) जो---
(i) राज्य सरकार के अधीन नियोजन ;
(ii) राज्य में स्थावर संपत्ति के अर्जन ;
(iii) राज्य में बस जाने; या
(iv) छात्रवृत्तियों के या ऐसी अन्य प्रकार की सहायता के जो राज्य सरकार प्रदान करे अधिकार, की बाबत ऐसे स्थायी निवासियों को कोई विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदत्त करती है या अन्य व्यक्तियों पर कोई निर्बंधन अधिरोपित करती है, इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के किसी उपबंध द्वारा भारत के अन्य नागरिकों को प्रदत्त किन्हीं अधिकारों से असंगत है या उनको छीनती या न्यून करती है ।“।
(5) भाग 5
[9][(क) अनुच्छेद 55 के प्रयोजनों के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य की जनसंख्या तिरसठ लाख समझी जाएगी ;
(ख) अनुच्छेद 81 में, खंड (2) और (3) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखे जाएंगे, अर्थात् :---
 “(2) खंड (1) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए,---
(क) लोक सभा में राज्य को छह स्थान आबंटित किए जाएंगे ;
(ख) परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन गठित परिसीमन आयोग द्वारा राज्य को ऐसी प्रक्रिया के अनुसार, जो आयोग उचित समझे, एक सदस्यीय प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा;
(ग) निर्वाचन-क्षेत्र में, यथासाध्य, भौगोलिक रूप से संहत क्षेत्र होंगे और उनका परिसीमन करते समय प्राकृतिक विशेषताओं, प्रशासनिक इकाइयों की विद्यमान सीमाओं, संचार की सुविधाओं और लोक सुविधा को ध्यान में रखा जाएगा;
(घ) उन निर्वाचन-क्षेत्रों में, जिनमें राज्य विभाजित किया जाए, पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र समाविष्ट नहीं होंगे ।
(3) खंड (2) की कोई बात लोक सभा में राज्य के प्रतिनिधित्व पर तब तक प्रभाव नहीं डालेगी जब तक परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित परिसीमन आयोग के अंतिम आदेश या आदेशों के भारत के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को विद्यमान सदन का विघटन न हो जाए ।
(4) (क) परिसीमन आयोग राज्य की बाबत अपने कर्तव्यों में अपनी सहायता करने के प्रयोजन के लिए अपने साथ पांच व्यक्तियों को सहयोजित करेगा जो राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक सभा के सदस्य होंगे ।
(ख) राज्य से इस प्रकार सहयोजित किए जाने वाले व्यक्ति सदन की संरचना का सम्यक् ध्यान रखते हुए लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा नामनिर्दिष किए जाएंगे ।
(ग) उपखंड (ख) के अधीन किए जाने वाले प्रथम नामनिर्देशन लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974 के प्रारंभ से दो मास के भीतर किए जाएंगे ।
(घ) किसी भी सहयोजित सदस्य को परिसीमन आयोग के किसी विनिश्चय पर मत देने या हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं होगा ।
(ङ) यदि मृत्यु या पदत्याग के कारण किसी सहयोजित सदस्य का पद रिक्त हो जाता है तो उसे लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा और उपखंड (क) और (ख) के उपबंधों के अनुसार यथाशक्य शीघ्र भरा जाएगा ।“।
[10][(ग) अनुच्छेद 133 में खंड (1) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्:---
‘(1क) संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 3 के उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में इस उपांतरण के अधीन लागू होंगे कि उसमें “इस अधिनियम”, “यह अधिनियम पारित नहीं किया गया हो” और “इस अधिनियम द्वारा यथा संशोधित उस खंड के उपबंधों की” के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे क्रमश: “संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974, “उक्त आदेश के प्रारंभ, उक्त आदेश पारित नहीं किया गया हो और उक्त खंड के उपबंधों, जैसे कि वे उक्त आदेश के प्रारंभ के पश्चात् हों” के प्रति निर्देश हैं] ।
[11][(घ)] अनुच्छेद 134 के खंड (2) में “संसद्” शब्द के पश्चात् “राज्य के विधान-मंडल के अनुरोध पर” शब्द अंत:स्थापित किए जाएंगे ।
[12][(ङ)] अनुच्छेद 135 [13]**** और 139 का लोप किया जाएगा ।
[14] * * * * * *
[15][(5क) भाग 6
[16][(क) अनुच्छेद 153 से 217 तक, अनुच्छेद 219, अनुच्छेद 221, अनुच्छेद 223, 224, 224क और 225 तथा अनुच्छेद 227 से 237 तक का लोप किया जाएगा।]
(ख) अनुच्छेद 220 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) संशोधन आदेश, 1960 के प्रति निर्देश हैं ।
[17][(ग) अनुच्छेद 222 में, खंड (1) के पश्चात् निम्नलिखित नया खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्:---
