विश्व पोलियो दिवस

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विश्व पोलियो दिवस
विश्व पोलियो दिवस
विवरण 'विश्व पोलियो दिवस' प्रत्येक वर्ष '24 अक्टूबर' को मनाया जाता है, क्योंकि अक्टूबर माह में ही जोनास सॉक का जन्म हुआ था, जो वर्ष 1955 में पोलियो की पहली वैक्सीन का आविष्कार करने वाली टीम के प्रमुख थे।
तिथि 24 अक्टूबर
उद्देश्य इस दिवस का मुख्य उद्देश्य पोलियो जैसी बीमारी के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है।
विशेष 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' ने 2012 के प्रारम्भ में भारत को पोलियो ग्रसित देशों की सूची से हटा दिया। यदि 2014 तक इस बीमारी का कोई नया मामला सामने नहीं आता है तो भारत को आधिकारिक रूप से पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा।
अन्य जानकारी भारत में पोलियो के एकमात्र मामले की सूचना 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा से प्राप्त हुई थी, जबकि 2010 में इसी अवधि के दौरान 39 मामले प्रकाश में आए थे।

विश्व पोलियो दिवस प्रत्येक वर्ष '24 अक्टूबर' को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य पोलियो जैसी बीमारी के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है। पोलियो एक संक्रामक बीमारी है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है। इस बीमारी का शिकार अधिकांशत: बच्चे होते हैं। पोलियो को 'पोलियोमाइलाइटिस' या 'शिशु अंगघात' भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है, जिससे कई राष्ट्र बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं। हालांकि विश्व के अधिकतर देशों से पोलियो का खात्मा पूरी तरह से हो चुका है, लेकिन अभी भी विश्व के कई देशों से यह बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पायी है।

पोलियो क्या है?

पोलियोमाइलाइटिस अथवा पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो वायरस के द्वारा फैलता है। यह लक्षण सामान्य से तीव्र हो सकते हैं और इसमें आम तौर पर टांगों में लकवा हो जाता है। पोलियो का वायरस मुँह के रास्ते शरीर में प्रविष्ठ‍ होता है और आंतों को प्रभावित करता है। वायरय के शरीर में प्रवेश करने के कुछ ही घंटों बाद इससे पक्षाघात तक हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि यह लक्षण तीन से पाँच दिनों में प्रदर्शित हों।

लक्षण

पोलियो की बीमारी में मरीज़ की स्थिति वायरस की तीव्रता पर निर्भर करती है। अधिकतर स्थितियों में पोलियो के लक्षण 'फ्लू' जैसै ही होते हैं, लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार होते हैं-

  1. पेट में दर्द होना
  2. उल्टियाँ आना
  3. गले में दर्द
  4. सिर में तेज़ दर्द
  5. तेज़ बुखार
  6. खाना निगलने में कठिनाई होना
  7. जटिल स्‍‍थितियों में हृदय की मांस-पेशियों में सूजन आ जाती है।

वैक्सीन का आविष्कार

प्रति वर्ष '24 अक्तूबर' को 'विश्व पोलियो दिवस' के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी महीने में जोनास सॉक का जन्म हुआ था। जोनास सॉक वर्ष 1955 में पहली पोलियो वैक्सीन का आविष्कार करने वाली टीम के प्रमुख थे। पोलियो रोधक दवा की कुछ बूंदे बच्चों को पिलाई जाती हैं। कई देशों में पोलियो से निजात दिलाने के लिए यह वैक्सीन बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हुई है।

भारत में पोलियो की स्थिति

'विश्व पोलियो दिवस' का उद्देश्य पोलियो उन्मूलन के लिए किए जा रहे प्रयासों के प्रति लोगों को जागरूक बनाना है। भारत में पोलियो का अंतिम मामला जनवरी, 2011 में सामने आया था। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2012

पोलियो ड्राप पीता बच्चा

के प्रारम्भ में भारत को पोलियो ग्रसित देशों की सूची से हटा दिया, और वर्ष 2014 तक इस बीमारी का कोई नया मामला सामने नहीं आता है तो उसे आधिकारिक रूप से पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। दुनिया भर में वर्ष 2011 में पोलियो के 467 मामलों की तुलना में 24 अक्टूबर, 2012 तक केवल 170 मामले ही प्रकाश में आए हैं।

