"अब बुलाऊँ भी तुम्हें -गोपालदास नीरज" के अवतरणों में अंतर
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− | <poem>अब बुलाऊँ भी तुम्हें तो तुम न आना! | + | <poem> |
− | टूट जाए शीघ्र जिससे आस मेरी | + | अब बुलाऊँ भी तुम्हें तो तुम न आना! |
+ | टूट जाए शीघ्र जिससे आस मेरी, | ||
छूट जाए शीघ्र जिससे साँस मेरी, | छूट जाए शीघ्र जिससे साँस मेरी, | ||
− | इसलिए यदि तुम कभी आओ इधर तो | + | इसलिए यदि तुम कभी आओ इधर तो, |
द्वार तक आकर हमारे लौट जाना! | द्वार तक आकर हमारे लौट जाना! | ||
अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! | अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! | ||
देख लूं मैं भी कि तुम कितने निठुर हो, | देख लूं मैं भी कि तुम कितने निठुर हो, | ||
− | किस | + | किस क़दर इन आँसुओं से बेखबर हो, |
− | इसलिए जब सामने आकर तुम्हारे | + | इसलिए जब सामने आकर तुम्हारे, |
− | मैं बहाऊँ अश्रु तो तुम मुस्कुराना। | + | मैं बहाऊँ अश्रु, तो तुम मुस्कुराना। |
अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! | अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! | ||
जान लूं मैं भी कि तुम कैसे शिकारी, | जान लूं मैं भी कि तुम कैसे शिकारी, | ||
चोट कैसी तीर की होती तुम्हारी, | चोट कैसी तीर की होती तुम्हारी, | ||
− | इसलिए घायल हृदय लेकर खड़ा हूँ | + | इसलिए घायल हृदय लेकर खड़ा हूँ, |
लो लगाओ साधकर अपना निशाना! | लो लगाओ साधकर अपना निशाना! | ||
अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! | अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! | ||
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एक भी अरमान रह जाए न मन में, | एक भी अरमान रह जाए न मन में, | ||
औ, न बचे एक भी आँसू नयन में, | औ, न बचे एक भी आँसू नयन में, | ||
− | इसलिए जब मैं मरूं तब तुम घृणा से | + | इसलिए जब मैं मरूं तब तुम घृणा से, |
एक ठोकर लाश में मेरी लगाना! | एक ठोकर लाश में मेरी लगाना! | ||
अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! | अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! |
06:07, 14 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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अब बुलाऊँ भी तुम्हें तो तुम न आना! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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