 “(1क) प्रत्येक ऐसा अंतरण जो जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय से अथवा उस उच्च न्यायालय को हो, राज्यपाल के परामर्श के पश्चात् किया जाएगा ।“]]
(6) भाग 11
[18][(क) अनुच्छेद 246 के खंड (1) में आने वाले “खंड (2) और खंड (3)” शब्दों, कोष्टकों और अंकों के स्थान पर “खंड (2)” शब्द, कोष्ठक और अंक रखे जाएंगे और खंड (2) में आने वाले “खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी” शब्दों, कोष्ठक और अंक का तथा संपूर्ण खंड (3) और खंड (4) का लोप किया जाएगा ।]
[19][[20][(ख) अनुच्छेद 248 के स्थान पर निम्नलिखित अनुच्छेद रखा जाएगा, अर्थात्:---
 “248. अवशिष्ट विधायी शक्तियां--संसद को,--
[21][(क) विधि द्वारा स्थापित सरकार को आतंकित करने या जनता या जनता के किसी अनुभाग में आतंक उत्पन्न करने या जनता के किसी अनुभाग को पृथक् करने या जनता के विभिन्न अनुभागों के बीच समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आतंकवादी कार्यों को अंतर्वलित करने वाले क्रियाकलाप को रोकने के संबंध में ;]
[22][(कक) भारत की प्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता को अनअंगीकृत, प्रश्नगत या विच्छिन्न करने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग का अध्यर्पण कराने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग को संघ से विलग कराने वाले अथवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज, भारतीय राष्ट्रगान और इस संविधान का अपमान करने वाले [23][अन्य क्रियाकलाप को रोकने के संबंध में; और
(ख) (i) समुद्र या वायु द्वारा विदेश यात्रा पर ;
(ii) अंतर्देशीय विमान यात्रा पर ;
(iii) मनीआर्डर, फोनतार और तार को सम्मिलित करते हुए, डाक वस्तुओं पर,
कर लगाने के संबंध में,
विधि बनाने की अनन्य शक्ति है ।“ ।]
[24][स्पष्टीकरण---इस अनुच्छेद में, “आतंकवादी कार्य" से बमों, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थों या ज्वंलनशील पदार्थों या अग्न्यायुधों या अन्य प्राणहर आयुधों या विषों का या अपायकर गैसों या अन्य रसायनों या परिसंकटमय प्रकृति के किन्हीं अन्य पदार्थों का (चाहे वे जैव हों या अन्य) उपयोग करके किया गया कोई कार्य या बात अभिप्रेत है ।]
[25][(खख) अनुच्छेद 249 के खंड (1) में, “राज्य सूची में प्रगणित ऐसे विषय के संबंध में, जो उस संकल्प में विनिर्दिष्ट है,” शब्दों के स्थान पर उस संकल्प में विनिर्दिष्ट ऐसे विषय के संबंध में, जो संघ सूची या समवर्ती सूची में प्रगणित विषय नहीं है,” शब्द रखे जाएंगे ।]]
(ग) अनुच्छेद 250 में, “राज्य-सूची में प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में” शब्दों के स्थान पर “संघ-सूची में प्रगणित न किए गए विषयों के संबंध में भी” शब्द रखे जाएंगे ।
[26] * * * * *
(ङ) अनुच्छेद 253 में निम्नलिखित परन्तुक जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“परन्तु संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पश्चात्, जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में व्यवस्था के प्रभावित करने वाला कोई विनिश्चय भारत सरकार द्वारा उस राज्य की सरकार की सहमति से ही किया जाएगा ।"
[27] * * * * *
[28] [(च)] अऩुच्छेद 255 का लोप किया जाएगा ।
[29] [(छ)] अनुच्छेद 256 को उसके खंड (1) के रूप में पुन:संख्यांकित किया जाएगा और उसमें निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
 “(2) जम्मू-कश्मीर राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग करेगा जिससे उस राज्य के संबंध में संविधान के अधीन संघ के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का संघ द्वारा निर्वहन सुगम हो, और विशिष्टतया उक्त राज्य यदि संघ वैसी अपेक्षा करे, संघ की ओर से और उसके व्यय पर संपत्ति का अर्जन या अधिग्रहण करेगा अथवा यदि संपत्ति उस राज्य की हो तो ऐसे निबंधनों पर, जो करार पाए जाएं या करार के अभाव में जो भारत के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा नियुक्त मध्यस्थ द्वारा अवधारित किए जाएं, उसे संघ को अंतरित करेगा ।“।
[30]* * * * * *
[31][(ज) अनुच्छेद 261 के खंड (2) में “संसद द्वारा बनाई गई” शब्दों का लोप किया जाएगा ।]
(7) भाग 12
[32]* * * * * *
[33][(क)] अनुच्छेद 267 के खंड (2), अनुच्छेद 273, अनुच्छेद 283 के खंड (2) [34][और अनुच्छेद 290] का लोप किया गया ।
