- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- रोहिणीव्रत एक नक्षत्र व्रत है।
- पाँच रत्नों से जड़ी ताम्र या स्वर्णिम रोहिणी प्रतिमा का निर्माण तथा दो वस्त्रों, पुष्पों, फलों एवं नैवेद्य से पूजा करनी चाहिए।
- उस दिन नक्त विधि से भोजन करना चाहिए।
- दूसरे दिन किसी विद्वान् गृहस्थ ब्राह्मण को प्रतिमा का दान करना चाहिए।
- रोहिणी श्रीकृष्ण के जन्म के समय का नक्षत्र है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 598-599, स्कन्दपुराण से उद्धरण
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