सुलह कुल

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भारत में, पन्द्रहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में जौनपुर में उत्पन्न मुहम्मद ने भारत और इस्लामी दुनिया का भ्रमण किया और काफ़ी उत्साह पैदा किया। दक्कन सहित उसने देश भर में अपने दायरे स्थापित कि। दक्कन उसके लिए बहुत उपजाऊ सिद्ध हुआ। परम्परावादी तत्त्व 'महदवी सम्प्रदाय' के उतने ही तीव्र विरोधी थे, जितने की 'शिया सम्प्रदाय' के थे। हालाँकि दोनों के बीच कोई प्रेम-भाव समाप्त नहीं हुआ था। अकबर ने इसी संदर्भ ने सुलह-कुल का सिद्धांत प्रचारित किया। उसे इस बात का भय था कि दक्कन के सम्प्रदायगत संघर्षों का सीधा प्रभाव मुग़ल साम्राज्य पर पड़ेगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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