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देहउँ श्राप कि मरिहउँ जाई। जगत मोरि उपहास कराई॥
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बीचहिं पंथ मिले दनुजारी। संग रमा सोइ राजकुमारी॥
 
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(मन में सोचते जाते थे -) जाकर या तो शाप दूँगा या प्राण दे दूँगा। उन्होंने जगत में मेरी हँसी कराई। दैत्यों के शत्रु भगवान हरि उन्हें बीच रास्ते में ही मिल गए। साथ में लक्ष्मी और वही राजकुमारी थीं।
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(मन में सोचते जाते थे -) जाकर या तो शाप दूँगा या प्राण दे दूँगा। उन्होंने जगत् में मेरी हँसी कराई। दैत्यों के शत्रु भगवान हरि उन्हें बीच रास्ते में ही मिल गए। साथ में लक्ष्मी और वही राजकुमारी थीं।
  
 
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13:47, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

देहउँ श्राप कि मरिहउँ जाई
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

देहउँ श्राप कि मरिहउँ जाई। जगत् मोरि उपहास कराई॥
बीचहिं पंथ मिले दनुजारी। संग रमा सोइ राजकुमारी॥

भावार्थ-

(मन में सोचते जाते थे -) जाकर या तो शाप दूँगा या प्राण दे दूँगा। उन्होंने जगत् में मेरी हँसी कराई। दैत्यों के शत्रु भगवान हरि उन्हें बीच रास्ते में ही मिल गए। साथ में लक्ष्मी और वही राजकुमारी थीं।


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देहउँ श्राप कि मरिहउँ जाई
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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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