[35][(ख)] अनुच्छेद 266, 282, 284, 298, 299 और 300 में राज्य या राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं हैं ।
[36] [(ग)] अनुच्छेद 277 और 295 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं ।
(8) भाग 13
[37]*** अनुच्छेद 303 के खंड (1) में, “सातवीं अनुसूची की सूचियों में से किसी में व्यापार और वाणिज्य संबंधी किसी प्रविष्टि के आधार पर,” शब्दों का लोप किया जाएगा।
[38]* * * * * *
(9) भाग 14
[39][अनुच्छेद 312 में, “राज्यों के” शब्दों के पश्चात् “(जिसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य भी है)” कोष्ठक और शब्द अंत:स्थापित किए जाएंगे ।]
[40](10) भाग 15
(क) अनुच्छेद 324 के खंड (1) में, जम्मू-कश्मीर के विधान-मंडल के दोनों सदनों में से किसी सदन के निर्वाचनों के बारे में संविधान के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रति निर्देश है ।
[41][(ख) अनुच्छेद 325, 326, 327 और 329 में राज्य के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के प्रति निर्देश नहीं है।
(ग) अनुच्छेद 328 का लोप किया जाएगा।
(घ) अनुच्छेद 329 में, “या अनुच्छेद 328” शब्दों और अंकों का लोप किया जाएगा।]]
[42][(ङ) अनुच्छेद 329क में, खंड (4) और (5) का लोप किया जाएगा।]
(11) भाग 16
[43]* * * * * *
[44][(क)] अनुच्छेद 331, 332, 333, [45][336 और 337] का लोप किया जाएगा।
[46][(ख)] अनुच्छेद 334 और 335 में राज्य या राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है।
[47][(ग) अनुच्छेद 339 के खंड (1) में “राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों” शब्दों के स्थान पर “राज्यों की अनुसूचित जनजातियों” शब्द रखे जाएंगे।]
(12) भाग 17
इस भाग के उपबंध केवल वहीं तक लागू होंगे जहां तक वे---
(i) संघ की राजभाषा,
(ii) एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच, अथवा किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा, और
(iii) उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा, से संबंधित है।
(13) भाग 18
(क) अनुच्छेद 352 में निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:----
 “[48][(6)] केवल आंतरिक अशांति या उसका संकट सन्निकट होने के आधार पर की गई आपात की उद्घोषणा (अनुच्छेद 354 की बाबत लागू होने के सिवाय) जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में तभी लागू होगी [49][ जब वह--
(क) उस राज्य की सरकार के अनुरोध पर या उसकी सहमति से की गई है ; या
(ख) जहां वह इस प्रकार नहीं की गई है वहां वह उस राज्य की सरकार के अनुरोध पर या उसकी सहमति से राष्ट्रपति द्वारा बाद में लागू की गई है ।]”।
[50][(ख) अनुच्छेद 356 के खंड (1) में, इस संविधान के उपबंधों या उपबंध के प्रति निर्देशों का जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के संविधान के उपबंधों या उपबंध के प्रति निर्देश है :
[51][(खख) अनुच्छेद 356 के खंड (4) में दूसरे परन्तुक के पश्चात् निम्नलिखित परन्तुक अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात् :---
‘परन्तु यह भी कि जम्मू-कश्मीर राज्य के बारे में 18 जुलाई, 1990 को खंड (1) के अधीन जारी की गई उद्घोषणा के मामले में इस खंड के पहले परन्तुक में “तीन वर्ष” के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह [52]’ “सात वर्ष”] के प्रति निर्देश है]’]।
(ग) अनुच्छेद 360 का लोप किया जाएगा ।]
(14) भाग 19
[53]* * * * * *
[54][(क)] [55][अनुच्छेद 365] का लोप किया जाएगा ।
[56]* * * * * *
4[(ख)] अनुच्छेद 367 में निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात् :----
 “(4) इस संविधान के, जैसा कि वह जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होता है, प्रयोजनों के लिए,---
(क) इस संविधान या उसके उपबंधों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे उक्त राज्य के संबंध में लागू संविधान के या उसके उपबंधों के प्रति निर्देश भी हैं ।
[57][(कक) राज्य की विधान सभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा, जम्मू-कश्मीर के सदरे-रियासत के रूप में तत्समय मान्यताप्राप्त तथा तत्समय पदस्थ राज्य मंत्रि-परिषद् की सलाह पर कार्य करने वाले व्यिक्त के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के प्रति निर्देश हैं ।
(ख) उस राज्य की सरकार के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत अपनी मंत्रि-परिषद् की सलाह पर कार्य कर रहे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के प्रति निर्देश है :
