एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

अन्नप्राशन संस्कार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रिया (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 29 मई 2010 का अवतरण ('*<u>हिन्दू धर्म संस्कारों में अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • हिन्दू धर्म संस्कारों में अन्नप्राशन संस्कार सप्तम संस्कार है।
  • इस संस्कार में बालक को अन्न ग्रहण कराया जाता है।
  • अब तक तो शिशु माता का दुग्धपान करके ही वृद्धि को प्राप्त होता था, अब आगे स्वयं अन्न ग्रहण करके ही शरीर को पुष्ट करना होगा, क्योंकि प्राकृतिक नियम सबके लिये यही है।
  • अब बालक को परावलम्बी न रहकर धीरे-धीरे स्वावलम्बी बनना पड़ेगा। केवल यही नहीं, आगे चलकर अपना तथा अपने परिवार के सदस्यों के भी भरण-पोषण का दायित्व संम्भालना होगा। यही इस संस्कार का तात्पर्य है।

सम्बंधित लिंक