राडद्रह

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राडद्रह एक प्राचीन जैन तीर्थ स्थान था, जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथ 'तीर्थमाला चैत्यवंदन' में है-

'वंदे सत्यपुरै च बाहड़पुरे, राडद्रहे वायडे।'

  • इस स्थान का प्राचीन साहित्य में 'लाटह्रद' नाम भी प्राप्त है।
  • यह जैन तीर्थ गुजरात में था, किंतु इसका अभिज्ञान संदिग्ध है।
  • 1209 विक्रम संवत के एक अभिलेख में इस स्थान को गुजरात नरेश कुमारपाल के सामंत राज अल्हणदेव की जागीर के अन्तर्गत बताया गया है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 785 |

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