मेलुकोटे

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मेलुकोट, मांड्या

मेलुकोटे दक्षिण भारत, कर्नाटक राज्य के मांड्या ज़िले में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इस स्थान को तिरुनारायणपुरम भी कहा जाता है। मैसूर से 30 मील और पाण्डवपुर स्टेशन से 18 मील दूर यह स्थान है। इन दोनों स्थानों से बसें मेलुकोटे के लिए बसें जाती हैं। यहाँ ठहरने के लिए अच्छी धर्मशाला है।

मुख्य तीर्थ एवं मंदिर

दक्षिण में श्रीरामानुज संप्रदाय के चार मुख्य वैष्णव क्षेत्र हैं-

  1. श्रीरंगम
  2. तिरुपति
  3. कांची
  4. मेलूकोटे

श्रीरामानुजाचार्य ने ही इस तीर्थ का जीर्णोद्वार किया। वे यहाँ 16 वर्ष रहे। यहाँ सम्पत्कुमार स्वामी का विशाल मंदिर है। मंदिर में भगवान नारायण की मूर्ति है। इस मंदिर की उत्सव मूर्ति का नाम संपत्कुमार है।

अन्य तीर्थ

इस मंदिर के पास ही कल्याण तीर्थ सरोवर है। उसके समीप ही परिधान शिला है। कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय ने इस शिला पर सन्यास लिया था। श्रीरामानुजाचार्य ने इस शिला पर काषाय वस्त्र तथा दंड रखकर फिर से उन्हें ग्रहण किया। संन्यासी यहाँ जाने पर इस परंपरा का पालन करते हैं। यहाँ पर्वत पर योगनृसिंह का मंदिर है। नीचे श्रीनारायण मंदिर के समीप बेर का एक प्राचीन वृक्ष है। उसकी पूजा की जाती है। यहाँ ज्ञानाश्वत्थ, पञ्चभागवत क्षेत्र, वाराह क्षेत्र तथा अष्ट तीर्थ हैं। इनमें दर्शन तथा स्नान किया जाता है।

पौराणिक कथा

  • इस तीर्थ के विषय में कथा है कि श्रीरामानुजाचार्य अपने प्रवास काल में इधर आये और तोण्डनूर (भक्तपुरी) में ठहरे। उनके समीप तिलक करने की श्वेतमृत्तिका (तिरुमण) का अभाव हो गया। उसके संबंध में सोचते हुये सोये। रात्रि में स्वप्न में देखा कि श्रीनारायण कह रहे हैं- ‘मेरे समीप बहुत तिरुमण है।’ प्रातः उठकर आचार्य ने वहाँ के नरेश तथा सेवकों को साथ लिया। स्वप्न में निर्दिष्ट स्थान पर भूमि खोदने से श्रीनारायण की मूर्ति तथा बहुत-सी श्वेत मृत्तिका मिलीं। वही मूर्ति मंदिर में प्रतिष्ठित है।
  • एक कथा सम्पत्कुमार के संबंध की भी कही जाती है कि आचार्य उसे दिल्ली के बादशाह से ले आये; किंतु यह कथा प्रामाणिक नहीं है। आचार्य के जीवन काल में दिल्ली में यवन शासन ही नहीं हुआ था[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 167 |

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