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'''अनंत पै''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Anant Pai'', जन्म- [[17 सितंबर]], [[1929]], [[कार्कल]], [[कर्नाटक]]; मृत्यु- [[24 फ़रवरी]], [[2011]], [[मुंबई]]) भारतीय शिक्षाशास्री, कॉमिक्स तथा अमर चित्र कथा के संस्थापक थे। [[1967]] में शुरू की गई इस कॉमिक्स श्रृंखला के द्वारा बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियों के बारे में बताया गया।  
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'''अनंत पै''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Anant Pai'', जन्म- [[17 सितंबर]], [[1929]], [[कार्कल]], [[कर्नाटक]]; मृत्यु- [[24 फ़रवरी]], [[2011]], [[मुंबई]]) भारतीय शिक्षाशास्री, कॉमिक्स तथा अमर चित्र कथा के संस्थापक थे। [[1967]] में शुरू की गई इस कॉमिक्स श्रृंखला के द्वारा बच्चों को परंपरागत भारतीय [[लोक कथा|लोक कथाएँ]], पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियों के बारे में बताया गया।  
 
==परिचय==
 
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अंकल पै के नाम से लोकप्रिय अमर चित्र कथा श्रृंखला के रचयिता अनंत पै का जन्म [[17 सितंबर]], [[1929]] को कर्नाटक के कार्कल शहर में हुआ था। अनंत जब दो साल के ही थे उनके [[माता]]-[[पिता]] का देहांत हो गया। उनके नाना ने उन्हें पाला पोसा और जब वो 12 साल के हुए तो ओरिएंट स्कूल माहिम, [[मुंबई]] में अच्छी शिक्षा के लिए उन्हे भर्ती करा दिया गया। इसके बाद उन्होंने [[रसायन विज्ञान]] में [[मुंबई विश्वविद्यालय]] से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। [[1961]] में उनका [[विवाह]] 20 वर्षीय ललिता के साथ हुआ था।
 
अंकल पै के नाम से लोकप्रिय अमर चित्र कथा श्रृंखला के रचयिता अनंत पै का जन्म [[17 सितंबर]], [[1929]] को कर्नाटक के कार्कल शहर में हुआ था। अनंत जब दो साल के ही थे उनके [[माता]]-[[पिता]] का देहांत हो गया। उनके नाना ने उन्हें पाला पोसा और जब वो 12 साल के हुए तो ओरिएंट स्कूल माहिम, [[मुंबई]] में अच्छी शिक्षा के लिए उन्हे भर्ती करा दिया गया। इसके बाद उन्होंने [[रसायन विज्ञान]] में [[मुंबई विश्वविद्यालय]] से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। [[1961]] में उनका [[विवाह]] 20 वर्षीय ललिता के साथ हुआ था।
 
==कॅरियर==
 
==कॅरियर==
मुंबई विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह टाइम्स ऑफ़ इंडिया के कॉमिक डिवीजन में आए और फैन्टम एवं मैनड्रेक जैसे कॉमिक्स का भारतीय संस्करण प्रकाशित किया। उन्होंने इंडिया बुक हाउस के साथ [[1967]] में अमर चित्र कथा श्रृंखला की शुरूआत की। इसके माध्यम से बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियाँ बताना आरंभ किया गया। [[1980]] में उन्होंने टिंकल नाम से बच्चों की पत्रिका शुरू की। उन्होंने [[भारत]] का पहला कॉमिक-कार्टून सिंडिकेट “रंग रेखा फ़ीचर्स” शुरू किया जिसके वो आख़िर तक निदेशक रहे। [[1978]] में बच्चों एवं किशोरों के लिए उन्होंने 'पार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ़ पर्सनलिटी डेवलपमेंट' भी शुरू किया। उनके कॉमिक स्ट्रिप अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे। उनके द्वारा “वैदिक सत्य” और “सफलता का रहस्य” नाम से दो वीडियो फ़िल्म भी बनाई गयी।  
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मुंबई विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह टाइम्स ऑफ़ इंडिया के कॉमिक डिवीजन में आए और फैन्टम एवं मैनड्रेक जैसे कॉमिक्स का भारतीय संस्करण प्रकाशित किया। उन्होंने इंडिया बुक हाउस के साथ [[1967]] में अमर चित्र कथा श्रृंखला की शुरूआत की। इसके माध्यम से बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियाँ बताना आरंभ किया गया। [[1980]] में उन्होंने 'टिंकल' नाम से बच्चों की पत्रिका शुरू की। उन्होंने [[भारत]] का पहला कॉमिक-कार्टून सिंडिकेट “रंग रेखा फ़ीचर्स” शुरू किया जिसके वो आख़िर तक निदेशक रहे। [[1978]] में बच्चों एवं किशोरों के लिए उन्होंने 'पार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ़ पर्सनलिटी डेवलपमेंट' भी शुरू किया। उनके कॉमिक स्ट्रिप अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे। उनके द्वारा “वैदिक सत्य” और “सफलता का रहस्य” नाम से दो वीडियो फ़िल्म भी बनाई गयी।
 
