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'''अभिमान''' फ़िल्म सन [[1973]] में बनी हुई फ़िल्म है। यह फ़िल्म [[ऋषिकेश मुखर्जी]] की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका [[अमिताभ बच्चन]], [[जया बच्चन]] और असरानी ने निभाई थी। इस फ़िल्म का [[संगीत]] प्रसिद्ध संगीतकार [[सचिन देव बर्मन]] ने तैयार किया था। 'अभिमान' फ़िल्म के सभी गीतों ने भारतीय दर्शकों पर अपनी गहरी छाप अंकित की थी। फ़िल्म के गीत आज भी लोगों की जुबान पर आते रहते हैं।
 
'''अभिमान''' फ़िल्म सन [[1973]] में बनी हुई फ़िल्म है। यह फ़िल्म [[ऋषिकेश मुखर्जी]] की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका [[अमिताभ बच्चन]], [[जया बच्चन]] और असरानी ने निभाई थी। इस फ़िल्म का [[संगीत]] प्रसिद्ध संगीतकार [[सचिन देव बर्मन]] ने तैयार किया था। 'अभिमान' फ़िल्म के सभी गीतों ने भारतीय दर्शकों पर अपनी गहरी छाप अंकित की थी। फ़िल्म के गीत आज भी लोगों की जुबान पर आते रहते हैं।
 
==पटकथा==
 
==पटकथा==
राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह फ़िल्म अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील फ़िल्म का निर्देशन किया था।
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राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह फ़िल्म अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील फ़िल्म का निर्देशन किया था।<ref name="ab">{{cite web |url=http://filmkahani.com/70-decade/abhimaan-movie-review.html |title=अभिमान |accessmonthday=13 दिसम्बर|accessyear= 2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
====संगीत====
 
====संगीत====
 
[[मजरूह सुल्तानपुरी]] के लिखे गीत, सचिन देव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा [[किशोर कुमार]], [[लता मंगेशकर]] और [[मोहम्मद रफ़ी]] द्वारा गाये गए सुमधुर गीतों ने फ़िल्म की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे।
 
[[मजरूह सुल्तानपुरी]] के लिखे गीत, सचिन देव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा [[किशोर कुमार]], [[लता मंगेशकर]] और [[मोहम्मद रफ़ी]] द्वारा गाये गए सुमधुर गीतों ने फ़िल्म की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे।
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फ़िल्म की कहानी में 'सुबीर' ([[अमिताभ बच्चन]]) एक गायक है, जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियाँ उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुँह बोली मौसी (दुर्गा खोटे) है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं है। शहर में 'चंदू' (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है, जहाँ वह 'सदानंद' ([[ए. के. हंगल]]) की बेटी 'उमा' ([[जया बच्चन]]) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है। सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसका [[विवाह]] करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ-साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है।
 
फ़िल्म की कहानी में 'सुबीर' ([[अमिताभ बच्चन]]) एक गायक है, जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियाँ उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुँह बोली मौसी (दुर्गा खोटे) है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं है। शहर में 'चंदू' (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है, जहाँ वह 'सदानंद' ([[ए. के. हंगल]]) की बेटी 'उमा' ([[जया बच्चन]]) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है। सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसका [[विवाह]] करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ-साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है।
  
यहीं से फ़िल्म की कहानी नया मोड़ लेती है। सुबीर की पत्नी 'उमा' [[शास्त्रीय संगीत]] में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा माँग 'सुबीर' से अधिक बढ़ने लगती है। पुरुष का अहम चोटिल होता है। एक स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि 'जया' अवसादग्रस्त होकर अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत फ़िल्म में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ फ़िल्म का समापन होता है।
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यहीं से फ़िल्म की कहानी नया मोड़ लेती है। सुबीर की पत्नी 'उमा' [[शास्त्रीय संगीत]] में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा माँग 'सुबीर' से अधिक बढ़ने लगती है। पुरुष का अहम चोटिल होता है। एक स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि 'जया' अवसादग्रस्त होकर अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत फ़िल्म में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ फ़िल्म का समापन होता है।<ref name="ab"/>
 