परन्तु 10 अप्रैल, 1965 से पूर्व की किसी अवधि की बाबत, ऐसे निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत अपनी मंत्रि-परिषद् की सलाह से कार्य कर रहे सदरे-रियासत के प्रति निर्देश हैं ;]
(ग) उच्च न्यायालय के प्रति निर्देशों के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के उच्च न्यायालय के प्रति निर्देश हैं ;
[58]* * * * * *
[59][(घ)] उक्त राज्य के स्थायी निवासियों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनसे ऐसे व्यक्ति अभिप्रेत हैं जिन्हें राज्य में प्रवृत्त विधियों के अधीन राज्य की प्रजा के रूप में, संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ से पूर्व, मान्यता प्राप्त थी या जिन्हें राज्य के विधान-मडंल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा राज्य के स्थायी निवासियों के रूप में मान्यता प्राप्त है; और
1[(ङ) राज्यपाल के प्रति निर्देशों के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के प्रति निर्देश हैं :
परन्तु 10 अप्रैल, 1965 से पूर्व की किसी अवधि की बाबत, ऐसे निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे राष्ट्रपति द्वारा जम्मू-कश्मीर के सदरे-रियासत के रूप में मान्यता प्राप्त व्यक्ति के प्रति निर्देश हैं और उनके अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा सदरे-रियासत की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सक्षम व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त किसी व्यक्ति के प्रति निर्देश भी हैं ।]”]
(15) भाग 20
[60][(क) [61][अनुच्छेद 368 के खंड (2) में] निम्नलिखित परन्तुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :---
 “परन्तु यह और कि कोई संशोधन जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में तभी प्रभावी होगा जब वह अनुच्छेद 370 के खंड (1) के अधीन राष्ट्रपति के आदेश द्वारा लागू किया गया हो ।“;
[62][(ख)] अनुच्छेद 368 के खंड (3) के पश्चात् निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात् :---
 “(4) जम्मू-कश्मीर संविधान के---
(क) राज्यपाल की नियुक्ति, शक्तियों, कृत्यों, कर्तव्यों, उपलब्धियों, भत्तों, विशेषाधिकारों या उन्मुक्तियों ; या
(ख) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण, विभेद के बिना निर्वाचन नामावलि में सम्मिलित किए जाने की पात्रता, वयस्क मताधिकार और विधान परिषद् के गठन, जो जम्मू-कश्मीर संविधान की धारा 138, 139, 140 और 50 में विनिर्दिष्ट विषय हैं,
से संबंधित किसी उपबंध में या उसके प्रभाव में कोई परिवर्तन करने के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि का कोई प्रभाव तभी होगा जब ऐसी विधि राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखने के पश्चात्, उनकी अनुमति प्राप्त कर लेती है ।“]।
(16) भाग 21
(क) अनुच्छेद 369, 371, [63][371क,] [64][372क,] 373, अनुच्छेद 374 के खंड (1), (2), (3) और (5) और [65][अनुच्छेद 376 से 378क तक का और अनुच्छेद 392] का लोप किया जाएगा ।
(ख) अनुच्छेद 372 में,---
(i) खंड (2) और (3) का लोप किया जाएगा ;
(ii) भारत के राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त विधि के प्रति निर्देशों के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यक्षेत्र में विधि का बल रखने वाली हिदायतों, ऐलानों, इश्तिहारों, परिपत्रों, रोबकारों, इरशादों, याददाश्तों, राज्य परिषद् के संकल्पों, संविधान सभा के संकल्पों और अन्य लिखतों के प्रति निर्देश भी होंगे ; और
(iii) संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ।
(ग) अनुच्छेद 374 के खंड (4) में राज्य में प्रिवी कौंसिल के रूप में कार्यरत प्राधिकारी के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह जम्मू-कश्मीर संविधान अधिनियम, संवत् 1996 के अधीन गठित सलाहकार बोर्ड के प्रति निर्देश है, और संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं ।
(17) भाग 22
अनुच्छेद 394 और 395 का लोप किया जाएगा ।
(18) पहली अनुसूची
(19) दूसरी अनुसूची
[66]* * * * * *
(20) तीसरी अनुसूची
प्ररूप 5, 6, 7 और 8 का लोप किया जाएगा ।
(21) चौथी अनुसूची
[67][(22) सातवीं अनुसूची
(क) संघ-सूची में,---
(i) प्रविष्टि 3 के स्थान पर “3. छावनियों का प्रशासन” प्रविष्टि रखी जाएगी ;
[68][(ii) प्रविष्टि 8, 9, [69][और 34], [70]*** प्रविष्टि 79 और प्रविष्टि 81 में, “अंतरराज्यीय प्रव्रजन” शब्दों का लोप किया जाएगा ;]
[71]* * * * * *