भारत में पोलियो के एकमात्र मामले की सूचना 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा से प्राप्त हुई थी, जबकि 2010 में इसी अवधि के दौरान 39 मामले प्रकाश में आए थे। उत्तर प्रदेश (अप्रैल, 2010 के बाद) और बिहार (सितंबर, 2010 के बाद) से पहली बार पोलियो के किसी भी मामले की सूचना नहीं मिली है। एक वर्ष से टाइप-3 पोलियो का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। पोलियो उन्मूलन के सर्वाधिक नजदीक पहुँच चुके भारत सरकार के 'स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय' ने पोलियो के किसी भी ताजा मामले को 'जन स्वास्थ्य आपात स्थिति' के रूप में इलाज करने का निर्णय लिया है ताकि भारत में जल्द से जल्द पोलियो उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। सभी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बच्चों के भीतर प्रतिरोधक का निर्माण करने और पोलियो के किसी भी मामले के सामने आने पर तत्काल गहन टीकाकरण अभियान चलाने के लिए आपात तत्परता और प्रतिक्रिया योजना तैयार की गई है।

पोलियो मुक्ति हेतु योजनाएँ

पोलियो से ग्रसित बच्चे

'स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय' ने एक आपात तत्परता और प्रतिक्रिया योजना (ईपीआरपी) तैयार की है। भारत में सभी राज्य अपनी ईपीआरपी तैयार कर रहे हैं। इस योजना के हिस्से के रूप में त्वरित प्रतिक्रिया दल का गठन पहले ही किया जा चुका है और नियमित टीकाकरण को और अधिक विस्तृत करने हेतु कदम उठाने के लिए उच्च जोखिम वाले ज़िलों, ब्लॉकों, गांवों की पहचान की जा रही है। पोलियो को रोकने से संबंधित उपायों, जैसे- साफ-सफाई, हाथ धोने और जिंक तथा ओआरएस के इस्तेमाल के ज़रिए डायरिया प्रबंधन को भी मजबूत किया जा रहा है। "हर बच्चा हर बार" से लेकर "मेरा बच्चा हर बार" संदेश के साथ नवीन पोलियो टीकाकरण अभियान को दिशा दी गई है। सभी अभिभावकों को यह नवीन अभियान अपने बच्चे को पोलियो से बचाव के लिए प्रोत्साहित करता है।

घूमंतू बच्चों, जैसे- प्रवासी, खानाबदोश, निर्माण स्थलों और ईटों के भट्टों में काम करने वाले लोगों तथा होली, दीवाली और छठ जैसे त्योहारों पर अपने बच्चों के साथ अपने प्रांत लौटने वाले लोगों के बच्चों को पोलियो से बचाव के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे है । राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और संस्थाओं द्वारा भारत की प्रगति और प्रयासों की सराहना की गई है। पोलियो उन्मूलन के लिए भारत में विशेषज्ञ सलाहकार समूह ने जुलाई में कार्यक्रम की समीक्षा की थी और इस बात का उल्लेख किया था कि पोलियो उन्मूलन की दिशा में भारत सही राह पर है। वैश्विक पोलियो उन्मूलन के 'अंतर्राष्ट्रीय निगरानी बोर्ड' (आईएमबी) ने अपनी अक्टूबर की रिपोर्ट में कहा है कि 2011 में पोलियो के प्रसार को रोकने में भारत सही दिशा में कार्यरत है।[1]

  • पोलियो जैसी ख़तरनाक बीमारी को पुन: प्रकट होने से रोकने के लिए हर साल भारत सरकार दो 'राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस' आयोजित करती है। हर बार क़रीब 170 मिलियन बच्चों को प्रतिरक्षण दिया जाता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी घर-घर जाकर पता लगाते हैं कि क्या बच्चों को खुराक दी जा चुकी है। पोलियो के प्रति जागरुकता फैलाना भी काफ़ी महत्वपूर्ण है और यह वह अभियान है, जिसे जाने-माने लोगों द्वारा सक्रियतापूर्वक प्रचारित किया गया है, इन लोगों में बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं, जिनका कथन 'दो बूँद जिन्दगी की' काफ़ी प्रसिद्धि पा चुका है।


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