==अभिनय==
 
==अभिनय==
 
फ़िल्म में [[जया बच्चन]] का अभिनय तो संवेदनशील भोली लड़की, समर्पित व विरहग्रस्त गृहणी के रूप में प्रशंसनीय है ही, अमिताभ बच्चन ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। असरानी का हास्य, दुर्गा खोटे, ए. के. हंगल, डेविड सभी ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। बिन्दु ने अपनी पूर्व भूमिकाओं से अलग भूमिका निभायी है। मनोहर कामत, ललिता कुमारी व मास्टर राजू की संक्षिप्त भूमिकायें यथायोग्य हैं।
 
फ़िल्म में [[जया बच्चन]] का अभिनय तो संवेदनशील भोली लड़की, समर्पित व विरहग्रस्त गृहणी के रूप में प्रशंसनीय है ही, अमिताभ बच्चन ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। असरानी का हास्य, दुर्गा खोटे, ए. के. हंगल, डेविड सभी ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। बिन्दु ने अपनी पूर्व भूमिकाओं से अलग भूमिका निभायी है। मनोहर कामत, ललिता कुमारी व मास्टर राजू की संक्षिप्त भूमिकायें यथायोग्य हैं।
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#अभिनेत्री बिन्दू ने भी अपनी पूर्व छवि से अलग हटकर अपनी भूमिका कुशलता से निभाई, जिस कारण अन्य भूमिकाओं में इस फ़िल्म के बाद आयीं।
 
#अभिनेत्री बिन्दू ने भी अपनी पूर्व छवि से अलग हटकर अपनी भूमिका कुशलता से निभाई, जिस कारण अन्य भूमिकाओं में इस फ़िल्म के बाद आयीं।
 
#अमिताभ बच्चन व जया बच्चन इस फ़िल्म के दौरान ही पति-पत्नी के रिश्ते में बंधे थे।
 
#अमिताभ बच्चन व जया बच्चन इस फ़िल्म के दौरान ही पति-पत्नी के रिश्ते में बंधे थे।
#जया बच्चन ने इस फ़िल्म के बाद बहुत लम्बे समय तक किसी और फ़िल्म में काम नहीं किया।
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#जया बच्चन ने इस फ़िल्म के बाद बहुत लम्बे समय तक किसी और फ़िल्म में काम नहीं किया।<ref name="ab"/>
 
====प्रेरणा====
 
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फ़िल्म 'अभिमान' मानव रिश्तों में आदर्श की भावना जगाकर और रिश्तों को समझ-बूझ और सभ्यता से निभाने की सीख देकर अपना एक गहरा असर दर्शकों पर छोड़ती है। फ़िल्म यह भी प्रेरणा दे जाती है कि पति-पत्नी जैसे रिश्ते से व्यक्तिगत अहंकार को जहाँ तक हो सके दूर ही रखना चाहिये, अन्यथा जीवन में बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है।
 
फ़िल्म 'अभिमान' मानव रिश्तों में आदर्श की भावना जगाकर और रिश्तों को समझ-बूझ और सभ्यता से निभाने की सीख देकर अपना एक गहरा असर दर्शकों पर छोड़ती है। फ़िल्म यह भी प्रेरणा दे जाती है कि पति-पत्नी जैसे रिश्ते से व्यक्तिगत अहंकार को जहाँ तक हो सके दूर ही रखना चाहिये, अन्यथा जीवन में बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है।
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://www.imdb.com/title/tt0069671/ अभिमान, 1973]
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*[http://www.cinemanthan.info/index.php/2010/09/abhimaan-1973/ अभिमान]
 
==संबंधित लेख==
 
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11:06, 13 दिसम्बर 2012 का अवतरण

अभिमान (फ़िल्म)
अभिमान
निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी
निर्माता पवन कुमार, सुशीला कामत
लेखक राजेंदर सिंह बेदी, ऋषिकेश मुख़र्जी
कलाकार अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, असरानी, ए. के. हंगल और बिन्दू आदि।
संगीत सचिन देव बर्मन
गायक किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी
प्रसिद्ध गीत 'तेरी बिन्दिया रे', 'मीत न मिला रे मन का', 'तेरे मेरे मिलन की ये रैना'
प्रदर्शन तिथि 27 जुलाई, 1973
भाषा हिन्दी
अन्य जानकारी इस फ़िल्म में जया बच्चन को उनके श्रेष्ठ और दमदार अभिनय के लिए प्रतिष्ठित 'फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार' मिला था।