[72][(iii) प्रविष्टि 72 में,---
(क) किसी ऐसी निर्वाचन याचिका में जिसके द्वारा उस राज्य के विधान-मंडल के दोनों सदनों में से किसी सदन के लिए निर्वाचन प्रश्नगत है, जम्मू-कश्मीर राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा किए गए किसी विनिश्चय या आदेश के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय को अपीलों के संबंध में राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश हैं ;
(ख) अन्य मामलों के संबंध में राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत उस राज्य के प्रति निर्देश नहीं है ; [73][और]]
[74][(iv) प्रविष्टि 97 के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात् :---
[75][97. (क) विधि द्वारा स्थापित सरकार को आतंकित करने या लोगों या लोगों के किसी अनुभाग में आतंक उत्पन्न करने या लोगों के किसी अनुभाग को पृथक् करने या लोगों के विभिन्न अनुभागों के बीच समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आतंकवादी कार्यों को अंतर्वलित करने वाले,
(ख) भारत की प्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता को अनअंगीकृत, प्रश्नगत या विच्छिन्न करने, अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग का अध्यर्पण कराने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के भाग को संघ से विलग कराने अथवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज, भारतीय राष्ट्रगान और इस संविधान का अपमान करने वाले,
क्रियाकलाप को रोकना,
समुद्र या वायु द्वारा विदेश यात्रा, अंतर्देशीय विमान यात्रा और डाक वस्तुओं पर जिनके अंतर्गत मनीआर्डर, फोनतार और तार हैं, कर ।
स्पष्टीकरण---इस प्रविष्टि में, “आतंकवादी कार्य” का वही अर्थ है जो अनुच्छेद 248 के स्पष्टीकरण में है ।]]
(ख) राज्य सूची का लोप किया जाएगा ।
[76][(ग) समवर्ती सूची में,---
[77][(i) प्रविष्टि 1 के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात् :--
 “1. दंड विधि, (जिसके अंतर्गत सूची 1 में विनिर्दिष्ट विषयों में से किसी विषय से संबंधित विधियों के विरुद्ध अपराध और सिविल शक्ति की सहायता के लिए नौ सेना, वायु सेना या संघ के किन्हीं अन्य सशस्त्र बलों के प्रयोग नहीं है) जहां तक ऐसी दंड विधि इस अनुसूची में विनिर्दिष्ट विषयों में से किसी विषय में से किसी विषय से संबंधित विधि के विरुद्ध अपराधों से संबंधित है ।“]
[78][[79][(iक) प्रविष्टि 2 के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात् :---
 “2. दंड प्रक्रिया (जिसके अंतर्गत अपराधों को रोकना तथा दंड न्यायालयों का, जिनके अंतर्गत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय नहीं हैं, गठन और संगठन है) जहां तक उसका संबंध---
(i) किन्हीं ऐसे विषयों से, जो ऐसे विषय हैं, जिनके संबंध में संसद को विधियां बनाने की शक्ति है, संबंधित विधियों के विरुद्ध अपराधों से है ; और
(ii) किसी विदेश में राजनयिक और कौंसलीय अधिकारियों द्वारा शपथ दिलाए जाने तथा शपथपत्र लिए जाने से है ।“,
(iख) प्रविष्टि 12 के स्थान पर, निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात् :---
“12. साक्ष्य तथा शपथ, जहां तक उनका संबंध---
(i) किसी विदेश में राजनयिक और कौंसलीय अधिकारियों द्वारा शपथ दिलाए जाने तथा शपथपत्र लिए जाने से है ; और
(ii) किन्हीं ऐसे अन्य विषयों से है, जो ऐसे विषय हैं, जिनके संबंध में संसद को विधियां बनाने की शक्ति है।“]
(iग) प्रविष्टि 13 के स्थान पर “13. सिविल प्रक्रिया, जहां तक उसका संबंध किसी विदेश में राजनयिक तथा कौंसलीय अधिकारियों द्वारा शपथ दिलाए जाने तथा शपथपत्र लिए जाने से है” प्रविष्टि रखी जाएगी ;]
[80]* * * * * *
[81][[82](ii) प्रविष्टि 30 के स्थान पर “30. जन्म-मरण सांख्यिकी, जहां तक उसका संबंध जन्म तथा मृत्यु से है, जिसके अंतर्गत जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण है” प्रविष्टि रखी जाएगी ;]
[83]* * * * *
[84][(iii) प्रविष्टि 3, प्रविष्टि 5 से 10 तक (जिसमें ये दोनों सम्मिलित हैं), प्रविष्टि 14,15, 17, 20, 21, 27, 28, 29, 31, 32, 37, 38, 41 तथा 44 का लोप किया जाएगा ;
(iiiक) प्रविष्टि 42 के स्थान पर “42. संपत्ति का अर्जन और अधिग्रहण, जहां तक उसका संबंध सूची 1 की प्रविष्टि 67 या सूची 3 की प्रविष्टि 40 के अंतर्गत आने वाली संपत्ति के या किसी ऐसी मानवीय कलाकृति के, जिसका कलात्मक या सौंदर्यात्मक मूल्य है, अर्जन से है” प्रविष्टि रखी जाएगी ; और]