==प्रमुख रचना==
 
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अमर चित्र कथा आज 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में तीस लाख कॉमिक किताबें सालभर में बेचता है। उनके द्वारा लिखे गए कॉमिक्स में झाँसी की रानी, शिव, कार्तिकेय, गणेश, कृष्ण और शिशुपाल, ह्वेन सांग, गुरू नानक, गुरु तेगबहादुर, स्यमन्तक मणि, न्यायप्रिय बीरबल, सुभाषचन्द्र बोस, जातक कथाएँ, हरिशचन्द्र, तानसेन, जमशेदजी टाटा जैसे शीर्षक आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।  
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अमर चित्र कथा आज 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में तीस लाख कॉमिक किताबें सालभर में बेचता है। उनके द्वारा लिखे गए कॉमिक्स में झाँसी की रानी, शिव, कार्तिकेय, गणेश, कृष्ण और शिशुपाल, ह्वेन सांग, गुरू नानक, गुरु तेगबहादुर, स्यमन्तक मणि, न्यायप्रिय बीरबल, सुभाषचन्द्र बोस, जातक कथाएँ, हरिशचन्द्र, तानसेन, जमशेदजी टाटा जैसे शीर्षक आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।
 
==गूगल पर अनंत पै==
 
==गूगल पर अनंत पै==
गूगल अपने पाठकों को किसी न किसी प्रासंगिक विषय से परीचित कराता है। इन्हें गूगल डूडल्स कहते हैं। यह इस मीडिया का नवोन्मेष है। गूगल के होम पेज पर अक्सर देशकाल के हिसाब से चित्र बदलता है। [[17 सितम्बर]], [[2011]] को अनंत पै के 82 वें जन्मदिन की याद करते हुए उनका चित्र लगाया था। उनका योगदान केवल चित्रकथाएं नहीं थीं। उन्होंने अमर चित्र कथा के रूप में एक नए विषय का प्रवेश कराया था। [[भारत]] में फैंटम, मैनड्रेक और फ्लैश गॉर्डन जैसे पात्रों का प्रवेश कराया और बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए सुरुचिपूर्ण सामग्री तैयार की।<ref>{{cite web |url=http://pramathesh.blogspot.in/2011/09/blog-post_3317.html#more |title= गूगल पर अनंत पै |accessmonthday= 13 जुलाई |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=pramathesh.blogspot.in|language=हिंदी }}</ref>
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==सम्मान एवं पुरस्कार==
 
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==निधन==
 
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अनंत पै का [[24 फ़रवरी]], [[2011]] को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके सम्मान में उनके जन्मदिन पर गूगल द्वारा अपने सर्च इंजन पर उनका चित्र लगाया गया था।
 
अनंत पै का [[24 फ़रवरी]], [[2011]] को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके सम्मान में उनके जन्मदिन पर गूगल द्वारा अपने सर्च इंजन पर उनका चित्र लगाया गया था।
 
  
 
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अनंत पै विषय सूची
अनंत पै
अनंत पै
अन्य नाम अनंत पई, चाचा पई
जन्म 17 सितंबर, 1929
जन्म भूमि कार्कल, कर्नाटक
मृत्यु 24 फ़रवरी, 2011
मृत्यु स्थान मुंबई
पति/पत्नी ललिता
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र लेखन
मुख्य रचनाएँ झाँसी की रानी, शिव, कार्तिकेय, गणेश, कृष्ण और शिशुपाल, ह्वेन सांग।
विषय कॉमिक
भाषा विभिन्न भारतीय भाषाएँ
विद्यालय ओरिएंट स्कूल माहिम, मुंबई; मुंबई विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार- (1996), लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड- (19 फ़रवरी, 2011)
प्रसिद्धि अमर चित्र कथा के संस्थापक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 17 सितम्बर, 2011 को अनंत पै के 82 वें जन्मदिन पर उनके विशेष योगदान को याद करते हुए उनका चित्र गूगल के डूडल पर लगाया गया था।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

