हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, बंबई

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हिन्दुस्तानी प्रचार सभा महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई नगर में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है।

स्थापना

सन् 1938 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रेरणा और आशीर्वाद से हिन्दुस्तानी प्रचार सभा की स्थापना बंबई में हुई। गांधीजी भारत की ऐसी राष्ट्रभाषा चाहते थे, जिसे आम जनता आसानी से समझ सके और जो नागरी और उर्दू दोनों लिपियों में लिखी जाए तथा हिन्दी और उर्दू दोनों के मिश्रण से बनी हो। ऐसी भाषा को महात्माजी ‘हिन्दुस्तानी’ कहते थे।

विशेषताएँ

  • सभा की परिक्षाएँ साल में दो बार (फरवरी और सितंबर) में ली जाती है। परीक्षाओं के नाम हैं: लिखावट, प्रवेश, परिचय, पहली, दूसरी, तीसरी, काबिल और विद्वान। अंतिम तीन परीक्षाओं को केंद्रीय सरकार से क्रमश: हाई स्कूल, इंटर तथा बी. ए. के हिन्दी स्तर के समकक्ष मान्यता प्राप्त है।
  • अब तक इसमें लगभग दो लाख विद्यार्थियों ने हिन्दुस्तानी की शिक्षा प्राप्त की है।
  • हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के नि:शुल्क वर्ग हाई स्कूलों और म्युनिसिपल स्कूलों में स्थान-स्थान पर चलाए जाते हैं।
  • उर्दू लिपि न जानने वालों के लिए सभा नि:शुल्क रूप में विशेष कक्षाएँ चलती है।
  • हिन्दुस्तानी प्रचार सभा का एक भाग ‘महात्मा गांधी मैमोरियल रिसर्च सेंटर और लायब्रेरी’ भी है।
  • इस समय पुस्तकालय में 20563 पुस्तकें हैं। ये पुस्तकें हिन्दी, उर्दू और फ़ारसी साहित्य और भाषाविज्ञान संबंधी हैं। पुस्तकालय में हिन्दी, उर्दू और भाषाशास्त्र से संबंधित लगभग 2000 पत्रिकाओं के प्राचीन संस्करण मौजूद हैं।
  • रिसर्च सेंटर ‘हिन्दुस्तानी जबान’ नाम से एक त्रैमासिक द्विभाषी अनुसंधान पत्रिका का प्रकाशन करता है। यह पत्रिका हिन्दी-उर्दू दोनों भाषाओं तथा लिपियों का रूप सामने रखती हुई हिन्दुस्तानी भाषा के मिलेजुले स्वरूप को उजागर करने का प्रयास करती है। इस क्षेत्र में रिसर्च सेंटर ने जो विशेष काम किया है वह ‘हिन्दुस्तानी जबान’ का अमीर ख़ुसरो (जुलाई-अक्टूबर, 1976) विशेषांक है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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