[85][(iv) प्रविष्टि 45 में, “सूची 2 या सूची 3” के स्थान पर “इस सूची” शब्द रखे जाएंगे ।]
(23) आठवीं अनुसूची
[86][(24) नवीं अनुसूची
[87][(क)] प्रविष्टि 64 के पश्चात्, निम्नलिखित प्रविष्टियां जोड़ी जाएंगी, अर्थात् :---
[88][64क] जम्मू-कश्मीर राज्य कुठ अधिनियम (संवत् 1978 का सं0 1);
[89][64ख] जम्मू-कश्मीर अभिधृति अधिनियम (संवत् 1980 का सं0 2);
[90][64ग] जम्मू-कश्मीर भूमि अन्य संक्रमण अधिनियम (संवत् 1995 का सं0 5);
[91]* * * * *
[92][64घ] जम्मू-कश्मीर बृहद् भू-संपदा उत्सादन अधिनियम (संवत् 2007 का सं0 17);
[93][64ङ] जागीरों और भू-राजस्व के अन्य समनुदेशनों आदि के पुनर्ग्रहण के बारे में 1951 का आदेश सं0 6-एच, तारीख 10 मार्च, 1951;
[94][64च] जम्मू-कश्मीर बंधक संपत्ति की वापसी अधिनियम, 1976 (1976 का अधिनियम 14);
64छ. जम्मू-कश्मीर ऋणी राहत अधिनियम, 1976 (1976 का अधिनियम 15) ।]
[95][(ख) संविधान (उनतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975 द्वारा अंत:स्थापित प्रविष्टि 87 से 124 तक को क्रमश: प्रविष्टि 65 से 102 के रूप में पुन:संख्यांकित किया जाएगा ।]
[96][(ग) प्रविष्टि 125 से 188 तक को क्रमश: प्रविष्टि 103 से 166 के रूप में पुन:संख्यांकित किया जाएगा ।]
[97][(25) दसवीं अनुसूची
(क) “[अनुच्छेद 102(2) और अनुच्छेद 191(2)]” शब्दों, कोष्ठकों और अंकों के स्थान पर, [अनुच्छेद 102(2)]” कोष्ठक, शब्द और अंक रखे जाएंगे ;
(ख) पैरा 1 के खंड (क) में, “या किसी राज्य की, यथास्थिति, विधान सभा या विधान-मंडल का कोई सदन” शब्दों का लोप किया जाएगा;
(ग) पैरा 2 में,---
(i) उपपैरा 1 में, स्पष्टीकरण के खंड (ख) के उपखंड (ii) में, “यथास्थिति, अनुच्छेद 99 या अनुच्छेद 188” शब्दों और अंकों के स्थान पर, “अनुच्छेद 99” शब्द और अंक रखे जाएंगे ;
(ii) उपपैरा (3) में, “यथास्थिति, अनुच्छेद 99 या अनुच्छेद 188” शब्दों और अंकों के स्थान पर, “अनुच्छेद 99” शब्द और अंक रखे जाएंगे ;
(iii) उपपैरा (4) में, संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम, 1985 के प्रारंभ के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) संशोधन आदेश, 1989 के प्रारंभ के प्रति निर्देश है;
(घ) पैरा 5 में, “अथवा किसी राज्य की विधान परिषद् के सभापति या उप सभापति अथवा किसी राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष” शब्दों का लोप किया जाएगा ;
(ङ) पैरा 6 के उपपैरा (2) में, “यथास्थिति, अनुच्छेद 122 के अर्थ में संसद की कार्यवाहियां हैं या अनुच्छेद 212 के अर्थ में राज्य के विधान-मंडल की कार्यवाहियां हैं” शब्दों और अंकों के स्थान पर “अनुच्छेद 122 के अर्थ में संसद की कार्यवाहियां हैं” शब्द और अंक रखे जाएंगे;
(च) पैरा 8 के उपपैरा (3) में, “यथास्थिति, अनुच्छेद 105 या अनुच्छेद 194” शब्दों और अंकों के स्थान पर, “अनुच्छेद 105” शब्द और अंक रखे जाएंगे ।]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विधि मंत्रालय की अधिसूचना सं.का.नि.आ. 1610, तारीख 14 मई, 1954 भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग 2, धारा 3, पृष्ठ 821 में प्रकाशित ।
  2. प्रारंभ में आने वाले शब्द संविधान आदेश 56, संविधान आदेश 74, संविधान आदेश 76, संविधान आदेश 79, संविधान आदेश 89, संविधान आदेश 91, संविधान आदेश 94, संविधान आदेश 98, संविधान आदेश 103, संविधान आदेश 104, संविधान आदेश 105, संविधान आदेश 108, संविधान आदेश 136 और तत्पश्चात् संविधान आदेश 141 द्वारा संशोधित होकर उपरोक्त रूप में आए ।
  3. संविधान आदेश 124 द्वारा (4-2-1985 से) खंड (ख) का लोप किया गया।
  4. संविधान आदेश 69 द्वारा “दस वर्ष” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  5. संविधान आदेश 97 द्वारा “बीस” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  6. संविधान आदेश 89 द्वारा खंड (ज) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  7. संविधान आदेश 69 द्वारा “दस वर्ष” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  8. संविधान आदेश 97 द्वारा “बीस” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  9. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (क) और खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  10. संविधान आदेश 98 द्वारा अंत:स्थापित ।
  11. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (ग) और खंड (घ) को खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  12. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (ग) और खंड (घ) को खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  13. संविधान आदेश 60 द्वारा अंक “136” का लोप किया गया ।
