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इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है। इन्होंने केन्द्रीय सरकार में [[1986]] से [[1989]] तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था। पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। [[1984]] - 89 में इन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की [[कन्नौज]] लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने [[लोक सभा]] की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर, [[1998]] में कांग्रेस को [[दिल्ली]] में, अभूतपूर्व विजय दिलायी।
 
इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है। इन्होंने केन्द्रीय सरकार में [[1986]] से [[1989]] तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था। पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। [[1984]] - 89 में इन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की [[कन्नौज]] लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने [[लोक सभा]] की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर, [[1998]] में कांग्रेस को [[दिल्ली]] में, अभूतपूर्व विजय दिलायी।
इन्होंने महिला उत्थन के लिये अथक प्रयास किये हैं। इनका महिलाओं को समाज में बराबरी का स्तर दिलाने के अभियानों में अच्छा नेतृत्व रहा है। इन्होंने [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की महिला स्तर समिति में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी पांच वर्षों (1984 - 89) तक किया। इन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] में अपने 82 साथियों के साथ [[अगस्त]] [[1990]] में 23 दिनों की जेल यात्रा की थी, जब वे महिलाओं पर समाज के अत्याचारों के विरोध में उठ खडी हुईं, इससे भड़के हुए लाखों राज्य के नागरिक इस अभियान से जुड़े, व जेलें भरीं। [[1970]] में, वे यंग विमन्स असेसियेशन की अद्यक्षा भी रहीं, जिसके दौरान, इन्होंने दिल्ली में दो बड़े महिला छात्रावास खुलवाये।
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इन्होंने महिला उत्थान के लिये अथक प्रयास किये हैं। इनका महिलाओं को समाज में बराबरी का स्तर दिलाने के अभियानों में अच्छा नेतृत्व रहा है। इन्होंने [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की महिला स्तर समिति में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी पांच वर्षों (1984 - 89) तक किया। इन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] में अपने 82 साथियों के साथ [[अगस्त]] [[1990]] में 23 दिनों की जेल यात्रा की थी, जब वे महिलाओं पर समाज के अत्याचारों के विरोध में उठ खडी हुईं, इससे भड़के हुए लाखों राज्य के नागरिक इस अभियान से जुड़े, व जेलें भरीं। [[1970]] में, वे यंग विमन्स असेसियेशन की अद्यक्षा भी रहीं, जिसके दौरान, इन्होंने दिल्ली में दो बड़े महिला छात्रावास खुलवाये।
  
 
==व्यक्तित्व==
 
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09:38, 8 नवम्बर 2010 का अवतरण

  • श्रीमती शीला दीक्षित, भारत की राजधानी दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं। इनको 17 दिसंबर, 2008 में लगातार तीसरी बार दिल्ली विधान सभा के लिये चुना गया था।
  • यह दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं। इनका चुनाव-क्षेत्र नयी दिल्ली है। परिसीमन गतिविधि से पहले इनका चुनाव-क्षेत्र गोल मार्केट था जो अब समाप्त कर दिया गया है।[1]

जीवन परिचय

श्रीमती शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला नगर में हुआ था। इनके पति का नाम विनोद दीक्षित है। इन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली के कान्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से ली। बाद में स्नातक और कला स्नातकोत्तर की शिक्षा मिरांडा हाउस कॉलेज से ली। इनका विवाह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पूर्व राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, श्री उमा शंकर दीक्षित के परिवार में हुआ। इनके पति स्व. श्री विनोद दीक्षित, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य रहे थे। इनकी दो संतान, एक पुत्र व एक पुत्री हैं।[1]

राजनीतिक परिचय

इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है। इन्होंने केन्द्रीय सरकार में 1986 से 1989 तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था। पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। 1984 - 89 में इन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने लोक सभा की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर, 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में, अभूतपूर्व विजय दिलायी। इन्होंने महिला उत्थान के लिये अथक प्रयास किये हैं। इनका महिलाओं को समाज में बराबरी का स्तर दिलाने के अभियानों में अच्छा नेतृत्व रहा है। इन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महिला स्तर समिति में भारत का प्रतिनिधित्व भी पांच वर्षों (1984 - 89) तक किया। इन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने 82 साथियों के साथ अगस्त 1990 में 23 दिनों की जेल यात्रा की थी, जब वे महिलाओं पर समाज के अत्याचारों के विरोध में उठ खडी हुईं, इससे भड़के हुए लाखों राज्य के नागरिक इस अभियान से जुड़े, व जेलें भरीं। 1970 में, वे यंग विमन्स असेसियेशन की अद्यक्षा भी रहीं, जिसके दौरान, इन्होंने दिल्ली में दो बड़े महिला छात्रावास खुलवाये।

व्यक्तित्व

श्रीमती शीला दीक्षित, हस्तकला व ग्रामीण कलाकारों व कारीगरों के उत्थान में विशेष रुचि लेतीं हैं। ग्रामीण रंगशाला व नाट्यशालाओं का विकास, इनका विशेष कार्य रहा है। 1978 से 1984 के बीच, कपड़ा निर्यातकर्ता संघ (गार्मेंट्स एक्स्पोर्टर्स एसोसियेशन) के कार्यपालक सचिव पद पर, इन्होंने तैयार कपड़ा निर्यात को एक ऊंचे स्तर पर पहुंचाया है। ये धर्म-निर्पेक्षता पर हमेशा अडिग रहीं हैं। हमेशा ही सांप्रदायिक ताकतों का प्रत्येक स्तर से विरोध किया है। इनका मानना है, कि भारत में यदि जनतंत्र को जीवित रखना है, तो सही व्यवहार व सत्यता के मानदंडों का पालन करना जीवन का एक अभिन्न अंग होना चाहिये।

शीला दीक्षित के धारित विभाग
  • सामान्य प्रशासन विभाग
  • गृह विभाग
  • विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य
  • जन संबंध
  • सेवा विभाग
  • सतर्कता विभाग
  • जल
  • उच्च शिक्षा
  • प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा
  • कला एवं संस्कृति
  • पर्यावरण, वन एवं वन्य जीवन विभाग
  • सभी अन्य विभाग, जो किसी अन्य को निर्धारित नहीं हैं


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 Smt. Sheila Dikshit (अंग्रेज़ी) (html) delhi.gov.in। अभिगमन तिथि: 8 नवंबर, 2010