शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

शुष्क वन अनुसंधान संस्थान जोधपुर, राजस्थान में स्थित है। इस संस्थान की स्थापना 1988 को राजस्थान, गुजरात तथा दादरा नागर हवेली और दमन तथा दीव के शुष्क तथा अर्धशुष्क क्षेत्रों की वानिकी अनुसंधान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की गई थी।

कार्यक्षेत्र

इस संस्थान का घोष राजस्थान, गुजरात तथा दादर एवं नगर हवेली के विशेषकर शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों पर विषेष ध्यान देते हुए जैव विविधता का संरक्षण तथा जैव उत्पादकता की वृद्धि हेतु वानिकी अनुसंधान करना है, जिनमें संस्थान के कार्यक्षेत्रों की आवश्यकताओ हेतु किए जा रहे अनुसंधान कार्य सम्मिलित हैं। संस्थान जोधपुर-पाली मार्ग (एन एच-65) में 20.82 हेक्टर क्षेत्र में फैले खूबसूरत परिसर में कार्यालय भवनों, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय-कम-सूचना केंद्र, समुदाय केंद्र, अतिथि गृह, वैज्ञानिक छात्रावास तथा आवासीय भवन सहित स्थित है।

संस्थान में राज्य के कई ज्वलंत पहलुओं, जैसे- खेजडी मृत्यता, लुप्त प्राय: प्रजातियों, जैसे- गुग्गल का बहुगुणात्मक उत्पादन, रोहिडा में स्टेम कैंकर के विरुद्ध प्रतिरोधकता उत्पन्न करना, अपक्षीण भूमि पर वृक्षारोपण, अपवाही संरचनाओं द्वारा जल भरण क्षेत्रों का सुधार, बायोडीजल तथा औषधीय पादपों से जुड़ी परियोजनाएं भी चल रही हैं। राजस्थानगुजरात की प्रमुख प्रजातियों, जैसे- नीम, देशी बबूल, खेजडी, रोहिड़ा, अरडू, शीशम, सफेदा आदि पर संस्थान में अनुसंधान कार्य हो रहा है। हाल ही में चर्चा में आए जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन, मृदा पाष्र्विका एवं राजस्थान का वानस्पतिक अध्ययन जैसे विषयों पर अनुसंधान कार्य प्रगति पर हैं।[1]

प्रभाग

'शुष्क वन अनुसंधान संस्थान' के पास केजरी से जुड़ा हुआ प्लॉट नम्बर 729 पर एक अतिरिक्त परिसर है। संस्थान के पास मुख्य परिसर के आस-पास के भीतर तीन प्रयोगात्मक क्षेत्र तथा एक मॉडल पौधशाला है।[2] संस्थान की अध्यक्षता निदेशक द्वारा समूह समन्वयक (अनुसंधान) तथा समन्वयक (सुविधा) की सहायता से की जाती है। संस्थान के पास सुसज्जित प्रयोगशालाओं तथा तकनीकी जनबल सहित छह प्रभाग हैं-

  1. वन पारिस्थितिकी प्रभाग
  2. वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन प्रभाग
  3. वन संरक्षण प्रभाग
  4. वन संवर्धन प्रभाग
  5. अकाष्ठ वन उत्पाद प्रभाग
  6. कृषि वानिकी तथा विस्तार प्रभाग

इन प्रभागों की सहायता सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ, समन्वयक (सुविधाएँ), लेखा अनुभाग तथा पुस्तकालय कम सूचना केंद्र तथा विस्तार विंग करते है।

कार्यचालन क्षमता

इस संस्थान की कार्यचालन क्षमता 110 है,[3] जिसमें दो वन संरक्षक, एक उप वन संरक्षक, 19 वैज्ञानिक, एक नियंत्रक, एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी, एक हिन्दी अधिकारी, एक पुस्तकालयाध्यक्ष, 6 अनुसंधान अधिकारी, एक रेंज अधिकारी, अनुसचिवीय तथा तकनीकी कर्मचारी हैं।

संस्थान का अधिदेश

शुष्क तथा अर्धशुष्क क्षेत्रों पर विशेष बल के साथ राजस्थान, गुजरात तथा दादरा एवं नगर हवेली में उत्पादकता को बढ़ाने तथा जैवविविधता संरक्षण के लिए वानिकी अनुसंधान।

शुष्क क्षेत्र

संस्थान के मुख्य शुष्क क्षेत्रः मृदा, जल तथा पोषण प्रबंधन; तनाव क्षेत्रों के लिए वनरोपण तकनीकें; रोपण प्रबंधन; रोपण भण्डार सुधार; पौधशाला तथा रोपण तकनीकें; जैव उर्वरक एवं जैव कीट नाशक; कृषि वानिकी; संयुक्त वन प्रबंधन एवं विस्तार; फाइटोकैमिस्ट्री; अकाष्ठ वन उत्पाद; समेकित कीट एवं रोग प्रबंधन; औषधीय पादप; जैवईंधन; कार्बन अधिग्रहण; जलवायु परिवर्तन; वाटरशेड विकास तथा वानिकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण।

  • संस्थान में हो रहे अनुसंधान का राजस्थान तथा गुजरात में स्थापित किए गए वन विज्ञान केन्द्रों की मदद से किसान प्रशिक्षण आयोजित कर, अनुसंधान सामग्री का प्रदर्शन कर, संगोष्ठी एवं परिचर्चा आयोजित कर, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में अनुसंधान प्रकाशित कर तथा वेबपोर्टल के जरिये पणधारियों को लाभान्वित किया जा रहा है। संस्थान में 'वन अनुसंधान संस्थान' श्वविद्यालयों का प्रकोष्ठ भी कार्यरत है, जो कि वानिकी विषयों में शोध हेतु शोधार्थियों को पंजीकृत करता है। राज्य की आवश्यकताओ को ध्यान में रखते हुए संस्थान सर्वोत्तम ढंग़ से अनुसंधान हेतु निरन्तर प्रयासरत है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 शुष्क वन अनुसन्धान संस्थान (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 सितम्बर, 2013।
  2. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 सितम्बर, 2013।
  3. संस्वीकृत क्षमता 133 में से

संबंधित लेख