  14. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (च) और खंड (छ) का लोप किया गया ।
  15. संविधान आदेश 60 द्वारा (26-1-1960 से) अंत:स्थापित ।
  16. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  17. संविधान आदेश 74 द्वारा (24-11-1965 से) खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  18. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  19. संविधान आदेश 85 द्वारा खंड (ख) और खंड (खख), मूल खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  20. संविधान आदेश 93 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  21. संविधान आदेश 122 द्वारा अंत:स्थापित।
  22. संविधान आदेश 122 द्वारा खंड (क) को खंड (कक) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
  23. संविधान आदेश 122 द्वारा “क्रियाकलापों को रोकने” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  24. संविधान आदेश 122 द्वारा अंत:स्थापित ।
  25. संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (खख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  26. संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (घ) का लोप किया गया।
  27. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (च) का लोप किया गया।
  28. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (छ) और खंड (ज) को खंड (च) और खंड (छ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  29. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (छ) और खंड (ज) को खंड (च) और खंड (छ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  30. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (झ) का लोप किया गया।
  31. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (ञ) को खंड (झ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया और तत्पश्चात् संविधान आदेश 66 द्वारा उसे खंड (ज) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
  32. संविधान आदेश 55 द्वारा अंत:स्थापित खंड (क) और खंड (ख) का संविधान आदेश 56 द्वारा लोप किया गया ।
  33. संविधान आदेश 55 द्वारा खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) को क्रमश: खंड (ग), खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया और तत्पश्चात् संविधान आदेश 56 द्वारा उन्हें क्रमश: खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  34. संविधान आदेश 94 द्वारा “अनुच्छेद 290 और अनुच्छेद 291” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  35. संविधान आदेश 55 द्वारा खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) को क्रमश: खंड (ग), खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया और तत्पश्चात् संविधान आदेश 56 द्वारा उन्हें क्रमश: खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  36. संविधान आदेश 55 द्वारा खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) को क्रमश: खंड (ग), खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया और तत्पश्चात् संविधान आदेश 56 द्वारा उन्हें क्रमश: खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  37. संविधान आदेश 56 द्वारा कोष्ठक और अक्षर “(क)” तथा “(ख)” का लोप किया गया ।
  38. संविधान आदेश 56 द्वारा कोष्ठक और अक्षर “(क)” तथा “(ख)” का लोप किया गया।
  39. विधान आदेश 56 द्वारा पूर्ववर्ती उपांतरण के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  40. संविधान आदेश 60 द्वारा (26-1-1960 से) उपपैरा (10) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  41. संविधान आदेश 75 द्वारा खंड (ख) और खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  42. संविधान आदेश 105 द्वारा अंत:स्थापित ।
  43. संविधान आदेश 124 द्वारा खंड (क) का लोप किया गया।
  44. संविधान आदेश 124 द्वारा खंड (ख) और खंड (ग) को खंड (क) और खंड (ख) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
  45. संविधान आदेश 124 द्वारा खंड “336, 337, 339 और 342” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  46. संविधान आदेश 124 द्वारा खंड (ख) और खंड (ग) को खंड (क) और खंड (ख) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
  47. संविधान आदेश 124 द्वारा अंत:स्थापित।