अभिमान फ़िल्म सन 1973 में बनी हुई फ़िल्म है। यह फ़िल्म ऋषिकेश मुखर्जी की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और असरानी ने निभाई थी। इस फ़िल्म का संगीत प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन ने तैयार किया था। 'अभिमान' फ़िल्म के सभी गीतों ने भारतीय दर्शकों पर अपनी गहरी छाप अंकित की थी। फ़िल्म के गीत आज भी लोगों की जुबान पर आते रहते हैं।

पटकथा

राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह फ़िल्म अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील फ़िल्म का निर्देशन किया था।[1]

संगीत

मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत, सचिन देव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गए सुमधुर गीतों ने फ़िल्म की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे।

कथानक

फ़िल्म की कहानी में 'सुबीर' (अमिताभ बच्चन) एक गायक है, जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियाँ उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुँह बोली मौसी (दुर्गा खोटे) है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं है। शहर में 'चंदू' (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है, जहाँ वह 'सदानंद' (ए. के. हंगल) की बेटी 'उमा' (जया बच्चन) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है। सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसका विवाह करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ-साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है।

यहीं से फ़िल्म की कहानी नया मोड़ लेती है। सुबीर की पत्नी 'उमा' शास्त्रीय संगीत में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा माँग 'सुबीर' से अधिक बढ़ने लगती है। पुरुष का अहम चोटिल होता है। एक स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि 'जया' अवसादग्रस्त होकर अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत फ़िल्म में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ फ़िल्म का समापन होता है।[1]

अभिनय

फ़िल्म में जया बच्चन का अभिनय तो संवेदनशील भोली लड़की, समर्पित व विरहग्रस्त गृहणी के रूप में प्रशंसनीय है ही, अमिताभ बच्चन ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। असरानी का हास्य, दुर्गा खोटे, ए. के. हंगल, डेविड सभी ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। बिन्दु ने अपनी पूर्व भूमिकाओं से अलग भूमिका निभायी है। मनोहर कामत, ललिता कुमारी व मास्टर राजू की संक्षिप्त भूमिकायें यथायोग्य हैं।

फ़िल्म के गीत

गीत गायक समय
मीत ना मिला रे मन का किशोर कुमार 4:56
नदिया किनारे लता मंगेशकर 4:05
तेरी बिंदिया रे लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी 4:32
लूटे कोई मन का नगर लता मंगेशकर, मनहर उधास 3:04
अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी लता मंगेशकर 4:25
पिया बिना पिया बिना लता मंगेशकर 4:12
तेरे मेरे मिलन की ये रैना किशोर कुमार, लता मंगेशकर 5:49

हल्के-फुल्के हास्य से युक्त यह फ़िल्म ऋषिकेश मुखर्जी की सर्वकालिक फ़िल्म कही जा सकती है।

मुख्य कलाकार

  1. अमिताभ बच्चन - सुबीर
  2. जया बच्चन - उमा
  3. असरानी - चंदू
  4. ए. के. हंगल - सदानन्द
  5. दुर्गा खोटे - मौसी

रोचक तथ्य

  1. 'अभिमान' फ़िल्म में जया बच्चन को अपने श्रेष्ठ अभिनय के लिए प्रतिष्ठित 'फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार' मिला था।
  2. अभिनेत्री बिन्दू ने भी अपनी पूर्व छवि से अलग हटकर अपनी भूमिका कुशलता से निभाई, जिस कारण अन्य भूमिकाओं में इस फ़िल्म के बाद आयीं।
  3. अमिताभ बच्चन व जया बच्चन इस फ़िल्म के दौरान ही पति-पत्नी के रिश्ते में बंधे थे।
  4. जया बच्चन ने इस फ़िल्म के बाद बहुत लम्बे समय तक किसी और फ़िल्म में काम नहीं किया।[1]

प्रेरणा

फ़िल्म 'अभिमान' मानव रिश्तों में आदर्श की भावना जगाकर और रिश्तों को समझ-बूझ और सभ्यता से निभाने की सीख देकर अपना एक गहरा असर दर्शकों पर छोड़ती है। फ़िल्म यह भी प्रेरणा दे जाती है कि पति-पत्नी जैसे रिश्ते से व्यक्तिगत अहंकार को जहाँ तक हो सके दूर ही रखना चाहिये, अन्यथा जीवन में बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 अभिमान (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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