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अनंत पै (अंग्रेज़ी:Anant Pai, जन्म- 17 सितंबर, 1929, कार्कल, कर्नाटक; मृत्यु- 24 फ़रवरी, 2011, मुंबई) भारतीय शिक्षाशास्री, कॉमिक्स तथा अमर चित्र कथा के संस्थापक थे। 1967 में शुरू की गई इस कॉमिक्स श्रृंखला के द्वारा बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियों के बारे में बताया गया।

परिचय

अंकल पै के नाम से लोकप्रिय अमर चित्र कथा श्रृंखला के रचयिता अनंत पै का जन्म 17 सितंबर, 1929 को कर्नाटक के कार्कल शहर में हुआ था। अनंत जब दो साल के ही थे उनके माता-पिता का देहांत हो गया। उनके नाना ने उन्हें पाला पोसा और जब वो 12 साल के हुए तो ओरिएंट स्कूल माहिम, मुंबई में अच्छी शिक्षा के लिए उन्हे भर्ती करा दिया गया। इसके बाद उन्होंने रसायन विज्ञान में मुंबई विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। 1961 में उनका विवाह 20 वर्षीय ललिता के साथ हुआ था।

कॅरियर

मुंबई विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह टाइम्स ऑफ़ इंडिया के कॉमिक डिवीजन में आए और फैन्टम एवं मैनड्रेक जैसे कॉमिक्स का भारतीय संस्करण प्रकाशित किया। उन्होंने इंडिया बुक हाउस के साथ 1967 में अमर चित्र कथा श्रृंखला की शुरूआत की। इसके माध्यम से बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियाँ बताना आरंभ किया गया। 1980 में उन्होंने 'टिंकल' नाम से बच्चों की पत्रिका शुरू की। उन्होंने भारत का पहला कॉमिक-कार्टून सिंडिकेट “रंग रेखा फ़ीचर्स” शुरू किया जिसके वो आख़िर तक निदेशक रहे। 1978 में बच्चों एवं किशोरों के लिए उन्होंने 'पार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ़ पर्सनलिटी डेवलपमेंट' भी शुरू किया। उनके कॉमिक स्ट्रिप अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे। उनके द्वारा “वैदिक सत्य” और “सफलता का रहस्य” नाम से दो वीडियो फ़िल्म भी बनाई गयी।

प्रमुख रचना

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अमर चित्र कथा आज 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में तीस लाख कॉमिक किताबें सालभर में बेचता है। उनके द्वारा लिखे गए कॉमिक्स में झाँसी की रानी, शिव, कार्तिकेय, गणेश, कृष्ण और शिशुपाल, ह्वेन सांग, गुरू नानक, गुरु तेगबहादुर, स्यमन्तक मणि, न्यायप्रिय बीरबल, सुभाषचन्द्र बोस, जातक कथाएँ, हरिशचन्द्र, तानसेन, जमशेदजी टाटा जैसे शीर्षक आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।

गूगल पर अनंत पै

गूगल अपने पाठकों को किसी न किसी प्रासंगिक विषय से परीचित कराता है। इन्हें गूगल डूडल्स कहते हैं। यह इस मीडिया का नवोन्मेष है। गूगल के होम पेज पर अक्सर देशकाल के हिसाब से चित्र बदलता है। 17 सितम्बर, 2011 को अनंत पै के 82वें जन्मदिन की याद करते हुए उनका चित्र लगाया था। उनका योगदान केवल चित्रकथाएं नहीं थीं। उन्होंने अमर चित्र कथा के रूप में एक नए विषय का प्रवेश कराया था। भारत में फैंटम, मैनड्रेक और फ्लैश गॉर्डन जैसे पात्रों का प्रवेश कराया और बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए सुरुचिपूर्ण सामग्री तैयार की।[1]

सम्मान एवं पुरस्कार

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  • लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड - (19 फ़रवरी, 2011)
  • हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार- (1996)
  • राजा राममोहन राय पुस्तकालय फाउंडेशन पुरस्कार (2001)
  • प्रियदर्शनी अकादमी पुरस्कार (2002)

निधन

अनंत पै का 24 फ़रवरी, 2011 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके सम्मान में उनके जन्मदिन पर गूगल द्वारा अपने सर्च इंजन पर उनका चित्र लगाया गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गूगल पर अनंत पै (हिंदी) pramathesh.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

अनंत पै विषय सूची

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