  48. संविधान आदेश 104 द्वारा “(4)” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  49. संविधान आदेश 100 द्वारा कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  50. संविधान आदेश 71 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  51. संविधान आदेश 151 द्वारा जोड़ा गया।
  52. संविधान आदेश 154 द्वारा “चार वर्ष” के स्थान पर और पुन:संविधान आदेश 160 द्वारा “पांच वर्ष” के स्थान पर और पुन:संविधान आदेश 162 द्वारा (6-7-1996 से) “छह वर्ष” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  53. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (क) का लोप किया गया।
  54. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (ख) और खंड (ग) को खंड (क) और खंड (ख) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
  55. संविधान आदेश 94 द्वारा “अनुच्छेद 362 और अनुच्छेद 365” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  56. संविधान आदेश 56 द्वारा मूल खंड (ग) का लोप किया गया।
  57. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  58. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (घ) का लोप किया गया।
  59. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (ङ) को खंड (घ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
  60. संविधान आदेश 101 द्वारा खंड (क) के रूप में संख्यांकित।
  61. संविधान आदेश 91 द्वारा “अनुच्छेद 368 में” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  62. संविधान आदेश 101 द्वारा अंत:स्थापित।
  63. संविधान आदेश 74 द्वारा अंत:स्थापित।
  64. संविधान आदेश 56 द्वारा अंत:स्थापित।
  65. संविधान आदेश 56 द्वारा “अनुच्छेद 376 से अनुच्छेद 392 तक” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  66. संविधान आदेश 56 द्वारा पैरा 6 से संबंधित उपांतरण का लोप किया गया।
  67. संविधान आदेश 66 द्वारा उपपैरा (22) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  68. संविधान आदेश 85 द्वारा मद (ii) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  69. संविधान आदेश 92 द्वारा “34 और 60” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  70. संविधान आदेश 95 द्वारा ‘प्रविष्टि 67 में “और अभिलेख” शब्दों’ शब्दों और अंकों का लोप किया गया।
  71. संविधान आदेश 74 द्वारा मूल मद (iii) का लोप किया गया।
  72. संविधान आदेश 83 द्वारा मद (iii) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  73. संविधान आदेश 85 द्वारा अंत:स्थापित।
  74. संविधान आदेश 93 द्वारा मद (iv) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  75. संविधान आदेश 122 द्वारा (4-6-1985 से) प्रविष्टि 97 के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  76. संविधान आदेश 69 द्वारा खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  77. संविधान आदेश 70 द्वारा मद (i) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  78. संविधान आदेश 94 द्वारा अंत:स्थापित।
  79. संविधान आदेश 122 द्वारा द्वारा उपखंड (iक) और उपखंड (iख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  80. संविधान आदेश 74 द्वारा मद (ii) और (iii) का लोप किया गया।
  81. संविधान आदेश 70 द्वारा अंत:स्थापित।
  82. संविधान आदेश 74 द्वारा मद (iv) को मद (ii) के रूप में पुन:संख्यांकित किया गया।
  83. संविधान आदेश 72 द्वारा मद (v) और (vi) का लोप किया गया।
  84. संविधान आदेश 95 द्वारा मद (iii) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  85. संविधान आदेश 74 द्वारा मद (vii) को मद (iv) के रूप में पुन:संख्यांकित किया गया।
  86. संविधान आदेश 74 द्वारा उपपैरा (24) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  87. संविधान आदेश 105 द्वारा संख्यांकित।
  88. संविधान आदेश 98 द्वारा पुन:संख्यांकित।
  89. संविधान आदेश 98 द्वारा पुन:संख्यांकित।
  90. संविधान आदेश 98 द्वारा पुन:संख्यांकित।
  91. संविधान आदेश 106 द्वारा लोप किया गया।
  92. संविधान आदेश1106 द्वारा पुन:संख्यांकित।
  93. संविधान आदेश1106 द्वारा पुन:संख्यांकित।
  94. संविधान आदेश 106 द्वारा अंत:स्थापित।
  95. संविधान आदेश 105 द्वारा अंत:स्थापित।
  96. संविधान आदेश 108 द्वारा (31-12-1977 से) अंत:स्थापित
  97. संविधान आदेश 136 द्वारा अंत:स्थापित।

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